'रथयात्रा' में क्यों नहीं होता श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी का रथ?

'जगन्नाथ रथयात्रा' का शुभारंभ 1 जुलाई को होना है,इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां हो रही है।

 इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के रथ निकाले जाते हैं।

ये पहली पूजा है जिसमें श्री कृष्ण के रथ के साथ पत्नी रुक्मिणी का रथ या प्रेमिका राधा का रथ नहीं होता है। जिसके पीछे एक खास कारण है।

नींद में भगवान के श्रीमुख से 'राधा' का नाम निकला

पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार श्रीकृष्ण अपने महल में सो रहे थे और रानी रुक्मिणी उनके निकट ही बैठी थीं कि अचानक से उन्होंने भगवान के श्रीमुख से 'राधा' का नाम सुना।

जिसे सुनकर उन्हें अच्छा नहीं लगा,उन्होंने मन में सोचा कि आखिर राधा में ऐसा क्या है? जिसकी वजह से निद्रा अवस्था में भी प्रभु उन्हीं का नाम लेते हैं? मैं उनकी दिन-रात सेवा करती हूं फिर भी 'राधा' की जगह नहीं ले पा रही हूं।

जगन्नाथ को प्रभु श्रीकृष्ण और राधा का सम्मिलित रूप माना जाता है और चूंकि उनका और उनके भाई-बहनों के शरीर गल चुके थे इसलिए पुरी धाम में जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदाऊ का अधूरा रूप होता है और वो लोगों को दर्शन देने के लिए रथ यात्रा में सामने आते हैं।

चूंकि नारद जी ने केवल जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदाऊ के ही अधूरे रूप को देखा था, वहां रुक्मिणी नहीं थी इसलिए रथ यात्रा में श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी का रथ नहीं होता है।

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