उधार तो चुकाना ही होगा Udhaar To Chukana Hi Hoga Hindi Kahani
उधार तो चुकाना ही होगा – Hindi Kahani
एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे। धर्म-कर्म में यकीन करते थे। उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता वह उसे मना नहीं करते थे। सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि “भाई, तुम उधार कब लौटाओगे? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में?” जो लोग ईमानदार होते वह कहते, “सेठ जी हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज चुकता कर देंगे।” और कुछ लोग जो ज्यादा चालाक और बेईमान होते वह कहते, “सेठ जी हम आपका कर्ज अगले जन्म में उतरेंगे।” और अपने चालाकी पर वह मन ही मन खुश होते कि क्या मुर्ख सेठ है! अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है।” ऐसे लोग मुनीम से कह देते कि वह अपना कर्ज अगले जन्म में चुकाएंगे और मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था। जो जैसा कह देता मुनीम वैसा ही बही में लिख देत।
एक दिन एक चोर सेठ जी के पास उधार मांगने पहुंचा। उसे भी मालूम था की सेठ अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है। हालाँकि उसका मकसद उधार लेने से अधिक सेठ की तिजोरी को देखना था। चोर ने सेठ से कुछ रूपए उधार मांगे। सेठ ने मुनीम को बुलाकर उधार देने को कहा। मुनीम ने चोर से पूछा, “भाई, इस जन्म में लौटाओगे या अगले जन्म में?” चोर ने कहा, “मुनीम जी मैं यह रकम अगले जन्म में लौटाऊंगा।” मुनीम ने तिजोरी खोलकर उसे पैसे दे दिए।
चोर ने तिजोरी देख ली और तय कर लिया कि इस मुर्ख सेठ की तिजोरी आज रात में उड़ा दूंगा। वह चोर रात में ही सेठ के घर पहुँच गया और वही भैंसों के तबेले में छिपकर सेठ के सोने का इंतजार करने लगा। अचानक चोर ने सुना कि भैंसे आपस में बातें कर रही है और वह चोर भैंसों की भाषा ठीक से समझ पा रहा है।
एक भैंस ने दूसरी से पूछा, “तुम तो आज ही आई हो न बहन!” उस भैंस ने जवाब दिया, “हाँ, आज ही सेठ के तबेले में आई हूँ। सेठ जी के पिछले जन्म का कर्ज उतरना है और तुम कब से यहाँ हो?” उस भैंस ने पलटकर पूछा तो पहले वाली भैंस ने बताया, “मुझे तो तीन साल हो गए हैं, मैंने सेठ जी से कर्ज लिया था यह कहकर कि अगले जन्म में लौटाऊँगी। सेठ से उधार लेने के बाद जब मेरी मृत्यु हो गई तो मैं भैंस बन गई और सेठ के तबेले में चली आई। अब दूध देकर अपना कर्ज उत्तर रही हूँ। जब तक कर्ज की रकम पूरी नहीं हो जाती तब तक यहीं रहना होगा।”
चोर ने जब उन भैंसों की बातें सुनी तो होश उड़ गए और वहां बंधी भैंसों की ओर देखने लगा और वह समझ गया कि उधार चुकाना ही पड़ता है, चाहे इस जन्म में या अगले जन्म में उसे चुकाना ही होगा। चोर उलटे पाँव सेठ की घर की ओर भगा और जो कर्ज उसने लिया था उसे फटाफट मुनीम को लौटाकर रजिस्टर से अपना नाम कटवा लिया।
हम सब इस दुनिया में इस लिए आते हैं क्यों कि हमें किसी का लेना होता है तो किसी का देना होता है। इस तरह से प्प्रत्येक को कुछ न कुछ लेने देने के हिसाब चुकाने होते हैं। इस कर्ज का हिसाब चुकता करने के लिए इस दुनिया में कोई बेटा बनकर आता है तो कोई बेटी बनकर आती है, कोई पिता बनकर आती है तो कोई माँ बनकर आती है, कोई पत्नी बनकर आती है तो कोई पति बनकर आता है, कोई प्रेमिक बनकर आता है तो कोई प्रेमिका बनकर आता है, कोई मित्र बनकर आता है तो कोई शत्रु बनकर आता है, चाहे दुःख हो या सुख हिसाब तो सबको चुकाना पड़ता है। यह प्रकृति का नियम है।
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