बीजेपी नेतृत्व ने कल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) के आदर्श को साकार रूप देते हुए कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में देश भर की गरीब जनता को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की थी. before you go
यह योजना इसलिए अभूतपूर्व थी क्योंकि इसके पहले इतने बड़े पैमाने पर किसी सरकार ने गरीबों का पेट भरने की इतनी फिक्र नहीं की थी. before you go
उल्लेखनीय है कि जब यूपीए सरकार में शरद पवार कृषिमंत्री थे तब किसी ने सुझाव दिया था कि गोदाम में अनाज सड़ाने और चूहों के खाने से अच्छा है कि इसे गरीबों को मुफ्त में दे दिया जाए. before you go
केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में खाद्यान्न सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है लेकिन सितंबर तक सब्सिडी बिल बढ़कर 2.87 लाख करोड़ रुपए के आसपास पहुंचने का अनुमान है. before you go
यदि सितंबर के बाद इस योजना को जारी रखा गया तो केंद्र सरकार के खजाने या राजकोषीय स्थिति पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है. before you go
मानवीय दृष्टि से चलाई गई इस योजना के चलते यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की भारी बहुमत से जीत हुई. before you go
तने पर भी अब इस बात के आसार हैं कि यह योजना सितंबर के बाद बंद की जा सकती है. वैसे भी सरकार ने क्रमश: कितनी ही सब्सिडी बंद की हैं. before you go
लॉकडाउन में मुफ्त राशन योजना गरीबों के लिए वरदान थी लेकिन अब स्थितियां सुधर चुकी हैं. before you go
सरकार भी कबतक भारी घाटा उठाएगी. मुफ्त नहीं तो किफायती दरों में गरीबों को राशन देना जारी रखा जा सकता है.