Skip to content

Kahani Ki Dunia

Iss Duniya Mein Jane Kuch Naya

Menu
  • Home
  • Hindi Stories
  • Full Form
  • Business Ideas
  • Contact us
  • Web Stories
Menu
लोभ ही मुसीबत की जड़

लोभ ही मुसीबत की जड़ | Kahani in Hindi

Posted on July 28, 2021

 

लोभ ही मुसीबत की जड़  Lobh Hi Musibat Ki Jad Kahani in Hindi

 

लोभ ही मुसीबत की जड़

किसी शहर में चार ब्राह्मण मित्र रहते थे। वे बेचारे बहुत ही गरीब थे। वे हर रोज सोचते – हम क्यों गरीब है? हमारे साथ के बहुत से लोग अमीर है। वे भी हमारे जैसे ही तो इंसान है।

धनि बनने के चक्कर में वे चारों के चारों अपने घर से निकलकर उज्जैन नगरी में पहुंच गए। वहां पर उन्हें एक तपस्वी साधु मिला। उसके चरणों में प्रणाम करके वे चारों बैठ गए।

साधु  ने उनसे पूछा, “तुम लोग यहाँ क्या करने आये हो?”

उन चारों ने साधु के चरणों में गिरकर कहा, “महाराज हम ब्राह्मण पुत्र है किंतु निर्धन होने के कारण बहुत दुखी है। इसलिए जैसे भी हो हमें अमीर बनने का रास्ता बताओ।”

उन चारों लड़को पर साधु को दया आ गई। तभी उन्होंने चार बत्तिया देकर कहा, “इन्हे ले जाकर तुम ऊँचे पहाड़ पर चढ़ जाओ, फिर इन्हे एक – एक करके फेंकना। जहाँ पर भी बत्ती गिरेगी वहीं पर तुम्हे खजाना मिलेगा।”

जैसे ही चारों ब्राह्मण पहाड़ पर चढ़े, उनमे से एक ने अपनी बत्ती फेंकी। जहाँ पर वह बत्ती गिरी उस स्थान पर खोदने से बहुत सा ताम्र निकला।”

उस ताम्र को देखकर तीनों ब्राह्मण बोले, “ये तो बेकार है। इससे हम अमीर नहीं बन सकते। चलो और आगे चलते हैं।”

लेकिन चौथे मित्र ने उनकी बात ना मानते हुए, “नहीं, मेरे लिए तो यही काफी है। अब मैं और आगे नहीं जाऊँगा।”

उसे वहीं छोड़कर तीनों ब्राह्मण आगे चल दिए।

कुछ आगे जाने पर दूसरे ब्राह्मण ने अपनी बत्ती फेंकी। उस स्थान को खोदने से चांदी मिल गई।

उसने खुशी से कहा, “भाई लोगों अब हमें और आगे जाने की जरुरत नहीं है। इससे हम अमीर बन ही जाएंगे।”

उसकी बात सुनकर दोनों ब्राह्मण ने कहा, “भाई देख, पहले ताम्र मिला अब चांदी और अब यदि आगे जाएंगे तो सोना मिलेगा। इसलिए हम दोनों आगे जाते हैं।”

यह कहकर बाकि दोनों ब्राह्मण आगे बढ़ गए।

जैसी ही वे आगे गए तो तीसरे ने अपनी बत्ती फेंकी। उस स्थान को खोदने पर सोना मिल गया।

वह सोने को पाकर अपने साथी को बोला, “भाई अब और आगे जाने की जरुरत नहीं है। अब तो हमें सोना मिल गया है।”

लेकिन चौथा साथी, वह कहने लगा, “भाई हो सकता है आगे हमें हीरे मिल जाए। पहले तामा फिर चांदी फिर सोना अब तो हीरे मिलेंगे हीरे। मैं तो अब हीरे लेने जा रहा हूँ। तुम बेशक यही पर रहो।”

यह कहकर वह ब्राह्मण आगे बढ़ता गया।

दूर पहाड़ी पर चढ़ उसने एक ऐसे प्राणी को देखा जिससे सिर पर एक चक्र घूम रहा था और बेचारा खून से लतपत खड़ा था।

उसे देखकर वह उस व्यक्ति के पास जाकर बोला, “भाई तुम्हे क्या हो गया है?”

अभी वह बोल ही रहा था कि चक्र उसके सिर पर से हटकर उस ब्राह्मण के सिर पर आ गया। वह डर और पीड़ा से तड़पते हुए कहने लगा, “यह क्या हो गया भाई?”

वह व्यक्ति बोला, ‘”भाई इस खुनी पहाड़ी पर मैं भी धन के लोभ  ऐसे ही बत्ती लेकर आया था। मेरे आने से पहले ये किसी और व्यक्ति को जकड़े बैठा था। मैंने उसके पास जाकर अपने लोभ की कहानी सुनाई तो यह मुझे ही पकड़कर बैठ गया। और अब तुम्हे।”

इसी बीच उसके तीन साथी उसे ढूंढते हुए आ गए। उसे इस प्रकार जकड़े देखकर सब हैरान रह गए और उसे कहने लगे, “तू लोभ में आकर ही तो फसा है। लोभ ही सब दुखो की जड़ है।”

 

आपको यह कहानी कैसी लगी हमें निचे कमेंट करके जरूर बताए फ्रेंड्स और अगर अच्छा लगे तो शेयर भी जरूर करे।

 

यह भी पढ़े:-

  • बुद्धा और भिखारी
  • एक चीते की कहानी
  • सभी में गुण
  • सांवली लड़की की कहानी
  • मन के ऊपर जीत
  • विश्वास की जीत

 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Post

  • NIOS Full Form: NIOS Board क्या है पूरी जानकरी हिंदी में
  • Top 5 High Salary Banking Courses in Hindi | Best Banking Jobs After 12th
  • KVPY Exam क्या है | What is KVPY Exam in Hindi
  • What is No Cost EMI in Hindi | No Cost EMI क्या होता है
  • NASA Scientist कैसे बने | How to Become a NASA Scientist
©2023 Kahani Ki Dunia | Design: Newspaperly WordPress Theme