Skip to content

Kahani Ki Dunia

Iss Duniya Mein Jane Kuch Naya

Menu
  • Home
  • Hindi Stories
  • Full Form
  • Business Ideas
  • Contact us
  • Web Stories
Menu
झांसी के किले का इतिहास एवं रोचक तथ्य

झांसी के किले का इतिहास एवं रोचक तथ्य | History and Interesting Facts about Jhansi Fort in Hindi

Posted on November 18, 2021

झांसी के किले का इतिहास एवं रोचक तथ्य History and Interesting Facts about Jhansi Fort in Hindi

दोस्तों आज हम बात करेंगे झांसी के किले के इतिहास के बारे में और उससे जुड़ी कुछ रोचक तथ्यों के बारे में तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं।

झांसी के किले का इतिहास एवं रोचक तथ्य ( History and Interesting Facts about Jhansi Fort in Hindi): 

इस विश्वप्रसिद्ध किले का निर्माण 1613 में ओरछा के बुन्देल राजा बीरसिंघ जूदेव द्वारा करवाया गया था। यह किला बुन्देल का सबसे शक्तिशाली किला हुआ करता था। 17 वी शताब्दी में महोम्मद खान बंगेश ने महाराजा छत्रसाल पर आक्रमण कर दिया था। इस आक्रमण से महाराजा छत्रसाल को बचाने में पेशवा बाजीराव ने सहायता की थी। जिसके बाद महाराज छत्रसाल ने उन्हें राज्य का कुछ भाग उपहार में दे दिया था जिसमें झांसी भी शामिल था। इसके बाद नारोशंकर को झांसी का सूवेदार बना दिया गया। उन्होंने केवल झांसी को ही नहीं विकशित किया बल्कि झांसी के आसपास के दूसरे इमारतों को भी बनाया।

नारोशंकर के बाद झांसी में कई सूवेदार बनाएं गए थे जिनमें रघुनाथ भी शामिल थे। जिन्होंने इस किले के भीतर महालक्ष्मी मंदिर और रघुनाथ मंदिर का भी निर्माण करवाया था। वर्ष 1838 में रघुनाथ राव के मृत्यु के बाद ब्रिटिश शासक ने गंगाधर राव को झांसी के नए राजा के रूप में स्वीकार किया। वर्ष 1842 में राजा गंगाधर राव ने मणिकर्णिका तांबे से शादी की थी। जिसके बाद उन्हें रानी लक्ष्मीबाई के नाम से पुकारा जाने लगा था। वर्ष 1851 में रानी ने एक बेटे को जन्म दिया था जिसका नाम दामोदर राव रखा गया था परन्तु वो शिशु चार महीने के बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गया था। इसके बाद महाराजा ने अपने एक भाई के पुत्र आनंद राव को गोद ले लिया जिसका नाम बाद में बदलकर दामोदर राव रख दिया गया था।

वर्ष 1853 में महाराजा की मृत्यु के बाद गवर्नर जनरल लार्ड डलहौज़ी के नेतृत्व वाले ब्रिटिश सेना में चुपकर सिद्धांत लगाकर दामोदर राव को सिंहासन सौंपने से मना कर दिया था।  1857 के विद्रोह दौरान रानी लक्ष्मीबाई ने किले की बागडोर अपने हाथ में ले ली और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के खिलाफ अपनी सेना का नेतृत्व किया। अप्रैल 1858 में जनरल ह्यूज रोज के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सेना झांसी को पूरी तरह से घेर लिया और 4 अप्रैल 1958 को उन्होंने झांसी पर भी कब्ज़ा कर लिया। उस समय रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत दिखाकर ब्रिटिश सेना का सामना किया और घोड़े की मदद से महल से बाहर निकलने में सफल रही। परन्तु जून 1858 में ब्रिटिश सेना से लड़ने के दौरान वह शहीद हो गई।

वर्ष 1861 में ब्रिटिश सरकार ने झांसी के किले और झांसी शहर को जीवाजीराव सिंधिया को सौंप दिया जो ग्वालियर के महाराजा थे। लेकिन 1868 में ब्रिटिशों ने ग्वालियर राज्य से झांसी को वापस ले लिया था।

झांसी के किले के बारे में कुछ रोचक तथ्य  – Interesting Facts about Jhansi Fort in Hindi

  • इस भव्य किले का निर्माण वर्ष 1613 में ओरछा साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक बीरसिंघ जूदेव द्वारा करवाया गया था।
  • यह किला भारत  खूबसूरत राज्यों में से एक उत्तरप्रदेश के झांसी में स्तिथ है।
  • यह किला भारत के सबसे भव्य और ऊँचे किलों में से एक है।
  • यह किला पहाड़ियों पर बना हुआ है जिसकी ऊंचाई लगभग 285 मीटर है।
  • यह किला भारत के सबसे अद्भुत किलों में से एक है क्यों की इस किले के अधिकतर भागों का निर्माण ग्रेनाइट से किया गया है।
  • यह ऐतिहासिक किला भारत के सबसे विशाल किलों में शामिल है।
  • यह किला लहभग 15 एकर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
  • यह किला 312 मीटर लम्बा, 225 मीटर चौड़ा है जिनसे घास के मैदान भी शामिल है।
  • इस किले की बाहरी सुरक्षा दिवार का निर्माण पूर्णता ग्रेनाइट से किया गया है जो इसे एक मजबूती प्रदान करती है। यह दिवार 16 से 20 फुट मोटी है और दक्षिण में यह शहर की दीवारों से भी लगती है।
  • इस विश्वप्रसिद्ध किले में मुख्यत 10 प्रवेश द्वार है जिनमें खंडेराव गेट, दतिया दरवाजा, उन्नाव गेट, बादागांव गेट, लक्ष्मी गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, सैयर गेट और चंद गेट आदि प्रमुख है।
  • इस किले के समीपी रानीमहल का भी निर्माण 19 वी शताब्दी में करवाया गया था जिसका वर्तमान में उपयोग एक पुरातात्विक संघ्रालय के रूप में किया जाता है।
  • वर्ष 1854 में रानी लक्ष्मीबाई द्वारा ब्रिटिशों को महल और किले को छोड़कर जाने के लिए लगभग 60 हजार रूपए की रकम दी गई थी।
  • इस किले तक पहुंचने के सारे साधन मौजूत हैं। इसका सबसे निकटतम स्टेशन झांसी रेलवे स्टेशन है जो इससे मात्र 3 किलोमिटर की दुरी पर है।
  • यहाँ पर हवाईजहाज के सहायता से भी पहुंचा जा सकता है क्यों कि मात्र 103 किलोमिटर की दुरी पर ग्वालियर हवाई अड्डा मौजूत है।

तो दोस्तों यह थी झांसी के किले की इतिहास और उससे जुड़ी कुछ रोचक बातें। आशा करते हैं कि आपको यह लेख “झांसी के किले का इतिहास एवं रोचक तथ्य History and Interesting Facts about Jhansi Fort in Hindi” जरूर पसंद आया होगा अगर पसंद आए तो अपने दोस्तों को भी शेयर करे और कमेंट करके अपने विचार भी हमसे शेयर जरूर करे।

यह भी पढ़े –

  • नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा
  • 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) क्यों मनाया जाता है? 
  • रानी लक्ष्मीबाई की कहानी 
  • बिरसा मुंडा का जीवन परिचय 
  • रानी पद्मिनी का इतिहास

 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Post

  • NIOS Full Form: NIOS Board क्या है पूरी जानकरी हिंदी में
  • Top 5 High Salary Banking Courses in Hindi | Best Banking Jobs After 12th
  • KVPY Exam क्या है | What is KVPY Exam in Hindi
  • What is No Cost EMI in Hindi | No Cost EMI क्या होता है
  • NASA Scientist कैसे बने | How to Become a NASA Scientist
©2023 Kahani Ki Dunia | Design: Newspaperly WordPress Theme