सभी में गुण Sabhi Me Gun Story in Hindi
सभी में गुण
सभी लोग एक दिन खड़े होकर यह चर्चा कर रहे थे कि दुसरो की कमी निकालना तो कितना आसान होता है लेकिन अपने भीतर सुधार लाना कितना मुश्किल होता है। राजगुरु को भी लग रहा था कि यह बात सही नहीं है। तेनालीरामन शांत बैठे रहे। उन्होंने एक शब्द भी नहीं बोला।
कुछ ही देर में एक कलाकार अपना एक चित्र लेकर दरबार में आया। उसे महाराज और अन्य दरबारियों को दिखाया। वे एक स्त्री का बहुत सुंदर चित्र था। महाराज को चित्र पसंद आई और उन्होंने चित्र को सराह पर दरबारी चित्र में कमिया निकालने लगे। उन्हें इतने सुंदर चित्र में भी कमिया ही कमिया दिखाई दे रही थी।
तेनाली को लगा कि अब राजगुरु को एहसास दिलाने का यही सही मौका है। उनकी सोच अनुचित थी। लोग दुसरो की कमिया तो बहुत जल्दी निकाल देते हैं पर उन्हें यह पता नहीं होता कि अपनी या दुसरो की बोलो में सुधार कैसे किया जाता है।
तेनाली महाराज से बोले, “हमें इस चित्र को चोहराये पर रखवा देना चाहिए। लोगों से कहा जाए कि उन्हें चित्र में जो कमिया दिखाई दे वह उस पर गोला डाल दे। लोग इस चित्र को सही तरह से परख सकते हैं। महाराज को उपाय पसंद आ गया। उन्होंने उस चित्र को चोहराये पर रखवा दिया और लोगों से कहा गया कि वह उस चित्र की कमिया निकालने के लिए उस पर गोले का निशान लगा दे।
देखते ही देखते लोगों ने चित्र को गोलों के निशान से भर दिया। उन्हें चित्र के आंख, नाक, कान, बाल, पोशाक, आभूषण आदि जहाँ-जहाँ कमी दिखाई दी उन्होंने उन पर निशान लगा दिए।
चित्र को शाम को महल में वापस लाया गया तो लोगों ने देखा कि चित्र पर तरह-तरह के निशान लगे हैं पर सुधार का कोई उपाय ही नहीं दिख रहा।
तेनाली बोले कि अब इस चित्र को कल नई निर्देश के साथ दोबारा चोहराई पर रखा जाए। हमें यह देखना है कि राज्य के लोग चित्र के प्रति क्या रवैया दिखाते हैं।
महाराज बोले, “तेनाली इससे हमें क्या पता चलेगा।”
तेनाली बोला, “महाराज आप मेरे कहने पर ऐसा करे तो सही,सारी बात आपके सामने साफ़ हो जाएगी।
अगले ही दिन लोगों ने उस चित्र को दोबारा चोहराई पर देखा और निर्देश लिखा जिन्होंने भी चित्र में कमिया निकाली है कृपा बताए कि उन गलतियों को कैसे सुधारा जाए। पिछले दिन तो वहां भीड़ लगी हुई थी पर आज सारादिन एक भी व्यक्ति चित्र के पास नहीं भटका और न ही किसी सुधार का कोई उपाय दिया।
चित्र को शाम को वापस महल में लाया गया। चित्र में पिछले दिन लगाए गए सारे निशान मौजूत थे पर किसी ने भी उन भूलो को सुधारने के लिए अपनी ओर से कोई उपाय नहीं दिया था। हैरानी की बात तो यह थी कि इतने बड़े राज्य में चित्र की भूल को सुधारने का उपाय किसी के पास नहीं था।
तेनाली राजगुरु को देखकर मुस्कुराये और राजगुरु जान गए कि तेनाली ने एक शब्द भी आलोचना किए बिना ही उन्हें उनकी भूल का एहसास करा दिया।
हमें भी दुसरो की कमिया नहीं निकालनी चाहिए। गलती निकालना तो आसान है लेकिन सुधार करना उतना ही मुश्किल है। इसलिए अपने आपको बेहतर बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय लगाए दुसरो की आलोचना के लिए आपके पास समय ही नहीं बचेगा। जब अधिक से अधिक समय हम अपने आपको सुधारने में लगाएंगे तो हमारा ध्यान दुसरो की ओर नहीं जाएगा।
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