सफलता की पहली सीढ़ी Hard Work Moral Story in Hindi
सफलता की पहली सीढ़ी – Hard Work Moral Story in Hindi
एक गाँव था। उस गाँव में दो दोस्त थे, हरियर और चन्द्रगुप्त। दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे यानि कोई भी अगर काम करना पड़ा तो वह दोनों साथ में ही करते। लेकिन इनका जो गाँव था उस गाँव में पानी की समस्या दिन व दिन बढ़ती जा रही थी। गाँव से दूर एक बहुत बड़ा तालाब था। उस तालाब से गाँव में पानी लाना पड़ता था बाल्टी से।
अब चन्द्रगुप्त और हरियर यह दोनों बड़े हो गए। और जो घर की पानी लाने की जिम्मेदारी थी वह इन दोनों पर आ गई। पहले दिन तो इनको अच्छा लगा लेकिन कुछ दिन बाद दोनों को वह काम पसंद नहीं आया। रोज सुबह उठकर दोनों को बाल्टी लेकर पानी लाने जाना पड़ता था।
इस काम को कैसे आसान बनाए जाए इस बारे में हरियर सोचने लगा। लेकिन चन्द्रगुप्त हरियर को कहने लगा, “कि यह काम तो हमारा रोज का है इस बारे में हमे क्या सोचना चाहिए।” इस बात पर हरियर वहां से उठकर अपने घर चला गया। हरियर की हालत देखकर उसकी माँ सोच में पड़ गई। उन्होंने कहा, “अरे आज कल तू खेलता भी नहीं है सोच में ही पड़ा रहता है।” तब हरियर ने कहा, “माँ इतना भारी काम मेरे जैसे आम लड़के से कैसे हो सकता है?” हरियर की माँ ने कहा, “भारी क्या होता है? जिस काम को हम ताणतणाव में आकर करते हैं वह भारी हो जाता है और जो काम हम पुरे इंटरेस्ट के साथ करते हैं वह आसान हो जाता है।”
हरियर की माँ ने उत्साह बढ़ाते हुए कहा, “कि ऐसा कोई काम नहीं जो मेरे बेटे ने ठान लिया और किया नहीं जा सकता।” उसके बाद हरियर ने दूसरे दिन कुदल और फावड़ा लेकर तालाब की ओर निकल गया। हरियर ने खोदना चालु किया। लेकिन उसका दोस्त चन्द्रगुप्त उसे समझाते हुए बोला, “यह काम हमसे नहीं होगा हम बाल्टी लेकर आना और चले जाना वहीं करेंगे। ” लेकिन हरियर नहीं रुका।
सब लोग हरियर के ऊपर हंस रहे थे। अब तो उसका दोस्त भी उसे पागल समझने लगा था। लेकिन हरियर ने अपना प्रयास नहीं छोड़ा। हरियर रोज सुबह उठता था कुछ मीटर खोदकर वापस घर चला जाता था और उसके बाद घर का पानी भरता था। जब उसकी हिम्मत टूट जाती थी तो उसकी माँ की बातें उसकी हिम्मत बड़ा देती थी।
ऐसा रोज चलता रहा। हरियर रोज जाता था और पाइपलाइन को डालकर फिर वापस चला आता था। ऐसा कुछ महीने तक चलता रहा और आखिरकार वह घर तक पाइपलाइन डालने में सफल रहा। अब पानी घर तक आने लगा। अब किसी को भी रोज तालाब में इतना दूर जाकर पानी लाने की जरुरत नहीं थी। उसकी माँ भी उसके किये पर बहुत खुश थी। लेकिन उसका जो दोस्त था चन्द्रगुप्त अपने आप को दोष दे रहा था कि हरियर ने जब उसको कहा तब उसने उसकी मदद क्यों नहीं की। हरियर भी कहने लगा, “कि आखिर तूने अगर उस वक्त मेरी मदद की होती तो आज यह काम बहुत जल्द हो जाता।”
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