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जादुई बांसुरी | Jadui Bansuri | Hindi Kahani

जादुई बांसुरी | Jadui Bansuri | Hindi Kahani

Posted on August 23, 2021

जादुई बांसुरी हिंदी कहानी Jadui Bansuri Hindi Kahani

 

जादुई बांसुरी हिंदी कहानी 

राजा मानसिंह के राज्य में खुशहाली देखते ही बनती है, सभी लोग यहाँ खुशी-ख़ुशी रहते हैं और राजा के लिए आदर और सम्मान का भाव रखते हैं। यहाँ के किसान खेती करके खुश रहते हैं और मजदुर अपनी मजदूरी करके। लोगों में जरा भी इर्षा भाव नहीं है। सभी लोग आपस में  मिलझुलकर भाईचारे और सौहार्द से रहते हैं।

 

मानसिंह के राज्य में बहुत सारे सुंदर-सुंदर बागान है, जिसमे तरह-तरह के फूल-फल पुरे वर्ष  मिलते हैं। इनके राज्य में एक अभयारण्य भी है, जिसमें ढेर सारे सुंदर-सुंदर पशु-पक्षी एक साथ रहते हैं। मानसिंह बहुत ही धर्मात्मा व्यक्ति हैं, वह पूजा-पाठ में विशेष ध्यान रखते हैं। इसके लिए उन्होंने सुंदर-सुंदर मंदिरों का निर्माण भी पुरे राज्य में करवाया है। उनके इस धार्मिक कार्य से यहाँ की जनता अपने राजा को विशेष धन्यवाद करती हैं।

 

राजा मानसिंह के यहाँ सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, कि पिछले कुछ महीनो से भय और असुरक्षा को लेकर काफी चिंता होने लगी। क्यों की पुरे राया में खेती ख़राब हो रही थी, घर में सामान सुरक्षित नहीं रह रहा था और यहाँ तक कि खाने-पिने की वस्तुए भी ठीक प्रकार से नहीं रह पा रही थी।

 

पुरे राज्य में कुछ अदृश्य शक्तियां लोगों को परेशान कर रही थी, जिसके कारण यहाँ की जनता अब परेशान होकर राज्य को छोड़ने पर विवश हो रही थी। राजा मानसिंह को यह चिंता सताने लगी कि यह यहाँ की जनता से राज्य आबाद है। अगर यहाँ कोई नहीं रहेगा तो यह राज्य अस्तित्ववाद नहीं रहेगा इसका कोई वजूद नहीं रहेगा। यह एक भुतहा खंडर के अलावा और कुछ नहीं रहेगा। इसलिए राजा मानसिंह प्रजा से अधिक परेशान थे, उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।

 

राजा मानसिंह ने पुरोहित को बुलाकर राज्य में आ रहे संकटो से अवगत कराया और ज्योतिष शास्त्र का भी सहारा लिया। काफी चिंतित मनन करने पर बात सामने आई , पुरे राज्य में कुछ अदृश्य शक्तियां जागृत हुई है  जिसके कारण यहाँ की जनता परेशान है। इस अदृश्य शक्ति को राज्य से बाहर कर दिया जाए या उन्हें समाप्त  कर दिया जाए तो फिरसे राज्य में खुशहाली आ जाएगी।

 

सभी पुरोहितों से विचार-विमर्श करके निर्णय लिया गया, लिए आश्रम से सिद्ध तपस्वी को बुलाना पड़ेगा उनके द्वारा ही यह इस संकट को टाला जा सकता है। राजा ऋषि से सहायता मांगते हैं बहुत को भगाने के लिए। वह स्वयं पैदल चलकर तपस्वी के आश्रम गए, उन्हें दंडवत प्रणाम करअपने राज्य में आ रही सभी विपत्तियों और संकट से अवगत कराया।

 

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तपसवी ने तुरंत सभी परिस्तिथियों को जानकर उनकी सहायता करने को तैयार हो गया। तपस्वी ने राजा को आश्वासन देकर उन्हें वापस अपने राज्य जाने का आदेश दिया और उन्होंने कहा, “कल सुबह आकर मैं इन सभी अदृश्य शक्तियों को तुम्हारे राज्य से मुक्त कराने में सहायता करूँगा।

 

राजा अपने राज्य आकर आश्वस्त थे कि तपस्वी ने उनकी सहायता के लिए वचन दिया है वह अवश्य ही इस संकट से हमारे राज्य को बाहर निकालेंगे। सवेरा होते ही पुरे राज्य में एक मधुर ध्वनि का संसार हो रहा था। सभी लोग हैरान थे कि इतनी मधुर ध्वनि किस ओर से आ रही है जो इतनी आकर्षक और इतनी मनमोहक लग रही है।

 

सभी लोग आश्चर्यचकित होकर इस ध्वनि के स्रोत को ढूंढ रहे थे, किंतु यह मधुर ध्वनि अदृध्य शक्तियों को अच्छी नहीं लग रही थी, वह इस मधुर ध्वनि से परेशान होकर इस ध्वनि के स्रोत के पास पहुंचे। वहां पहुंचकर देखा  एक तपस्वी बांसुरी से इस मधुर ध्वनि को बजा रहा है। उन अदृश्य शक्तियों ने तपस्वी को ऐसा करने से मना किया किंतु तपस्वी उनकी बातें अनसुनी कर निरंतर ध्वनि का संचार कर रहे थे।

 

धीरे-धीरे यह अदृश्य शक्ति के शक्तियों को छीन कर रही थी। सभी अदृश्य शक्तियों ने एक साथ मिलकर तपस्वी पर हमला करने का सोचा किंतु कोई भी सफल नहीं हो पाया। क्यों कि वह तपस्वी सिद्ध पुरुष थे। तपस्वी का अहित करना अदृश्य शक्तियों के वश में नहीं था। काफी मसक्कत के बाद सभी एक साथ मिलकर हाथ जोड़कर तपस्वी के समाने खड़े हो गए और अपनी अस्तित्व की रक्षा के लिए क्षमा याचना करने लगे।

 

तपस्वी ने उन्हें एक शर्त पर छोड़ने का वचन लिया की वह भविष्य में किसी व्यक्ति को बेवजह परेशान नहीं करेंगे। सभी अदृश्य शक्तियों ने तपस्वी को एक स्वर में वचन दिया और राजा के राज्य से दूर चले गये। राजा मानसिंह ने तपस्वी को दंडवत प्रणाम कर उन्हें धन्यवाद दिया और वहां के जनता ने भी तपस्वी के तपस्या और और उनके निस्वार्थ सेवा के लिए सराहना किया और उन्हें पप्रणाम कर उन्हें कोटि-कोटि धन्यवाद किया उनकी बजह से आज उनके प्राण संकट से बाहर हैं।

 

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