सच्चा प्यार किसे नहीं चाहिए, जिसे मिलता है वह उस प्यार की कदर नहीं करता है ओर जिसे नहीं मिलता है वह थोड़ा सा प्यार पाने को भी तरस जाता है, तो दोस्तों मेरे ब्लॉग पर आप सबका फिरसे स्वागत है और आज मैं आपसे एक ऐसी Sad Love Story in Hindi शेयर करने जा रही हूँ जो डेफिनेटली आपको बहुत ज्यादा पंसद आएगा।
Wo Bewafa Thi Sad Love Story in Hindi
पियूष शर्मा, मिडिल क्लास फॅमिली का लड़का था। वह बहुत ही हैंडसम और अट्रैक्टिव था और साथ ही साथ पढाई में भी बहुत अच्छा था। 12th में अच्छा स्कोर करने की बजह से शहर के टॉप कॉलेज में उसे एडमिशन मिल गया था। उसका दोस्त राजीव मेहता जो की एक बड़े फॅमिली से बिलोंग करता था। उसने भी उसी कॉलेज में एडमिशन लिया था। राजीब के के पिता बहुत बड़े बिजनेसमैन थे तो उनके घर में नौकरों और गाड़ियों की कमी न थी। राजीव अपने पर्सनल कार से ही कॉलेज जाता था। कॉलेज की लड़किया खूब इम्प्रेस्सेड थी उससे।
राजीव दिल का बहुत अच्छा था। वह अपने दोस्त पियूष को भाई मानता था। उसको अपनी कार में कॉलेज लाता और घर भी छोड़ देता था। वह दोनों घंटो साथ बिताते थे राजीव पियूष को महंगे गिफ्ट्स भी दिया करता था इसलिए कॉलेज में सब यही सोचते थे कि पियूष भी बहुत अमीर है, जबकि ऐसा नहीं था।
बात राजीव की बर्थडे पार्टी की है, जहाँ उसके बहुत सारे दोस्त आए हुए थे, उनमे से एक थी दिव्या। दिव्या को देखते ही पियूष को उससे पहली नजर में ही प्यार हो गया था। दिव्या थी ही इतनी सुन्दर। बड़ी बड़ी गहरी काले आंखे, लंबे बाल किसी अप्सरा से कम नहीं थी वह। पियूष थोड़ी सी हिम्मत करे उसके पास गया। वहां पर और भी लोग खड़े थे इसलिए वह कुछ बोल ही नहीं पाया। बाद में राजीव से ही उसे कि वह उन्ही की कॉलेज की एक स्टूडेंट है और उसका दोस्त भी है और अमीर माँ-बाप की एक लोती बेटी है।
पियूष ने अपनी मन की बात राजीव से कह दी। अब राजीव ने उनकी फ्रेंडशिप करवाने की सोची। राजीव की कोशिश रंग लाई और दोनों में दोस्ती हो गई। 14 फेब्रुअरी का दिन था यानि वैलेंटाइन्स डे। राजीव को यह बिलकुल सही मौका लग रहा था पियूष के लिए। तो राजीव ने पियूष से कहा कि तुम दोनों अच्छे को दोस्त बन चुके हो, दिव्या को आज प्रोपोज़ कर दो। राजीव ने सारे इंतजाम पहले से ही कर रखे थे। पियूष को बस उसकी मन की केहनी थी तो हिम्मत करके पियूष ने दिव्या को वैलेंटाइन्स डे के दिन प्रोपोज़ कर ही दिया।
पियूष अट्रैक्टिव था, हैंडसम भी था और दिव्या उसे पसंद भी करने लगी थी इसलिए दिव्या ने उसे झट से हाँ कर दी। पियूष भी बहुत खुश था दिव्या को गर्लफ्रेंड के रूप में पाकर। उनकी जोड़ी बहुत जचती थी। पियूष के लिए वैलेंटाइन्स डे सबसे यादगार दिन बन गया था। दिव्या को पाना उसके लाइफ का सबसे बड़ा सपना था।
कॉलेज का एक साल कब बीत गया पता ही नहीं चला। अगला वैलेंटाइन्स डे आ गया। इस बार भी राजीव ने पियूष और दिव्या के लिए अच्छे से रेस्टुरेंट भी सभी अरेंजमेंट करवा दिए थे और अपनी गाड़ी भी पियूष को दे दी थी। दिव्या और पियूष बहुत खुश थे। यह वाला वैलेंटाइन्स डे भी एकदम अच्छा गया।
दिव्या दिल की तो अच्छी तो अच्छी थी लेकिन वैसे वह मस्त मौला स्वभाव की थी, थोड़ी जिद्दी, बेपरवाह लड़की थी। किसी भीबात को सीरियसली नहीं लेती थी। वहीं दूसरी तरफ पियूष हर बात को गंभीरता से लेने वाला, परवाह करने वाला लड़का था। उसकी एक खास आदत भी थी हर रोज डायरी लिखने की और आज तो उसने कई पन्ने लिखकर भर दिए थे।
अब कॉलेज खत्म हो चूका था। पियूष को एक अच्छी कंपनी में जॉब भी मिल चुकी थी। दिव्या और पियूष अब भी मिलते थे लेकिन पियूष के जॉब के कारन पहले से दोनों का मिलना काफी कम हो गया था। एक दिन जब दोनों मिले तो पियूष ने दिव्या से शादी करने की बात कही लेकिन दिव्या का जवाब सुनकर वह हैरान रह गई। उसने कहा, “मुझे लाइफ में बहुत कुछ करना है, मैं स्टडी के लिए लंदन जा रही हूँ। हम दोनों की स्टेटस मैच नहीं करते। तुम्हारे साथ जो टाइम स्पेंट किया वह अच्छा था। मेरा बॉयफ्रेंड कॉलेज का सबसे हैंडसम और इंटेलीजेंट लड़का था यह मेरे लिए बड़ी बात थी लेकिन तुमसे शादी करने की बात मैंने कभी नहीं सोची।”
पियूष उसकी बात सुनकर एकदम हैरान हो गया। वह कुछ बोल ही नहीं पाया और चुपचाप वहां से चला गया। अब पियूष का स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा। वह हर पल उदास रहने लगा। किसी काम में उसका मन ही नहीं लगता था। घरवाले भी परेशान हो गए थे उसकी ऐसी हालत देखकर। राजीव ने उसे खूब समझाया और आगे बढ़ने की सलाह दी। पर वह कहते है न वक्त बड़े से बड़े जख्म को भर देता है। पियूष भी अब समझ चूका था। घरवालों ने उसकी शादी एक साधारण सी पढ़ी लिखी लड़की के साथ उसकी शादी करा दी। उसका नाम स्नेहा था। अपने नाम की तरह सबको प्यार करने वाली स्नेह से भरी हुई लड़की थी स्नेहा। उसके सरल स्वभाव ने सबका दिल जीत लिया था लेकिन पियूष दिव्या को भूल नहीं पा रहा था, स्नेहा को इतना प्यार नहीं दे पा रहा था जितना की वह हक़दार थी।
इधर स्नेहा को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था क्यूंकि पियूष का स्वभाव तो बहुत अच्छा था फिर भी उसे कुछ कमी सी महसूस हो रही थी। फिर एक दिन कमरे की सफाई करते वक्त स्नेहा को पियूष की डायरी मिली। वह सारा मामला समझ चुकी थी। उसने किसी को कुछ नहीं बताया बस अपने हिसाब से सब कुछ हैंडल करने की सोची। एक हप्ते बाद वैलेंटाइन्स डे आने वाला था। उसने 14 फेब्रुअरी को फिरसे पियूष के लिए एक यादगार दिन बनाने का प्लान बनाया।
अखिर वह दिन आ ही गया। स्नेहा ने अपने कमरे को गुब्बारों से और फूलों से सजा दिया था और साथ ही अपने हाथों से एक बड़ा केक भी बनाया। पियूष को उस दिन वैसे भी दिव्या के साथ बीते हुए पल याद आ रहे थे। वह बहुत उदास था तो राजीव से मिलने चला गया। स्नेहा को फ़ोन करके कह दिया कि डिनर बाहर करके आएगा और रात को लेट आएगा।
उस दिन पियूष रात के 12 बजे घर लौटा। जैसे ही पियूष कमरे में आया तो देखता ही रह गया। पूरा कमरा स्नेहा के प्यार से और फूलों की खुशबू से महक रहा था। स्नेहा ने घुटनो पर बैठकर और हाथों में गुलाब का फूल लेकर पियूष से कहा, “will you be my valentine?” पियूष ने स्नेहा को गले से लगा लिया। दोनों का दिल जोर से धड़क रहा था और पलके भीगे हुए थी। स्नेहा ने डायरी के बारे में पियूष सब बता दिया। पियूष ने स्नेहा का हाथ अपने हाथों में लेकर उससे उम्र भर प्यार करने का वादा किया और उससे माफ़ी भी मांगी। आज पियूष को उसका सच्चा प्यार मिल गया था।
आप लकी है अगर आपको वह मिल जाए जिसे आप चाहते हैं लेकिन आप दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान है अगर आपको वह मिल जाए जो आपको चाहताहो।
उम्मीद है आपको यह लव स्टोरी Wo Bewafa Thi | Sad Love Story | Sad Love Story in Hindi जरूर अच्छी लगी होगी अगर अच्छी लगे तो कमेंट करे और शेयर भी जरूर करें।
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