एक मदारी की कहानी Ek Madari ki Kahani in Hindi
एक मदारी की कहानी
एक बार एक जगह पर बहुत बड़ा मेला लगा हुआ होता है। उसमे एक मदारी अपना कर्तव्य दिखा रहा था अपना कमाल दिखा रहा था। वैसे तो बहुत से मदारी अक्सर जमीन के एक तरफ बम्बू गाड़ देते हैं और दूसरी तरफ दूसरी बम्बू गाड़ देते हैं और बीच में एक रस्सी बांध देते हैं और फिर उस पर चलते हैं लेकिन यह मदारी कुछ अलग ही कर रहा था। इसके गोद में एक छोटा सा बच्चा था और वह बच्चे को लेकर उस रस्सी के ऊपर चल रहा था।
इस घटना को देखकर मेले में जितनी भी लोग थे सारे के सारे उस मदारी को देखने के लिए आ गए और उसे बहुत ही हैरानी से देखने लगते हैं। मेले में एकदम सन्नाटा सा छा गया क्यों कि सारी पब्लिक उसे ही देख रही थी।
जैसे-जैसे वह मदारी अपने कदम बड़ा रहा था सब उसे देख रहे थे। यह मदारी चलते-चलते उस रस्सी का आधा फासला तय कर लेता है। फिर उसने जैसे तैसे करके रस्सी को पार कर ही लिया और निचे उतर गया।
वह मदारी जैसे ही निचे उतरा तो सारी पब्लिक जोर से चिल्ला रही थी, सीटियां बजा रही थी, तालियां बजा रही थी और खुश हो रही थी। तो उस मदारी ने एक माइक लेकर जोर से सभी लोगों को कहा, “क्या आपको मुझमे विश्वास है? क्या मैं यह फिरसे कर सकता हूँ?” तो पब्लिक जोर से चिल्लाते हुए कहती है, “हाँ तुम यह फिरसे कर सकते हो हमें विश्वास है तुम यह फिरसे कर लोगे।”
फिर मदारी उनसे एक बात और कहता है जिसे सुनकर सभी लोग एकदम से चुप हो जाता है। वह मदारी माइक में यह कहता है, “तो लाइए मुझे अपना बच्चा दीजिए, मैं उसे लेकर इस रस्सी पर चलता हूँ।” फिर वह मदारी दूसरी बार पब्लिक से पूछती है, “क्या मैं इस रस्सी पर फिरसे चल सकता हूँ?” इस बार पब्लिक की तरफ से कोई भी आवाज नहीं आती है सभी शांत रहते हैं।
मदारी मुस्कुराते हुए माइक को लेकर लोगों से कहता है ,”अभी तो आपको मुझ पर विश्वास था कि मैं यह कर सकता हूँ और अभी आपका विश्वास मुझपर से पूरा खत्म हो गया।”
दोस्तों यह छोटी सी कहानी हमें हमारे जीवन में एक सीख सीखा जाती है। वह मदारी पब्लिक से कहता है की विश्वास दो तरह की होती है पहला विश्वास होता है बिलीव जो कि आपको कुछ समय पहले मुझपर था और बिलीव कभी भी टूट सकते हैं और दूसरा विश्वास होता है ट्रस्ट जो कि आपको मुझपर नहीं था। आपको मुझपर बिलीव था और आपके बिलीव को टूटने में सेकंड भी न लगा।
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