विश्वास की जीत Vishwas Ki Jeet Story in Hindi
विश्वास की जीत
किसी राज्य के मुख्यमंत्री की मौत हो गई। राजा चाहता था कि उसकी जगह पर किसी योग्य व्यक्ति का चुनाव किया जाए। लेकिन राजा के लिए अपने राज्य में किसी समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति का चुनाव करना सरल नहीं था। मुख्यमंत्री के पद के लिए बहुत से लोगों के नाम सामने आए पर राजा चाहता था कि वहां एक ऐसा व्यक्ति आए जो सही माइनो में इस पद की योग्यता रखता हो।
राजा ने लोगों की कई तरह की परीक्षा ली। आखिर में सैकडों लोगों में से तीन लोगों को चुन लिया गया। अब समस्या यह थी कि उन तीनों के बीच कौनसी प्रतियोगिता रखी जाए जिससे किसी एक व्यक्ति का चुनाव हो सके।
अंत में यह निश्चय किया गया कि उन तीनो को ही एक कमरे में बंद किया जाये और दरवाजे पर एक ऐसा ताला लगा दिया जाए जिसे गणितीय फॉर्मूले की चाबी से ही खोला जा सकता हो।
परीक्षा के लिए एक दिन तय किया गया। तीनों प्रतियोगी को बता दिया गया कि उन्हें परीक्षा के लिए कितने बजे आना है। उनमे से दो तो उसी समय बाजार गए और गणित से जुडी बहुत से किताबें खरीदकर लाए। वह दीवानो की तरह पढाई करने लगे ताकि उन्हें ताले के चाबी का गणितीय फार्मूला मिल सके।
परीक्षा का दिन भी आ गया। उन तीनों को एक बड़े कक्ष में ले जाया गया जिसका वैभव देखने लायक था। उन्हें वहां बहुत स्वादिष्ट भोजन परोसा गया। उन तीनों ने उस ताले को भी देखा जिसे दरवाजे पर लगाया जाना था। उन प्रतियोगी में से दो तो अपने साथ कई तरह के किताबें ले आए। उन्हें लगता था कि किताबों से ताला खोलने का कोई फार्मूला मिल जाए।
तीसरा प्रतियोगी मस्त था। उसे मानो कोई चिंता ही नहीं थी। दोनों व्यक्तियों ने तीसरे व्यक्ति का मजाक उड़ाते हुए बोला, “तुम्हे लगता है कि तुम सब जानते हो?” जब बाकि दोनों कमरे में घूमने के बाद ताले को उलट पलट करने में लगे थे तो तीसरा व्यक्ति वहां आराम से बैठकर अपने भोजन का स्वाद ले रहा था।
रात को कमरे में ताला लगा दिया गया। उनमे से जो भी पहले उस कमरे से बाहर निकलता उसे ही मुख्यमंत्री बनाया जाना था। बाकि दो विद्वान अपने किताबों में सिर खपाए फार्मूला खोजते रहे और तीसरा मजे से बिस्तर पर जाते ही खर्राटे भरने लगा।
वह दोनों तीसरे को देखकर हंसने लगे। उन्हें लगा यह व्यक्ति मंदबुद्धि का है जिसे कोई प्रतियोगिता की चिंता ही नहीं है। उसने परीक्षा आरंभ होने के बाद से किसी भी तरह का अध्ययन तक नहीं किया था। वह दोनों प्रतियोगी भी थक हारकर सो गए। जब वह उठे तो सूरज सिर पर चढ़ आया था। वहां तीसरा प्रतियोगी कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा था।
दोनों प्रतियोगी दरवाजे से बाहर आए तो उन्होंने राजा को बाग में खड़ा देखा। राजा बोले, “सज्जनों मैंने अपना नया मुख्यमंत्री पा लिया है। आप सबके प्रयासों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।” उनके पीछे ही तीसरा प्रतियोगी खड़ा था।
दोनों प्रतियोगी हैरानी से उसे ताकते ही रह गए। वह दोनों तीसरे व्यक्ति से कहने लगे “तुमने ताला कैसे खोला यह कैसे संभव हुआ !”
व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं तो केवल दरवाजे के पास गया और हैंडल घुमा दिया। दरवाजा तो बंद ही नहीं था। मुझे लगा कि हल खोजने से पहले समस्या को तो जान लेना चाहिए। मुझे अपने परमात्मा पर भरोसा था कीवे मुझे मेरे बंद रास्ते भी खोल देगा। जहाँ पर विश्वास होता है वहां परमात्मा सारे बंद रास्ते भी खोल देता है।” इसलिए परमात्मा पर अपना विश्वास कायम रखे, यकीनन परमात्मा हमें हर मुश्किल से निकाल देता है।”
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