सबसे बड़ा बुद्धिमान (Hindi Story)
Sabse Bada Buddhiman Hindi Story
एक गाँव में पांच दोस्त रहते थे। पांचो में बहुत अच्छी मित्रता भी थी। पांचो दोस्तों का स्वभाव बिलकुल अलग-अलग था। लेकिन एक बात जो उन सब में थी कि वो पांचो बहुत ही बहादुर और वीर थे। एक दूसरे के मुसीबत में साथ देने वाले थे। पांचो के नाम राधे, दिनु, हरी, नत्थू और प्रीतम थे। पांचो दोस्तों की पारिवारिक स्तिथि भी बिलकुल अलग-अलग थी।
यहाँ एक तरफ राधे और दिनु बहुत ही गरीब परिवारों से थे। वही दूसरी तरफ प्रीतम एक अमीर परिवार से था। पांचो दोस्त जहाँ भी घूमने फिरने के लिए जाते एक साथ ही जाते थे। एक बार पांचो दोस्त पड़ोस के गाँव में लगने वाले मेले को देखने के लिए गए। वापसी में उन्हें बहुत देर हो गई और देर रात वे अपने घर में दाखिल हुए।
अभी वे अपने घरों की तरफ जा ही रहे थे कि कुछ चार-पांच खूंखार किस्म के लोग हाथों में तलवारें और डंडे लिए हुए एक अकेले आदमी पर हमला कर रहे थे। उस अकेले आदमी के पास भी तलवार थी और वह बहुत ही बहादुरी से उनका मुकाबला कर रहा था। उन पांचो ने फैसला किया कि इस अकेले आदमी की सहायता करनी चाहिए नहीं तो यह खूंखार दिखने वाले लोग उसे जान से देंगे।
वो पांचो दोस्त उस अकेले आदमी का साथ देने के लिए उस लड़ाई में कूद गए। उन लड़कों की बहदुरी देखकर खूंखार हमलावर वहां से नोह दो ग्यारह हो गए। तभी रामु ने उस अजनबी से बोला, “आप हमारे गाँव के तो नहीं है, हम माफ़ी चाहते हैं कि हमारे गाँव में आकर आप पर हमला हुआ। आप हुऐंन बताएं आप कहाँ रहते हैं? हम आपको वहां पर छोड़ देंगे।”
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उस अजनबी ने कहा, “नहीं नहीं इसकी कोई जरुरत नहीं, है मैं बिलकुल ठीक हूँ। कुछ दूर तक वे लोग आपस में बात करते हुए चलने लगे। बातों-बातों में ही उस आदमी ने पांचो लड़के के नाम पते की जानकारी भी ले ली। उसके बाद वे सभी अलग-अलग होकर अपने घर चले गए।
अगली सुभह उन पांचो युवकों के घर पर राजा के महल से संदेशा पहुंच गया कि उन पांचो को राजदरबार में पेश होना होगा। वो पांचो घबरा गए कि उन्होंने ऐसा क्या अपराध किया है जो राजदरबार में उनकी पेशी होगी। खेर, वो पांचो राजदरबार में पेश हुए। राजमहल में पहुंचकर उन पांचो दोस्तों को एक कमरे में बैठा दिया गया। कुछ देर बाद सिपाही उनको लेकर राजा के सामने पहुंचे। वो पांचो युवक देखकर हैरान हो गए की पिछली रात को जिस अजनबी को उन्होंने बचाया था वह कोई और नहीं बल्कि खुद राजा ही था जो उनके सामने बैठा था।
उन्होंने झुककर राजा को प्रणाम किया। राजा ने कहा तुम सब ने कल मेरी जान बचाई थी इसलिए आज से तुम सब मेरे मित्र हो। कल रात को मैं भेष बदलकर नगर का चक्कर लगाने गया था कि तभी कुछ डाकू-लुटेरों ने मुझ पर हमला कर दिया। और तुम लोग बिलकुल सही वक्त पर पहुंच गए और मेरी मदद की इसलिए मैंने तुम्हें यहाँ बुलाया है।
राजा ने आगे कहा, “मैं तुम सबकी बहादुरी से बहुत खुश हूँ। मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी-अपनी इच्छा मुझे बताओ, अगर मेरे बस में हुआ तो मैं तुम्हारी इच्छा को जरूर पूरी करूँगा।”
राजा की बातें सुनकर वो पांचो एक दूसरे की सकलें देखने लगे और सोचने लगे कि राजा से क्या माँगा जाये। उनमे से पहले ने कहा, “महाराज! मैं एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहता हूँ हो सके तो आप उसकी मरम्मत करा दीजिए।” राजा ने तुरंत आदेश दिया कि इस युवक को एक बड़ा मकान तैयार करके दिया जाये।
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फिर राजा ने दूसरे से पूछा तो उसने कहा, “हुजूर! मेरे परिवार की हालत बहुत ख़राब है, बहुत ही गरीबी में है। अगर कुछ धन मिल जाता तो पिता और मैं दोनों कोई न कोई व्यापार शुरू कर लेते। ” राजा ने उसे ढेर सारा धन देने का आदेश दे दिया। इसके बाद तीसरे युवक ने कहा, “महाराज! मेरे माता-पिता चाहते हैं कि मुझे कोई नौकरी मिल जाये और मैं कुछ कमा सकूँ तो बहुत ही अच्छा होगा।
युवक को राजमहल में ही रहने का आदेश दे दिया तो वह युवक भी बहुत खुश हो गया। अब चौथे लड़की की बारी थी। वह कुछ देर सोचने ला बाद बोला, “वेस तो मैं एक सम्प्पन परिवार इ हूँ किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है। मेरा घर यहाँ से 30 कोश दूर है और मुझे रोज कच्ची और ऊबड़खाबड़ सडक से। यदि हो एके तो मरे तक जाने वाली सड़क को औ पाका जैक्वार कटवा दे।” राजा ने तुरंत आदेश दिया कि इस युवक की आसपस की सारी सड़को को
अब सभी दोस्त पांचवी की तरफ देखने लगे कि यह क्या मांगेगा। पांचवी दोस्त ने कहा, “महाराज! छोटा मुँह और बड़ी बात न समझे तो आप से एक प्रार्थना करना चाहता हूँ कि आप एक बार मेरे घर पर मेहमान बनकर आइए। बाकि के मित्र उसको अजीब सी नजरों से देखने लगे कि यह क्या अजीब सी फरमाइस कर दी इसने। वे सोचने लगे इसकी अक्ल तो घास चरने गई है जो ऐसी बेतुकी इच्छा जाहिर कर रहा है। हम पांचो में से तो यही सबसे बड़ा मुर्ख है।
उस युवक की बात सुनकर राजा भी थोड़ा असमंजस में पड़ गया। लेकिन अब राजा ने वादा किया था कि उनकी इच्छा को पूरी करेगा इसलिए राजा ने युवक के घर मेहमान बनकर आने की इच्छा मांग ली। इसके बाद सभी युवक अपने-अपने घर चले गए।
कुछ दिन यु ही बीत गए। अब उस पांचवे युवक के घर राजा को मेहमान बनकर जाना था इस कारन से उस युवक के लिए एक आलीशान मकान बनाने की तैयारी शुरू कर दी। अब वह युवक आलीशान मकान में आरामसे रहने लगा। अब राजा को वहां जाना था तो बहुत से नौकर चाकर का भी प्रबंध उस घर में कर दिया गया जिससे कि राजा को कोई भी परेशानी ना हो। उसके घर तक राजा की सवारी जानी थी कि उसके घर की आसपास की सभी सड़कों को भी पक्का करवाया गया।
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वह युवक बहुत ही खुश था कि उसे अपने मित्रो से कई ज्यादा मिल चूका है। तभी राजा को पता लगा कि वह युवक कोई छोटा-मोटा काम करता है। यह तो राजा के शान के खिलाफ था कि वफ किसी छोटे आदमी के घर मेहमान बनकर जायेगा तो राजा ने आदेश किया कि उसे राजदरवार में किसी अच्छे पद पर नियुक्त किया जाये। इसलिए उस युवक को मुख्य राजदरबारी की नौकरी दे दी गई।
अब सब कुछ सही हो चूका था तो राजा ने उस युवक के घर मेहमान बनकर जाने के लिए एक दिन निश्चित कर लिया। लेकिन एक समस्या फिर से सामने आ गई, शाही कानूनों के अनुसार राजा किसी भी अजनबी के घर मेहमान बनकर नहीं जा सकता था। तब राजा के मंत्री ने कहा, “महाराज, यह युवक बहुत ही ईमानदार है और उसकी बहादुरी तो आपने देखि ही है। इसके अलावा वह बहुत बुद्धिमान भी है तभी तो उसने आपसे ऐसी इच्छा पूरी करने को कहा जो सुनने में तो बहुत मामूली सी लगती है लेकिन उस एक इच्छा को पूरी करने में हमने उसकी सारी इच्छाएं पूरी कर दी। तो ऐसा बहादुर और बुद्धिमान लड़का आपको कहीं नहीं मिलेगा। आप अपनी बेटी की शादी उससे करवा दीजिए। इससे वह एक अजनबी भी नहीं रहेगा।
राजा को अपनी मंत्री की बात जच गई। राजा ने अपनी पुत्री का विवाह उस युवक से करवा दिया। अब वह युवक फुला नहीं समा रहा था। अब राजा उस युवक के घर मेहमान बनकर जा सकता था क्यों कि वह कोई अजनवी नहीं था बल्कि वह उसका दामाद था। और राजा अपने दामाद के घर तो जा ही सकता है। राजा अपनी दामाद की बुद्धिमानी से बहुत ही खुश था और उनका दामाद और पुत्री भी बहुत ही ख़ुशी से अपने घर में रह रहे थे। और उस युवक के बाकि चारों दोस्त भी यह सोच रहे थे कि हम जिसको सबसे ज्यादा मुर्ख समझ रहे थे, हम सब में से सबसे तो यही निकला। जिसने अपनी बुद्धिमानी से सिर्फ एक इच्छा बताकर ही अपनी सारी इच्छाएं पूरी कर ली।
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