जिसे सुनकर उन्हें अच्छा नहीं लगा,उन्होंने मन में सोचा कि आखिर राधा में ऐसा क्या है? जिसकी वजह से निद्रा अवस्था में भी प्रभु उन्हीं का नाम लेते हैं? मैं उनकी दिन-रात सेवा करती हूं फिर भी 'राधा' की जगह नहीं ले पा रही हूं।
जगन्नाथ को प्रभु श्रीकृष्ण और राधा का सम्मिलित रूप माना जाता है और चूंकि उनका और उनके भाई-बहनों के शरीर गल चुके थे इसलिए पुरी धाम में जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदाऊ का अधूरा रूप होता है और वो लोगों को दर्शन देने के लिए रथ यात्रा में सामने आते हैं।
चूंकि नारद जी ने केवल जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदाऊ के ही अधूरे रूप को देखा था, वहां रुक्मिणी नहीं थी इसलिए रथ यात्रा में श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी का रथ नहीं होता है।