समय का कदर
Motivational Story in Hindi
एक छात्र उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गया। उसका छात्रावास महाविद्यालय से थोड़े ही दूर था। विद्यालय का समय सुबह 8 बजह का। था पहले दिन यह छात्र अपने कमरे में तैयार हो रहा था। तभी 8 बज गए। फिर भी वह आराम से चलता हुआ विद्यालय पहुंचा। वहां उसने देखा कि सब छात्र कक्षा में आ चुके हैं और पढाई भी प्रारंभ हो चुकी है।
शिक्षक ने भारतीय छात्र को कक्षा में बैठने की अनुमति तो दे दी लेकिन कहा ,”आप समय पर बिलकुल भी नहीं आते हो।” अगले दिन उस छात्र में समय पर विद्यालय आने का प्रयास किया परन्तु वह 5 मिनट देर से पहुंचा। शिक्षक ने फिरसे कहा, “आप भी आप समय पर कक्षा में नहीं पहुंचे।” दो बार कक्षा में सबके सामने टोकने से वह छात्र लज्जित हो गया। उसने देखा कि उसके अलावा और कोई छात्र देर से नहीं आता था। इसलिए तीसरे ही दिन उसने विशेष प्रवंध किये और 15 मिनट पहले ही विद्यालय में पहुंच गए। उसने देखा की कक्षा का दरवाजा बंद है और वहां एक भी छात्र और शिक्षक भी नहीं था। जब 8 बजने में 4 मिनट रह गए तब चपरासी आया और उसने दरवाजा खोला।
दरवाजा खोलने के पश्चात 2-3 मिनट में ही सारे छात्र और शिक्षक भी आ गए। ठीक 8 बजे घंटा बजा और पढाई प्रारंभ हो गई। एक भी छात्र देर से नहीं आया था। वह छात्र प्रसन्न था कि आज वह देर से नहीं बल्कि समय पर कक्षा में आया है। परन्तु उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब शिक्षक ने फिर कहा, “आप समय का ध्यान नहीं रखते।” छात्र ने कहा, “सर आज मैं देर से नहीं आया बल्कि 15 मिनट पहले ही आ गया था। फिर भी आप ऐसा क्यों कह रहें हैं?”
इस पर शिक्षक ने मुस्कुराकर कहा, “2-4 मिनट देर से आना भी ठीक नहीं है लेकिन 15 मिनट पहले आकर कक्षा के बाहर खड़े रहना भी अच्छा नहीं है। इन मिनटों में आप अपने कमरे में कुछ अध्ययन कर सकते थे।”
इस तरह अमेरिकी अध्यपक ने भारतीय छात्र को समय के महत्व का ज्ञान करा दिया।
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