गरीब बाप के बेटे की नौकरी Heart Touching Emotional Story in Hindi
गरीब बाप के बेटे की नौकरी – Heart Touching Emotional Story in Hindi
पढाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने के चाह में इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा। छात्र ने बड़ी आसानी से पहला इंटरव्यू पास कर लिया। अब फाइनल इंटरव्यू कंपनी के डायरेक्टर को लेना था और डायरेक्टर को यह तय करना था कि उस छात्र को नौकरी पर रखा जाए या नहीं।
डायरेक्टर ने छात्र का सीवी देखा और पाया कि पढ़ाई के साथ-साथ यह छात्र ईसी में भी हमेशा अव्वल रहा।
डायरेक्टर – क्या तुम्हे पढाई के दौरान कभी छात्रवृत्ति मिली।
छात्र – जी नहीं।”
डायरेक्टर बोला – इसका मतलब स्कूल-कॉलेज की फीस तुम्हारे पिता अदा करते थे।
छात्र – जी हाँ श्रीमान।
डायरेक्टर – तुम्हारे पिताजी क्या काम करते हैं?
छात्र – जी वह लोगों के कपड़े धोते हैं।
यह सुनकर कंपनी के डायरेक्टर ने कहा, “जरा अपने हाथ तो दिखाना।
छात्र के हाथ रेशम की तरह मुलायम और नाजुक थे।
डायरेक्टर – क्या तुमने कभी कपड़े धोने में तुम्हारे पिताजी की मदद की है?
छात्र – जी नहीं, मेरे पिता हमेशा यही चाहते थे कि मैं पढ़ाई करूँ और ज्यादा से ज्यादा किताबें पढूं। हाँ एक बात और, मेरे पिताजी बड़े तेजी से कपड़े धोते हैं।
डायरेक्टर – क्या मैं तुम्हे एक काम कह सकता हूँ।
छात्र – जी आदेश कीजिये।
डायरेक्टर – आज वापस घर जाने के बाद अपने पिताजी का हाथ धोना फिर कल सुबह मुझसे आकर मिलना।
छात्र यह सुनकर प्रसन्न हो गया उसे लगा कि अब नौकरी मिलना पक्का है, तभी तो डायरेक्टर कल फिर बुला रहें हैं।
छात्र ने घर आकर ख़ुशी-ख़ुशी अपने पिता को यह सारी बातें बताई और अपने हाथ दिखाने को कहा। पिता को थोड़ा हैरानी। लेकिन फिर भी उसने बेटे की इच्छा का मांग करते हुए अपने दोनों हाथ नेते के हाथ में दे दिए।
छात्र ने पिता के दोनों हाथों को धोना शुरू किया। कुछ देर में ही धोने के साथ ही उसके आँखों से आंसू झरझर झरने लगे। पिता के हाथ एकदम शख्त और जगह-जगह से कटे हुए थे। यहाँ तक कि जब भी वह कटे निशानों पर पानी डालता चुभन का एहसास पिता के चहरे पर साफ झलक जाता था।
छात्र को जिंदगी में पहली बार एहसास हुआ कि यह वही हाथ है जो रोज लोगों के कपड़े धो-धोकर उसके लिए अच्छे खाने, कपड़े और स्कूल के फीस का इंतजाम करते थे। पिता के हाथ का हर छाला सबूत था उसके अकादमिक करियर की एक-एक कामियाबी का। पिता के हाथ धोने के बाद छात्र को पता ही नहीं चला कि उसने उस दिन के बचे हुए सारे कपडे भी एक-एक करके धो डाले। उसके पिता रोकते ही रह गए। लेकिन छात्र अपने धुन में कपड़े धोता ही चला गया। उस रात बाप-बेटे ने काफी देर तक बातें की।
अगली सुबह छात्र फिर नौकरी के लीये कंपनी के डायरेक्टर के ऑफिस में पहुंचा। डायरेक्टर का सामना करते हुए छात्र की आंखे गिली थी।
डायरेक्टर – तो फीर कैसा रहा कल गघर पर? क्या तुम अपना अनुभव मेरे साथ शेयर करना पसंद करोगे।”
छात्र – जी हाँ श्रीमान, कल मैंने जिंदगी का एक वास्तविक अनुभब सीखा। नंबर एक – मैंने सीखा कि सराहना क्या होती है। मेरे पिता न होते तो मैं पढाई में इतनी आगे नहीं आ सकता था। नंबर दो – पिता की मदद करने से मुझे पता चला कि किसि काम को करना कितना शख्त और मुश्किल होता है। नंबर तीन – मैंने रिश्तों की एहमियत पहली बार इतनी सिद्दत के साथ महसूस की।”
डायरेक्टर – यही सब है जो मैं अपने मैनेजर में देखना चाहता हूँ। मैं यह नौकरी केवल उसे देना चाहता हूँ जो दुसरो की मदद की कद्र करे। ऐसा व्यक्ति, जो काम दौरान दुसरो की तकलीफ भी महसूस करे। ऐसा शख्स जिसने सिर्फ पैसे को ही जीवन का धैर्य न बना रखा हो। मुबारक हो, तुम इस नौकरी के पुरे हक़दार हो।”
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