अपने क्रोध को शांत कैसे करे? A Motivational Story in Hindi
अपने क्रोध को शांत कैसे करे
एक मनुष्य जंगल में जा रहा था। उसे चार स्त्रीयां मिली। उसने पहली स्त्री से पूछा, “बहन तुम्हारा नाम क्या है?” उसने कहा, “बुद्धि।” कहाँ रहती हो? उसने कहा, “मनुष्य के दिमाग में।” फिर उसने दूसरी स्त्री से पूछा, “बहन तुम्हारा नाम क्या है?” उसने कहा, “लज्जा।” उसने पूछा, “तुम कहाँ रहती हो?” उसने जवाब दिया, “आँखों में।” तीसरे से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है बहन?” उसने कहा, “हिम्मत।” उसने पूछा, “कहाँ रहती हो। स्त्री ने कहा, “दिल में।” चौथी से पूछा, “बहन तुम्हारा क्या नाम है?” उसने कहा, “तंदरुस्ती।” उसने पूछा, “कहाँ रहती हो?” उसने कहा, “पेट में।”
वह मनुष्य फिर आगे बढ़ा, उसे चार पुरुष मिले। उसने पहले पुरुष से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” उसने कहा, “क्रोध।” उसने पूछा, “कहा रहते हो?” उसने कहा, “दिमाग में।” उस मनुष्य ने कहा, “दिमाग में तो बुद्धि रहती है, तुम कैसे वहां रह सकते हो?” पहले पुरुष ने कहा, “जब मैं आता हूँ तब बुद्धि वहां से विदा हो जाता है।” दूरसे से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” उसने कहा, “लोभ।” फिर पूछा, ” कहाँ रहते हो?” उसने कहा, “आँखों में।” उसने कहा, “आंख में तो लज्जा रहती है, तुम कैसे रहते हो?” दूसरे पुरुष ने कहा, “जब मैं आता हूँ तब लज्जा वहां से प्रस्थान कर देती है।” तीसरे से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” तीसरे पुरुष ने कहा, “भय।” फिर पूछा, “कहाँ रहते हो?” उसने कहा, “मनुष्य के दिल में।” उस मनुष्य ने कहा, “दिल में तो हिम्मत रहती है, तुम कैसे रह सकते हो?” तिरसे पुरुष ने कहा, “जब मैं आता हूँ तो हिम्मत वहां से नो दो ग्यारह हो जाता है। उसने चौथे से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” चौथे ने कहा, “रोग।” फिर पूछा, ‘कहाँ रहते हो?” उसने कहा, “पेट में।” वह मनुष्य चकित होकर बोला, “पेट में तो तंदरुस्ती रहती है, तुम कैसे रहते हो वहां?” उसने कहा, “जब मैं आता हूँ तब तंदरुस्ती वहां से विदा हो जाती है।”
दोस्तों यह कहानी प्रतिक है हर व्यक्ति के जीवन में गुणों और दोषों का संघर्ष अनवरत चलता रहता है। जीवन के सफलता का सच्चा मापदंड सद्गुणों और सद्संस्कारों का जागरण है। गुणों का विकाश कर अवगुणों को छूना सीखो, जीवन के बंधनो साँस से, मन ही उत्थान, पतन, सुख, दुःख का कारण है, मन के घोड़े को सही दिशा में मोड़ना सीखो।
एक बार विद्वानों की सभा में जीवन की परिभाषा चिंतनमंथन हुआ। उपस्थित लोगों ने बिभिन्न प्रकार के विचार प्रस्तुत किये। एक अनुभवी, जिसके जीवन में शांति, संतोष, पवित्रता और आनंद है, उसका जीवन सफल और सार्थक है। जो व्यक्ति उसका अनुसरण करता है उसका जीवन सुखद और सफल होता है।
आज बौद्धिक और आर्थिक विकाश की ओर सबका आकर्षण बढ़ रहा है। बौद्धिक और आर्थिक प्रगति के साथ सद्गुणों और सद्संस्कारों समन्वय भी होना चाहिए, उसके बिना कोई भी विकाश न स्वयं के लिए कल्याणकारी होता है और न ही समाज के लिए लाभप्रद होता है। जिस प्रकार भवन के ऊंचाई के साथ गहराई का संतुलन अपेक्षित है, उसी प्रकार जीवन में भारी ऊंचाई के साथ गुणों और आदर्शों की गहराई भी आवश्यक है। ऊंचाई के प्रति जितना उत्साह है, उतना गहराई के प्रति भी होना चाहिए।
क्रोध करने से ऐसे बचे –
- क्रोध सोमवार को आए, तो कहना कि सप्ताह की शुरुवात है आज नहीं करूँगा।
- मंगलवार को आए, तो बोलना कि मंगल में अमंगल क्यों करूँ?
- बुध को आए, तो कहना कि बुध तो शुद्ध है इसलिए इसे अशुद्ध क्यों करूँ।
- गुरुवार को आए, तो बोलना आज तो गुरु का दिन है, मन में शांति रखना है।
- शुक्रवार को आए, तो कहना कि शुक्र को तो शुक्रिया अदा करना है भगवान का तो आज के दिन गुस्सा क्यों करूँ।
- शनिवार को आए, तो सोचना कि शनि के दिन घर में शनिचर क्यों आए इसलिए गुस्सा शनिवार को भी नहीं करना।
- रविवार को आए, तो कहना आज तो छुट्टी का दिन है इसलिए रविवार को भी गुस्सा नहीं करना।
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