Skip to content

Kahani Ki Dunia

Iss Duniya Mein Jane Kuch Naya

Menu
  • Home
  • Hindi Stories
  • Full Form
  • Business Ideas
  • Contact us
  • Web Stories
Menu
बस एक झूठ | Bas Ek Jhuth Story in Hindi

बस एक झूठ | Bas Ek Jhuth Story in Hindi

Posted on November 22, 2021

बस एक झूठ  Bas Ek Jhuth Story in Hindi

 

बस एक झूठ (Story in Hindi)

सारा घर ख़ुशी से झूम रहा था। जो लोग कभी हाल न पूछते थे, वो भी बधाई देने आए थे। और आते भी क्यों ना, आज अनन्या का सिलेक्शन का खबर पेपर में आई थी। इतना शानदार प्लेसमेंट हुआ था, जापान की एक कंपनी में 35 लाख रूपए का पैकेज मिला था।

अनन्या के पापा के तो जैसे होश ही उड़ गए थे, इतनी बड़ी रकम सुनकर दादा-दादी के पैरों के निचे से जमीन निकल गई थी। आज सब अनन्या को लाड़ कर रहे थे। ताऊ जी तो हर मेहमान को बताते कि कैसे अनन्या उनकी सबसे लाडली है। ताई जी भी बार-बार सबसे कहती – मुझे तो पता था मेरी लाडो सबका नाम रोशन करेगी।

दादी सुबह से 20 बार बलैया ले चुकी थी अनन्या के पापा के तो जैसे एक दिन में हाव भाव ही बदल गए थे। बड़ी अकड़ के साथ छाती चौड़ी किए घूम रहे थे।

यह भी पढ़े – माँ बेटे की कहानी | Maa Bete Ki Kahani In Hindi

आरती हहमेशा की तरह रसोई में उलझी थी। कोई भी मेहमान आता तो चाय नास्ता मिठाई सब उसी को करना था। वह बस पर्दे के आड़ में सबको खुशियाँ मनाते देख रही थी। तभी बड़े जोर शोर से मिठाइयां लेकर उसकी बड़ी ननद भी आ गई। आते ही बुलंद आवाज लगाई – अरे कोई पानी लाओ और साथ में मिठाई भी।

कहाँ है अनन्या? बुलाओ तो जरा! और बाकि सब भी जरा यहाँ आओ! ताज़ी रसमलाई बनाकर लाई हूँ। आरती इसे फ्रीज में रख दो, थोड़ी ठंडी हो जाए फिर सबको खिलाती हूँ। एक साँस में सब कुछ कह जाने की पुरानी आदत थी उनकी।

आरती को अचानक 23 साल पुरानी बात याद आ गई, इसी तरह शोर मचाती आई थी बड़ी जीजी, हाय माँ यह क्या हो गया! आरती को लड़की हुई है! मैंने तो आपको पहले ही कहा था, एक बार पीर बाबा के यहाँ चली जाती, फिर लड़का ही होता। ये डॉक्टर भी आजकल ठीक से जाँच नहीं करते, गोविन्द कुछ बोला की नहीं डॉक्टर को? अरे कॉलर पकड़कर पूछा क्यों नहीं उससे? जब पहले लड़का बताया था। तो अब लड़की कैसे हो गई। क्या पेट में बच्चा बदल गया? यह तो हद ही हो गई। मैंने तो जब से खबर सुनी है गले से पानी नहीं उतर रहा। सोचा पहले माँ को तसल्ली दे आऊं। बड़ी भाभी कहाँ है?

यह भी पढ़े – 100+ Best Inspirational Hindi Stories | 100 प्रेरणदायक हिंदी कहानियां 

इतने में आरती की जेठानी भी आ गई। फिर तो सब ने मिलकर रोना ही शुरू कर दिया। घर में जैसे मातम मन रहा था। आरती अपने दो दिन की बेटी को गोद में लिए बैठी थी। सास, जेठानी और ननद तीनों बहुत दुखी थी। जैसे कोई अनहोनी हो गई हो। ऐसा तो नहीं था कि यह आरती की तीसरी बार या चौथी बार लड़की हुई थी। ये उसका पहला बच्चा था। पर यह पुरानी सोच हमारे परिवार में बस बेटा ही होता है। बेटियां नही! इसी बजह से आरती को तीसरे महीने में ही उसके पति बड़े शहर ले गई और पैसे देकर जाँच करवा दी।

“अगर बेटी हो तो अबॉरशन करवाकर ही आना ” – शख्त हिदायत थी ससुर जी की। आरती ने लाख समझाने की कोशिश की , पर कोई समझा ही नहीं। जाँच के वक्त कोई साथ नहीं था। आरती ने सिस्टर के हाथ जोड़े और कहा, “अगर लड़की हो तो भी आप कह देना कि बेटा है। यह मेरा पहला बच्चा है। पहली बार हो रहे अपने अंदर इस अनूठे बदलाब को, इस अनोखी ख़ुशी को मैं खोना नहीं चाहती। मुझे यह बच्चा चाहिए किसी भी कीमत पर। और सिस्टर ने भी मुस्कुराकर हामी भर दी।

आरती पेट में पल रहे बेटे के खुशखबरी के साथ घर लौट आई। सब बहुत खुश थे। बड़ा ख्याल रखा गया आरती का। और नवे महीने में जब प्यारी सी गुड़िया आई तो आरती बहुत खुश थी, पर घरवालों पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा था। गोविन्द भी चिढ़े हुए थे। ऐसे हताश से जैसे सब कुछ लूट गया था उनका। ससुर जी तो गुस्से में लाल हो रहे थे। जेठ जी के हिसाब से तो खानदान का नाम ही ख़राब हो गया था। हर कोई आरती और बच्चे को कोस रहा था।

आरती ने ही नाम रखा था अपनी बेटी का अनन्या और अपनी बेटी को सबके हिस्सा का प्यार दिया। 3 साल बाद जब बेटा हुआ तब जाकर आरती की जिंदगी सामान्य हुई। वरना यह 3 साल तो नरक के समान थे। अनन्या से किसी को प्यार नहीं था, पर वो इतनी होशियार थी कि धीरे-धीरे सब ने उसे स्वीकार कर लिया। कहने को तो वो घर की अकेली बेटी थी पर प्यार सिर्फ माँ से ही मिला।

यह भी पढ़े – Cute And Romantic Heart Touching Love Story In Hindi

आरती ने उसे अपनी जिद पर अच्छे स्कूल में पढ़ाया और फिर शादी की जगह इंजीनिरिंग की पढाई पूरी करने दी। घरवाले इसके खिलाफ थे पर आरती नहीं मानी।

बाहर फिर से एक कड़कती आवाज आई,  भाई अरे आरती तैयार हुई या नहीं! अखबार टीवी वाले मंत्री जी सब आते ही होंगे बधाई देने और अनन्या का इंटरव्यू लेने। नास्ते की प्लेट लगाकर रख दो और हाँ देख लो कि कोई कमी ना रह जाए। आखिर हमारी बिटिया ने इतना नाम जो किया है सबका।

आरती अतीत से वर्तमान में आ गई। और फिर से अपने काम में लग गई। थोड़ी देर में मंत्री जी आए, दादा दादी, ताऊ ताई जी सब बैठे थे कि अनन्या के साथ वे भी टीवी में नजर आएंगे। पर यह क्या अनन्या तो हाथ पकड़कर आरती को ले आई और सबके सामने बोली, “आज मैं जो कुछ भी हूँ उसका सारा क्रेडिट सिर्फ और सिर्फ अपनी माँ को देती हूँ। मेरी हर उपलब्धि मेरी माँ की दें है। मेरी माँ ही मेरी प्रेरणा है।”

यह सब सुन आरती के आँखों में आंसू आ गए। अनन्या आरती की गले लग गई और धीरे से कान में बोली, आपके उस एक झूठ के कारण ही तो आज मेरा अस्तित्व है माँ। उस दिन आप सबसे झूठ नहीं बोलती, तो ना ही मैं होती और ना ही यह सारी खुशियाँ। सब अवाक थे। बस माँ बेटी मुस्कुरा रही थी।

आपको यह कहानी “बस एक झूठ  Bas Ek Jhuth Story in Hindi” कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और अगर आपको यह कहानी पसंद आए तो अपने दोस्तों को भी जरूर शेयर करे।

यह भी पढ़े – 

  • उम्र का तजुर्बा
  • दिल को छू लेने वाला School Love Story In Hindi
  • बेरोजगार बेटे की कहानी आपको रुला देगी
  • सेवा की कीमत
  • मेहनत की कमाई
  • गौतम बुद्ध और किसान की कहानी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Post

  • NIOS Full Form: NIOS Board क्या है पूरी जानकरी हिंदी में
  • Top 5 High Salary Banking Courses in Hindi | Best Banking Jobs After 12th
  • KVPY Exam क्या है | What is KVPY Exam in Hindi
  • What is No Cost EMI in Hindi | No Cost EMI क्या होता है
  • NASA Scientist कैसे बने | How to Become a NASA Scientist
©2023 Kahani Ki Dunia | Design: Newspaperly WordPress Theme