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पैसा और परिवार | Heart Touching Story in Hindi

पैसा और परिवार | Heart Touching Story in Hindi

Posted on September 4, 2021

पैसा और परिवार की कहानी  Heart Touching Story in Hindi

 

पैसा और परिवार – Heart Touching Story in Hindi 

रमेश का एक छोटा सा परिवार था, जिसमें एक खूबसरत पत्नी और दो प्यारे बच्चे थे। उसकी पत्नी और बच्चे हर हाल में खुश थे। लेकिन रमेश उन्हें जिंदगी के सारे ऐशो-आराम देना चाहता था और इसके लिए वह प्रतिदिन 16 घंटे से भी अधिक काम किया करता। था दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद वह टूशन सेंटर में टूशन भी पढ़ाया करता था।

 

वह सुबह-सुबह घर से निकल जाता और आधी रात के बाद घर लौटता था। बच्चों के लिए उसका चेहरा देखना मुहाल था, क्यों कि सुबह-सुबह उसके घर से निकलते समय बच्चे सोते रहते और देर रात घर में कदम रहने के पहले ही सो चुके होते। हां, रविवार को जरूर वह घर पर होता। लेकिन उस दिन भी वह किसी न किसी काम में व्यस्त रहता और उसका समय परिवार के साथ न बीतकर काम करते हुए बीतता।  परिवार उसके साथ समय बिताने का बस इंतजार करता रह जाता।

 

पत्नी अक्सर उसे कहा करती थी उसे घर  बिताना चाहिए। बच्चे उसे बहुत मिस करते हैं। उस वक्त वह यही जवाब देता कि यह सब मैं उनके लिए ही तो कर रहा हूँ। बढ़ते घरेलु खर्च और स्कूल खर्च के लिए मेरा ज्यादा काम करना जरुरी है। मैं उन्हें एक अच्छी जिंदगी देना चाहता हूँ।

 

रमेश की यह दिनचर्या वर्षों जारी रही। वह यूँ की परिवार को अनदेखा कर कड़ी मेहनत करता रहा। इसका प्रतिफल भी उसे मिला। उसे पदोन्नति प्राप्त हुई, आकर्षक वेतन मिलने लगा। परिवार अब बड़े घर में रहने लगा। खाने-पिने और अन्य सुविधाओं की उन्हें कोई कमी न रह गई। लेकिन रमेश का यूँ की काम करना जारी रहा। वह अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहता था।

 

पत्नी पूछती थी, “आप पैसे के पीछे क्यों भाग रहें हैं? हमारे पास जो है हम उसमें खुश रह सकते हैं।” तो उसका जवाब होता कि मैं तुम्हें और बच्चों को दुनिया जहाँ की खुशिया देना चाहता हूँ। बस कुछ साल और मुझे मेहनत करने दो। पत्नी चुप हो जाती। दो साल और बीते। इन दो सालो में रमेश बड़ी मुश्किल से अपने परिवार के साथ समय बिता पाया। बच्चे अपने पिता को देखने, उससे बातें करने तरस गये।

 

इस बीच एक दिन , रमेश की किस्मत खुल गई। उसके दोस्त ने उसे अपने बिज़नेस में हिस्सेदारी की पेशकश की और इस तरह रमेश एक व्यवसायी बन गया। व्यवसाय अच्छा निकला और रमेश को पैसे की कोई कमी नहीं रह गई थी। उसका परिवार अब शहर के सबसे अमीर परिवारों में से एक था। उनके पास सभी सुख-सुविधाएँ और विलासिता थी। लेकिन अपने बच्चों से मिलने का समय उसके पास अब भी नहीं था। अब तो वह बहु मुश्किल घर पर पर रह पाता। उसका अधिकांश समय घर से दूर बिज़नेस दूर में बीतता।

 

साल गुजरने के बाद उसके बच्चे बड़े हो गए। अब वे किशोर अवस्था में पहुंच गए थे। रमेश ने भी इतने सालों में इतना पैसा कमा लिया था कि उसकी अगली पांच पीढ़ियां शानदार जीवन जी सकती थी। एक दिन रमेश के परिवार छुट्टी बिताने समुद्र तट स्थित अपने घर जाने की योजना बनाई। बेटी ने उससे पूछा, “पापा क्या आप एक दिन हमारे साथ बिताएंगे ?” रमेश ने जवाब दिया, “कल तुम लोग जाओ। मैं कुछ काम लिपटाकर दो दिन में वहां पहुँचता हूँ। उसके बाद का मेरा पूरा समय तुम लोगों का है।” पूरा परिवार बहुत खुश हो गया।

 

रमेश का परिवार समुद्र तट पर स्तिथ अपने घर पर चले गए। दो दिन बाद रमेश वहां पहुंचा। लेकिन उस दिन उसके साथ समय बिताने कोई नहीं था। दुर्भाग्य से वे सभी उस दिन सुबह आई सुनामी में बह गए थे। रमेश अपनी पत्नी और बच्चों को कभी नहीं देख सकता था। करोड़ो की संपत्ति होने के बाद भी वह  उनके साथ का एक भी पल नहीं खरीद सकता है। वह पछताने लगा। पत्नी के कहे शब्द उसे याद आने लगे – “आप पैसों के पीछे क्यों भाग रहें हैं? हमारे पास जो है हम उसी में खुश रह सकते हैं।”

 

इस कहानी से सीख – 

पैसा सब कुछ नहीं खरीद सकता।

 

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