दो दोस्तों की कहानी | Story of Two Friends in Hindi
दो दोस्तों की कहानी Story of Two Friends in Hindi
दो दोस्तों की कहानी
सुरेश और मुकेश दोनों बचपन के अच्छे और पक्के दोस्त थे। स्कूल की पढाई साथ-साथ ही पूरी की और अब कॉलेज की डिग्री भी दोनों ने साथ-साथ ही पूरी की। किस्मत की बात दो देखो, दोनों दोस्तों को एक ही कंपनी में अच्छी नौकरी भी मिल गई। सुरेश और मुकेश दोनों ही मेहनती थे।
कंपनी का मालिक उन दोनों से बहुत खुश रहते थे। समय अपने रफ़्तार से चलता गया और और यही कोई 5 साल बाद सुरेश को कंपनी का मैनेजर बना दिया गया। मुकेश आज भी एक जूनियर कर्मचारी ही था। दोस्त की मैनेजर बनने की ख़ुशी तो थी लेकिन मुकेश खुद को हारा हुआ महसूस करता था। उसे लगा कि मैं करता हूँ और कंपनी का मालिक मुझे भी मैनेजर बना सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। आखिर क्यों?
अगले दिन मुकेश गुस्से में ऑफिस आया और आते ही रिजाइन कर दिया। अब पुरे ऑफिस में खलबली का माहौल हो गया कि ऑफिस के इतने पुराने और मेहनती बन्दे ने अचानक रिजाइन क्यों कर दिया। कंपनी के मालिक ने मुकेश को बुलाया तो मुकेश ने कहा, “आपको मेहनती लोगों की कदर ही नहीं है आप तो सिर्फ चाप्लूश लोगों को ही मैनेजर बनाते हैं।”
कंपनी के मालिक ने मुस्कुराते हुए कहा, “चलो तुम जा ही रहे हो तो जाते-जाते मेरा एक छोटा सा काम कर दो। जरा बाजार जाकर देखो कोई आम बेच रहा है क्या।”
मुकेश बाजार गया और आकर बोला, “हाँ एक आदमी बेच रहा है।”
मालिक ने पूछा, “किस भाव में बेच रहा है?”
मुकेश फिरसे बाजार गया और आकर बोला, “40 रूपए किलो।”
अब मालिक ने सुरेश को बुलाया और कहा, “जरा बाजार जाकर देखो कोई आम बेच रहा है क्या।
सुरेश बाजार बाजार गया और वापस आकर बोला, “बाजार में केवल एक ही आदमी आम बेच रहा है, 40 रूपए भाव बता रहा था। मैंने थोड़ा मोलभाव किया तो 10 किलो 300 रूपए में देने को तैयार है अगर मंगवाने है तो मैं उसका फ़ोन नंबर भी ले आया हूँ। आप खुद ही मोलभाव कर सकते हैं।”
मालिक मुस्कुराये और मुकेश से बोले, “देखा यही फर्क है तुम में और सुरेश में। वैसे तुम भी मेहनती हो यह बात मैं अच्छी तरह जानता हूँ लेकिन इस पद के लिए सुरेश तुम से ज्यादा उचित है।”
मुकेश को सारी बात समझ आ गई और उसने रिजाइन वापस ले लिया। और फिर से कंपनी में काम करने लगा।
दो दोस्तों की कहानी (Story of Two Friends in Hindi) इस कहानी से हमने क्या सीखा –
दोस्तों यह मुकेश वाली समस्या हर इंसान के साथ होता है। जब हम किसी को सफल होते देखते हैं तो यही सोचते हैं कि मेहनत तो हम भी बहुत करते हैं पर हमारी किस्मत अच्छी नहीं है। कभी हालात तो कभी किस्मत को दोष देते हैं लेकिन कभी उस इंसान में और खुद में फर्क नहीं देखते। हमें देखना चाहिए कि क्यों वो इंसान सफल है, वो ऐसा क्या कर रहा है जो हम नहीं कर रहें हैं। हमें उन लोगों से कर खुद को बेहतर करना पड़ेगा तभी हम सफल हो पाएंगे।
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Sonali Bouri
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