इस माँ और बेटे की कहानी सुनकर आप रो पड़ोगे Maa Aur Bete Ki Hindi Story
माँ और बेटे की एक कहानी – Maa Beta Hindi Story
“बेटा घर आ रहा है सुमित्रा, कितने ही दिनों बाद, कोई सात आठ सालों में। जब से अमेरिका गया है तब से उसे देखा भी नहीं। मेरी बहु और उसका एक बेटा भी है।” उसने अपने घर पर झाड़ू पोछा करने वाली से बोली।
अच्छा यह तो बहुत अच्छी बात। अकेली रहती हो तुम न कोई आगे न कोई पीछे, वह तुम्हारा यहाँ ख्याल भी रखेगा। माँ बोली, “हाँ और क्या, बेटा हैहमारा आज ही फ़ोन किया है तीन चार दिनों में आ जाएगा।ठ
ख़ुशी के मारे माँ के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। शरीर ठीक से काम नहीं कर रहा था पर हाथ अचार बनाने में लगे थे, बेटे को पसंद जो थे। और इतने दिनों बाद आ रहा है।
तैयारी करते-करते माँ सोचने लगी कि कैसे उसका बेटा बी टेक करने के बाद उसका मन विदेश में जॉब करने का था। किसी तरह से बैंक में लोन लेकर उसके पापा ने उसे बाहर भेजा। उसके बाद वह अमेरिका चला गया और वहीं शादी कर ली। बीच-बीच में बात होती रहती थी। पर वहां से आना-जाना मुश्किल था।
इसी बीच में उसके पापा का भी देहांत हो गया जिसमे वह केवल दो दिन के लिए ही आ पाया था। यही सब सोचते-सोचते उसके आंखे भर आई थी। चार दिन बाद बेटा घर आया। इतने दिनों बाद अपने बेटे को देखकर उसके आँखों में आंसू गिरने लगे। मुँह से कांपते हुए शब्द निकले, “बेटा इतने दिनों बाद देख रहा हूँ, कितना दुबला हो गया है तू।”
बेटा बोला, “नहीं माँ वैसा ही तो हूँ, इतने दिनों बाद देख रही हो न इसलिए ऐसा लग रहा है। अच्छा देखो मैं तुम्हारे लिए क्या-क्या लाया हूँ।”
पर माँ को तो उन सब चीजों से ज्यादा अपने बेटे को जी भरकर देखने की इच्छा थी। वह बस उसे एक तक देखे जा रही थी। इसी तरह दो-तीन दिन निकल गए। माँ खूब बेटे ख्याल रखती उसके पसंद की चीजें बनाकर खिलाती और बेटा भी उनका पूरा ध्यान रखता था।
फिर एक दिन बेटे बोला, “माँ अब की बार तुम हमारे साथ चलो।” माँ बोली, “कहाँ बेटा?” बेटा बोला, “अमेरिका अपनी बहु और पोते को भी देख लेना।” माँ बोली, “हाँ हाँ देखना तो चाहती थी पर यह पुस्तैनी जमीन, घर कैसे छोड़कर जाऊंगी।” बेटा बोला, “अरे माँ यहाँ अकेली क्या करोगी? कौन देखभाल करेगा तुम्हारी? सब बेचकर चलेंगे।” माँ बोली, “नहीं बेटा, तुम्हारे पापा की यादें बसी है यहाँ। मैं इसे छोड़कर नहीं जा सकती।” बेटे ने फिर जिद करते हुए कहा, “अरे चलो न माँ वहां पर हम लोग हैं और यहाँ कौन हैं तुम्हे देखने के लिए।”
बार-बार बेटे के समझाने के बाद माँ किसी तरह तैयार हुई। बेटे ने ससारी प्रॉपर्टी बेच दी और सारा सामान पैक कर के माँ को लेकर एयरपोर्ट पहुंचा।
बेटा बोला, “माँ तुम बैठो मैं अभी आता हूँ।” माँ बोली ,”हाँ ठीक है बेटा।”
चार घंटे गुजर गए वह एक ही सीट पर बैठी अपने बेटे का इंतजार कर रही थी। वह नहीं आया। इसी तरह आठ-नह घंटे हो गए अब उसे घबराहट होने लगी और वह रोने भी लगी।
उसे रोता हुआ देख वहां से गुजरते हुए एक व्यक्ति ने पूछा ,”क्या हुआ माजी?”
तो उन्होंने बताया कि उसका बेटा उसे यहाँ कुछ देर में आने के लिए बोलकर गया था अभी तक नहीं आया। कहीं कोई अनहोनी तो नहीं। उस व्यक्ति ने उससे उसके बेटे का नाम पूछा और काउंटर पर जाकर पता करने की कोशिश करने लगा।
काफी देर पता करने के बाद उसे पता चला कि उसका बेटा तो छह घंटे पहले ही अमेरिका जा चूका है और टिकट भी उसने केवल अपना ही लिया था माँ के नाम से कोई भी टिकट बुक नहीं था।
उस आदमी ने आकर बताया, “माजी आपका बेटा तो अमेरिका जा चूका है छह घंटा पहले ही। आप अपना घर बताओ मैं आपको छोड़ देता हूँ।”
घर, बैंक बैलेंस, गहने सब खाली सब ख़त्म अब वह जाए तो जाए कहाँ। अब इस बुढ़ापे में कौन आश्रय देगा। उसका दिल पूरी तरह से टूट गया, उसे यकीन नहीं हो रहा था उसका अपना बेटा ऐसा कर सकता है। माँ का मन बहुत ही कोमल होता है।
आखिरकार उसने अपने आपको समझा लिया कि कोई जरुरत रही होगी तभी उसने ऐसा किया नहीं तो वह ऐसा कर ही नहीं सकता, मेरा बेटा है।
आखिरकार वह माँ हारकर किसी तरह अपने घर पहुंची, जिसे उसका बेटा बेच चूका था। माँ ने किसी तरह उस नए मकान मालिक को हाथ-पैर जोड़कर मनाया और उसी घर में झाड़ू-पोछा करती। वह किसी एक कोने में पड़ी रहती और इंतजार करता रहता कि एक दिन उसका बेटा उसे ढूंढते हुए आएगा और उसे साथ लेकर जायेगा। सिर्फ इंतजार, एक ऐसा इंतजार जो कभी ख़त्म होने वाला था ही नहीं।
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