Skip to content

Kahani Ki Dunia

Iss Duniya Mein Jane Kuch Naya

Menu
  • Home
  • Hindi Stories
  • Full Form
  • Business Ideas
  • Contact us
  • Web Stories
Menu
NATO Full Form: नाटो क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

NATO Full Form: नाटो क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

Posted on March 23, 2022

आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे NATO Full Form, नाटो क्या है और इसकी स्थापना कब हुई थी, NATO का पूरा नाम क्या है, NATO की पूरी जानकारी, NATO की फुल फॉर्म क्या है, NATO के सदस्य देश कौन कौन से हैं। तो चलिए जान लेते NATO के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

Contents

  • 1 NATO Full Form in Hindi 
  • 2 NATO क्या है? 
  • 3  नाटो संगठन की पृष्टिभूमि
  • 4 नाटो का उद्देश्य क्या है और यह कैसे काम करता है?
  • 5 NATO के कार्य 
  • 6 NATO की संरचना  
  • 7 NATO के मुख्य 4 अंग 
    • 7.1 1 . महासचिव (Secretary General):
    • 7.2 2 . परमाणु योजना समूह (Nuclear Planning Group): 
    • 7.3 3 . सैनिक समिति (Military Committee): 
    • 7.4 उप समिति (Subordinate Committees): 
  • 8 यह भी पढ़े: –

NATO Full Form in Hindi 

NATO का फुल फॉर्म North Atlantic Treaty Organization (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) है। इसे उत्तर अटलांटिक एलायंस भी कहा जाता है।

NATO क्या है? 

यह एक अंतर-सरकारी सैन्य संगठन है। मौजूदा वक्त में इसके कुल 30 सदस्य देश है और इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में मौजूद है। नाटो के अनुछेद 5 के मुताबिक इस संगठन में शामिल सभी देश सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करते हैं। यानि नाटो संगठन के किसी भी देश के ऊपर हमला होने का मतलब है कि इसमें शामिल कुल 30 सदस्य देशो के ऊपर हमला माना जाता है।

 नाटो संगठन की पृष्टिभूमि

बात 1945 की है, द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया था। इस विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ जैसे देश महाशक्ति बनकर सामने आए। यूरोप में खतरे को देखते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्सेमबर्ग ने के ब्रुसेल्स की संधि की। इस संधि में यह तय हुआ कि यदि इन देशों में से किसी भी देश पर हमला होता है तो ब्रुसेल्स संधि में शामिल सभी देश एक दूसरे को सामूहिक सैनिक सहायता व सामाजिक आर्थिक सहयोग प्रदान करेंगे। 1948 तक आते आते सोवियत संघ ने जब बर्लिन की नाकेबंदी की तो पश्चिमी यूरोपीय पूंजीवादी देशों को साम्यवाद के प्रसार का भय लगने लगा। इसके बाद अमेरिका ने सोवियत संघ की घेराबंदी और साम्यवादी विचारधारा के प्रभाव को समाप्त करने के लिए सैनिक गुटबंदी शुरू की। इसके जवाब में सोवियत संघ ने वारसा पैक्ट किया। इस तरह शस्त्रीकरण को बढ़ावा मिला जिसके कारण अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव बढ़ता गया। अंततः अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुछेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि का प्रस्ताव पेश किया जिस पर 4 अप्रैल 1949 को फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैंड, इटली, नॉर्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 12 देशों ने दस्तखत किए। बाद में यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी और स्पेन जैसे देशों ने भी इसकी सदस्यता ली और बाद में शीत युद्ध समाप्त होने के बाद पोलैंड, हंगरी और चेक गणराज्य जैसे देश भी इसमें शामिल हो गए।

नाटो का उद्देश्य क्या है और यह कैसे काम करता है?

  • नाटो के प्रमुख उद्देश्यों में राजनितिक और सैन्य मदद के जरिये सदस्य राष्ट्रों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी प्रदान करना।
  • सदस्य देशों के बीज एकजुटता और सामंजस्य की भावना पैदा करना।
  • यूरोप में व्यक्तिगत आज़ादी, लोकतंत्र, मानव अधिकार जैसे उद्देश्य शामिल हैं।
  • इसके अलावा समुद्र या समुद्र से जुड़े खतरों से अपने सहयोगी को रक्षा करने में मदद करना।
  • साथ ही किसी भी तरह के आतंकवाद को न बढ़ने जैसे उद्देश्य भी शामिल है।

NATO के कार्य 

इसके काम को देखे तो NATO आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए नई क्षमताओं और प्रौद्दोगिकियों का विकाश करना, लोकतान्त्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना, शांतिपूर्ण तरीको से विवादों का हल करना, सामूहिक सुरक्षा, संकट प्रबंधन और सहकारी सुरक्षा जैसे काम शामिल है। इन सब के अलावा नाटो निःशस्त्रीकरण हतियारों के नियंत्रण और इसके अप्रसार के लिए भी संकल्पबद्ध है।

NATO की संरचना  

NATO की संरचना को देखे तो इसके तहत होने वाली उत्तर अटलांटिक परिषद की बैठकों की अध्यक्षता महासचिव द्वारा की जाती है। इन बैठकों में लिए जाने वाले निर्णय सर्वसम्मति और सामान्य समझौते के आधार पर होते हैं। यहाँ पर बहुमत या मतदान के माध्यम से कोई निर्णय नहीं लिया जाता।

NATO के मुख्य 4 अंग 

देखा जाए तो NATO के 4 मुख्य अंग है –

1 . महासचिव (Secretary General):

जो कि नाटो का सर्वोच्च अंग है। इसकी मंत्रिस्तरीय बैठक साल भर में एक बार होती है। इसमें सदस्य देशों के सिविल सर्वेंट शामिल होते हैं।

2 . परमाणु योजना समूह (Nuclear Planning Group): 

परमाणु नीति समूह के पास परमाणु नीति के मुद्दों के संबंध में उत्तरी अटलांटिक परिषद के समान अधिकार है।

3 . सैनिक समिति (Military Committee): 

इसका मुख्य काम नाटो परिषद् एवं  प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना है। इसमें सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष शामिल होते हैं।

उप समिति (Subordinate Committees): 

चौथा और आखरी है उप समिति। यह परिषद् नाटो के सदस्य देशों के द्वारा नियुक्त कुटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद् है। ये नाटो के संगठन से संबंध सामान्य हितों वाले विषयों पर विचार करते हैं।

 

तो इस पोस्ट में आपने जाना NATO Full Form in Hindi, NATO क्या है?  नाटो संगठन की पृष्टिभूमि, नाटो का उद्देश्य क्या है और यह कैसे काम करता है? NATO के कार्य, NATO की संरचना, NATO के मुख्य 4 अंग।

उम्मीद करते हैं आपको यह पोस्ट जरूर अच्छा लगा होगा। अगर आप इसी तरह से और भी फुल फॉर्म और उनके बारे में डिटेल्स में जानना चाहते हैं तो फिर हमारे ब्लॉग को जरूर सब्सक्राइब कर लें।

यह भी पढ़े: –

  • ICT Full Form: ICT क्या है और शिक्षा में ICT का प्रयोग
  • IBM Company Full Form: आईबीएम (IBM) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
  • DSP Full Form: DSP का फुल फॉर्म और DSP कैसे बने पूरी जानकारी
  • PCS Full Form | पीसीएस (PCS) एग्जाम के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
  • DNA Full Form: DNA का फुल फॉर्म क्या है और DNA टेस्ट क्यों और कैसे किया जाता है?

 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Post

  • NIOS Full Form: NIOS Board क्या है पूरी जानकरी हिंदी में
  • Top 5 High Salary Banking Courses in Hindi | Best Banking Jobs After 12th
  • KVPY Exam क्या है | What is KVPY Exam in Hindi
  • What is No Cost EMI in Hindi | No Cost EMI क्या होता है
  • NASA Scientist कैसे बने | How to Become a NASA Scientist
©2023 Kahani Ki Dunia | Design: Newspaperly WordPress Theme