नीम के पत्ते Neem Ke Patte Inspirational Hindi Story
नीम के पत्ते – Inspirational Hindi Story
एक महात्मा एक गाँव से थोड़ी दूर, एक शांत इलाके में अपनी कुटिया में अपने एक शिष्य के साथ रहते थे। दो शहरी नौजवान उनके पास अपनी समस्या लेकर आए। वे बोले, “महात्मा जी, हमने सुना है, आप हर समस्या का समाधान जानते हैं।” महात्मा जी बोले, “तुम निश्चिंत होकर अपनी समस्या बताओ।” वे बोले, “बात ऐसी है, हम लोग इस शहर में नए आए हैं, यहाँ दहशत का माहौल है, यहाँ आवारा लोगों का वसेरा है। सड़कों पर गुजरते हुए लोगों से बदतमीजी की जाती है, आते जाते लोगों को गलियां दी जाती है। लुक दबंग लोग शराब पीकर सड़क किनारे खड़े हो जाते हैं और सामने से गुजरते हुए लोगों के साथ बदसुलूकी करते हैं, उन्हें गालियां देते हैं,हाथापाई पर उतर आते हैं।” पहला नौजवान बोला, “हम परेशान हो गए, भला ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा, आप ही बताए?”
दोनों नौजवान की बात सुनकर महात्मा जी अपने आसन से उठे और यह बड़बड़ाते हुए कि, “यह समस्या बहुत गंभीर है, ” कुटिया के बाहर चल दिए। नौजवान ने बाहर जाकर देखा, वो शांत खड़े अपने कुटिया के सामने वाली सड़क को देख रहे थे। अगले ही पल वह मुड़कर दोनों नौजवानों से बोले, “बेटा एक काम करोगे?” महात्मा दूर इशारा करते हुए बोले, “यह सड़क देखो…जहाँ यह सड़क मुड़ती है, वही सामने के नीम का बहुत बड़ा पेड़ है, जरा मेरे लिए वहां से कुछ नीम के पत्ते तोड़ लाओगे।”
“जरूर महात्मा जी, जैसा आप कहे।” यह कहकर दोनों नौजवान ने कदम बढ़ा दिए। परन्तु महात्मा उन्हें रोकते हुए बोले, “ठहरो बेटा…जाने से पहले मैं तुम्हे बता दूँ, रास्ते में कई आवारा कुत्ते हैं, जो तुम्हे अपना शिकार बना सकते हैं और वह बहुत खूंखार है, तुम्हारी जान भी जा सकती है, क्या तुम वह पत्ते ला पाओगे?”
नौजवानों ने एक ददूसरे को देखा, और उनके चहरे के हाव भाव देख महात्मा समझ गए कि वह डरे हुए तो थे, परन्तु वहां जाने के लिए तैयार थे। दोनों नौजवान उस सड़क पर चल दिए। वह सड़क पर से गुजरे। रास्ते में उन्हें काफी आवारा कुत्ते सड़क किनारे बैठे मिले। उन्होंने कोशिश कि वह उन्हें पार कर जाएं, परन्तु यह करना आसान नहीं था। जैसे ही वह एक कुत्ते के करीब से गुजरे, कुत्ते ने उन्हें काट खाने वाली भूखी निगाहों से घुरा।। वह कोशिश करते उन्हें पार करने की, परन्तु यह करना जान जोखिम में डालने के बराबर था।
काफी देर इंतजार करने के बाद जान वे लौटे तब महात्मा ने देखा, उनके हाथ खाली थे और वह काफी डरे हुए थे। वे महात्मा के करीब आए और बोले, “हमें माफ़ कर दीजिये।” पहला नौजवान बोला, “यह रास्ता बहुत खतरनाक है, रास्ते में बहुत खूंखार कुत्ते थे, हम यह काम नहीं कर पाए।” दूसरा नौजवान बोला, “हमने दो चार कुत्तों को झेल लिया, परन्तु आगे जाने पर कुत्तों ने हम पर हहमला कर दिया। हम जैसे तैसे करने अपनी जान बचाकर वापस आए हैं।”
महात्मा बिना कुछ बोले कुटिया के अंदर चले गए, और अपने शिष्य को साथ लेकर बाहर आए। उन्होंने अपने शिष्य से वह पत्ते तोड़ने के लिए कहा। शिष्य उसी सड़क से गया। वह कुत्तों के बीच से गुजरा। परन्तु जब काफी देर बाद दोनों नौजवानों ने शिष्य को सड़क से वापिस अपनी ओर आते देखा, तब देखा उसके हाथ नीम के पत्तों से भरे थे। यह देखकर दोनों नौजवान भौचक्के रह गए
महात्मा बोले, “बेटा यह मेरा शिष्य है, यह अँधा है। हालाँकि यह देख नहीं सकता, परन्तु कौन सी चीज कहाँ पर है, इसे पूरा ज्ञान है। यह रोज मुझे नीम के पत्ते लेकर देता है। और जानते हो क्यों इसे आवारा कुत्ते नहीं काटते, क्यों कि यह उनकी तरफ जरा भी ध्यान नहीं देता।” महात्मा आगे बोले, “जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा, जिस व्यर्थ की चीज पर तुम सबसे ज्यादा ध्यान दोगे, वह चीज तुम्हे उतनी ही काटेगी। इसलिए अच्छा होगा, तुम अपना ध्यान अपने लक्ष पर रखो।”
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