कहते हैं वक्त बड़ा अजीब होता है, इसके साथ चलो तो किस्मत बदल देता है और न चलो तो किस्मत को ही बदल देता है। तो चलिए सुनते हैं एक कहानी किस्मत का खेल Kismat Ka Khel Story in Hindi.
किस्मत का खेल
किसी गाँव में भोला नाम का एक लकड़हारा अपनी पत्नी और अपने दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ एक छोटी सी पुराणी सी झोपडी में रहता था। वह प्रतिदि जंगल में जाता, लकड़ी काटकर लाता और उसे बेचकर खाने का सामान लेकर आता था। काफी समय से उसकी यह दिनचर्या चली आ रही थी और असेही उसकी परिवार की गाड़ी चल रही थी लेकिन जीवन के हर दिन एक से तो नहीं होते।
धीरे-धीरे उसमे कार्य करने की शक्ति घटती गई और नतीजा यह हुआ कि उसे अपनी रोजी रोटी कमाने में भी परेशानी होने लगी। परेशानियों ने उसे चारों ओर घेर लिया परन्तु जीवित रहने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही है।
एक दिन रोज की तरह वह लकडिया काटने जंगल में गया। दोपहर का समय, तेज धुप थी, थोड़ी देर में उसे चक्कर आने लगा। वह एक बड़े से पेड़ के निचे बैठ गया और थकान के कारण कुछ ही देर में उसे नींद ने आ घेरा।
जिस पेड़ के निचे वह लेटा था उस पर तोतो का एक जोड़ा रहता था। उनकी खूबी यह थी कि वे मनुष्य की भाषा में बोल लेते थे। सहयोग से जिस समय लकड़हारा वहां सो रहा था उसी समय तोतो का वह जोड़ा भी वहां पेड़ पर बेठा हुआ था।
लकड़हारे को नींद में सोया देखकर उनमे से एक ने कहा, “देखो तो बेचारा कितना थक जाता है, रोज इतनी कड़ी मेहनत के बावजूद भी परेशान रहता है। हमें इसकी कुछ सहायता करनी चाहिए।”
लकड़हारा नींद में था परन्तु उसने अपने पास ही किसी को बोलते सुनकर चौंककर उठ बेठा। उसे अपनी चारों ओर कोई भी न दिखाई दिया। फिर उसकी नजर ऊपर की ओर गई। तोतो के जोड़े को देखकर और उन्हें मनुष्य की भाषा में बोलते देख वह हैरत से चौंक पड़ा।
लकड़हारे को इस स्तिथि में देख उनमे से एक ने कहा, “हाँ हम ही बोल रहें हैं, हम बात कर रहें हैं कि इतनी कड़ी मेहनत करते हो तब भी परेशान रहते हो। हम सब कुछ देखते, समझते हैं। उनकी बात समझकर लकड़हारा निराशा भरी आवाज में बोला, “अब क्या करूँ मेरे भाग्य में जितना है उतना ही मिलेगा। भला कोई क्या कर सकता है?”
तोता उसकी बात सुनकर बोला, “हाँ भाई ठीक कहते हो, सब कुछ किस्मत का ही खेल है लेकिन जब जो मिलता होता है उसे कोई टाल भी नहीं सकता। वह तभी मिलता है पहले नहीं मिलता।”
लकड़हारे ने चौंकते हुए कहा, “क्या मतलब….मैं समझा नहीं कि तुम क्या कहना चाहते हो।”
तोते ने उसे समझाते हुए कहा, “अब तुम अपने भाग्य को ही ले लो। इतने समय से तुम इस जंगल में आ रहे हो लेकिन यह नहीं जानते कि एक बड़ा खजाना तुम्हारे कितने पास है।”
लकड़हारा आश्चर्या से बोला, “खजाना और मेरे पास! मेरे जैसे निपट निर्धन खजाना? क्यों मजाक उड़ाते हो मेरा। मैं ही गरीब मिला बेवकूफ बनाने को। कहाँ मैं और कहाँ खजाना। यह तो मैं सपने में भी सोच सकता।”
तोते ने बड़े विश्वास के साथ कहा, “नहीं भाई यह बात झूटी ही है। तुम जिस स्थान पर बैठे हो उसके ठीक निचे एक बड़ा खजाना छुपा है। विश्वास न हो तो खोदकर देख लो।”
तोते की सुनकर लकड़हारे की उत्सुकता जागी और उसने जमीन को खोदना शुरू कर दिया। काफी देर तक खोदने के बाद भी जब जमीन के भीतर कुछ नहीं मिला तो पसीने-पसीने होते हुए व्वह झल्लाकर बोला, “क्यों बेवकूफ बनाते हो मुझे मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है जो मुझसे ऐसा खिलवाड़ कर रहे हो।” यह कहकर वह वहां से जाने लगा।
तोते ने उसे आवाज देकर बुलाया और कहा, “नाराज क्यों होते हो भाई? मैं सच कह रहा हूँ…बस तुमसे इतना ही कह सकता हूँ कि तुम्हे ख़जाना प्राप्त होने का समय शायद अभी आया नहीं है। मुझे अच्छी तरह से याद है कि एक बार कुछ छोर राजा के यहाँ से चोरी करके जंगल से निकल रहे थे, राजा के सिपाही उनका पीछा करते-करते निकट आ गए थे तो पकडे जाने के भय से उन्होंने चोरी का कीमती सामान इस पेड़ के निचे गाड़ दिया था और भाग निकले थे। फिर न जाने क्या हुआ, उसके बाद से यहाँ कोई नहीं आया। यह बात हम दोनों के अलावा और कोई नहीं जानता। तुम एक बार प्रयास करो, किस्मत का खेल है नतीजा अच्छा भी हो सकता है।”
तोतो की बात से लकड़हारे को फिर उम्मीद जागी और उसने जमीन को खोदना शुरू किया। थोड़ी देर के खुदाई के बाद उसे जमीन के अंदर कुछ चमकती हुई चीज दिखाई दी। यह देखकर उसने वहां तक पहुंचने का प्रयास प्रारंभ कर दिया।
थोड़ी देर उसके हाथों में एक चमकीला पात्र था, जिसके अंदर कीमती आभुषण, मुद्राएं आदि रखी थी। वह यह सब देख ख़ुशी से नाच उठा। उसे अपने आँखों के सामने सच पर विश्वास नहीं हो रहा था।
तोतो ने भी खुशी प्रकट करते हुए कहा, “देखा, तो यह है किस्मत का खेल। यह तुम्हारे भाग्य में था और इसी समय इसी पल में मिलना तय था, जिसे कोई भी नहीं टाल सका। इसे ले जाकर अपना जीवन सवारों और जीवन के शेष दिन आरामसे बिताओ।”
लकड़हारे ने तोतो को लाख-लाख धन्यवाद दिया। अपने किस्मत के इस मोड़ के लिए उपरवाले का आभार व्यक्त किया और धन लेकर ख़ुशी-खुसी घर को चल दिया।
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