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बुद्धा और भिखारी | Hindi Story

बुद्धा और भिखारी | Hindi Story

Posted on July 27, 2021

(बुद्धा और भिखारी  Buddha And Beggar Hindi Story)

 

Buddha And Beggar Hindi Story

एक समय की बात है, एक बेघर भिखारी था और वह खाना इकट्ठा करता था। उसने यह ध्यान दिया की हर दिन उसका खाना गायब हो जाता है। उसने उस चूहे को पकड़ा जो उसका खाना चुराता था।

उसने चूहे से कहा, “अरे चूहे तू मेरा खाना क्यों चुराता है? मैं तो एक गरीब भिखारी हूँ। चुराना है तो अमीरों का खाना चुरा, उन्हें पता भी नहीं चलेगा।”

चूहे ने कहा, “यही मेरे भाग्य में है कि मैं तुमसे चुराऊँ। क्यों की तुम्हारे भाग्य में भी यही है कि तुम अपने पास केवल आठ चीजे ही रख सकते हो। चाहे तुम कितनी भी भीख मांग लो या कितना भी इकट्ठा कर लो तुम केवल उतनी ही चीजे रख पाओगे।”

यह सुनकर उस बेघर आदमी को सदमा लगा और उसका दिल भी टूट गया। भला कौन ऐसी किस्मत पाना चाहेगा।

वह बेघर इंसान निश्चित करता है कि वह भगवान बुद्ध से मिलेगा और अपनी इस समस्या का समाधान पूछेगा। इस तरह वह बेघर इंसान यात्रा  पड़ता है बुद्ध को ढूंढने।

वह इंसान पुरे दिन यात्रा करता है और शाम को अपने आप को एक धनि परिवार के घर के सामने पाता है।

थका हुआ और भूखा प्यासा वह रात बिताने का फैसला करता है। उसने दरबाजा खटखटाया तो घर के मालिक ने दरबाजा खोला।

Contents

  • 1 Buddha And Beggar Hindi Story
  • 2 Buddha And Beggar Hindi Story
  • 3 Buddha And Beggar Hindi Story
  • 4 यह भी पढ़े:-

Buddha And Beggar Hindi Story

बेघर आदमी ने कहा, “मैं एक यात्री हूँ इस इलाके में नया हूँ। क्या मुझे यहाँ रात बिताने की जगह मिलेगी?”

घर का मालिक उसे अंदर ले जाता है। रात में जब वे खाना खाते वक्त बातें कर रहे थे तो घर का मालिक उससे पूछता है, “भाई क्यों और कहा के लिए इतनी रात को यात्रा कर रहे थे?”

उस गरीब इंसान ने कहा, “मेरे पास बुद्धा के लिए एक सवाल है और मैं उन्ही से मिलने जा रहा हूँ।”

जब उस घर के मालकिन ने यह सुना तो उसने कहा, “क्या आप हमारी तरफ से भी एक सवाल बुद्धा से पूछ सकते हैं?”

उस बेघर इंसान ने कहा, “बताइए, मैं आपकी तरफ से उनसे जरूर पूछूंगा।”

मालकिन ने कहा, “हमारी षोला साल की बेटी है जो बोल नहीं सकती। हमें बस पूछना है कि हमें क्या करना होगा जिससे वह बोलना शुरू कर दे।”

अगली सुबह ही बेघर इंसान उन्हें आश्रय देने के लिए धन्यवाद करता है और कहता है कि वह उनका सवाल बुद्धा से जरूर पूछेगा।

वह अपनी यात्रा दोबारा शुरू करता है लेकिन कुछ ही दूर चलने के बाद वह पहाड़ों का एक झुण्ड देखता है, जिन्हे उसे पार करना होगा। वह एक पहाड़ पार करता है और उसे एक जादूगर मिलता है।

बेघर इंसान जादूगर से पूछता है, “क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो इन पहाड़ों को पार करने में।”

जादूगर उसे अपनी छड़ी में पीछे बैठाता है और पहाड़ों को पार करा देता है।

जादूगर उस बेघर इंसान से पूछता है, “तुम कहाँ जा रहे हो और इन पहाड़ों को क्यों पार कर रहे हो?”

बेघर इंसान ने कहा, “मैं जाकर बुद्धा से मिलकर अपने भाग्य के बारे में पूछना चाहता हूँ।”

जादूगर उस इंसान से आज्ञा करता है कि वह उसका भी एक सवाल बुद्धा से पूछे। जादूगर उसे बताता है कि वह पिछले एक हजार सालों से स्वर्ग जाने की कोशिश कर रहा है और उसकी शिक्षा के अनुसार उसे अब तक स्वर्ग में चले जाना चाहिए था। तो क्या वह बुद्धा से पूछ सकता है की उसे क्या करना होगा स्वर्ग जाने के लिए।”

वह बेघर इंसान बुद्धा से सवाल पूछने का वचन देता है और आगे बढ़ जाता है।

कुछ घंटे चलने के बाद उसे एक आखरी रूकावट मिलती है, एक गहरी नदी जिसे वह पार नहीं कर सकता। लेकिन सौभाग्य से उसे नदी किनारे एक बड़ा सा कछुआ मिलता है  जो उसे नदी पार कराने का फैसला करता है।

जब वे नदी पार कर रहे होते हैं तो कछुआ उसे पूछता है, “तुम कहाँ जा रहे हो?”

बेघर इंसान ने कछुए से कहा, “मैं बुद्धा से मिलने जा रहा हूँ और मैं बुद्धा से अपने भाग्य के बारे में एक सवाल पूछने जा रहा हूँ।”

Buddha And Beggar Hindi Story

यह सुनकर कछुए ने कहा, “क्या तुम मेरे लिए उनसे एक सवाल पूछोगे? मैं पिछले पांचसौ सालों से एक ड्रैगन बनने की कोशिश कर रहा हूँ। मेरे शिक्षा के अनुसार से मुझे अब तक ड्रैगन बन जाना चाहिए था। क्या तुम बुद्धा से पूछ सकते हो मुझे क्या करना होगा ड्रैगन बनने के लिए?”

वह इंसान नदी पार कराने के  कछुए से धन्यवाद करता है और उससे वादा करता है कि वह उसका सवाल बुद्धा से जरूर पूछेगा।

वह बेघर इंसान बुद्धा ढूंढने की यात्रा जारी रखता है और आखिरकार वह पहुंच जाता है वहां जहाँ बुद्धा रहता थे।

वह भिखारी मठ के पास पहुँचता है और एक गहरी लंबी साँस लेकर सोचता है, “आखिर आज मैं मिलूंगा महान बुद्धा से।”

वह उत्साहित और अनादपूर्वक से मठ के अंदर जाते हैं। वह बुद्धा को प्रणाम करते हुए कहता है , “मैं एक गरीब बेघर इंसान हूँ और दूर देश से आपसे कुछ सवाल पूछने आया हूँ। क्या मैं आपसे वे सवाल पूछ सकता हूँ?”

बुद्धा ने कहा, “हाँ बिलकुल पूछ सकते हो। लेकिन मैं सिर्फ तीन सवालों के जवाब दूंगा।”

वह इंसान हैरान हो गया। क्यों की उसके पास तो चार सवाल थे।

उसने बुद्धा से कहा, “लेकिन मेरे पास तो चार सवाल है।”

बुद्धा ने कुछ उत्तर नहीं दिया। वह बस ध्यान में बैठे रहे। तब उस बेघर इंसान ने बड़े ध्यान से सोचा। पहले वह उस कछुए के बारे में सोचता है। बेचारा कछुआ पांचसौ सालो से है उस गहरी नदी में ड्रैगन बनने की आश में। कितनी  मुश्किल होगी उसकी जिंदगी उस गहरी नदी में। फिर वह जादूगर  के बारे में सोचता है जो हजार सालो से जी रहा है, स्वर्ग में जाने की कोशिश में। वह बेघर इंसान सोचता है कि हजार साल तो बहुत लंबा समय होता है अब तो तो उस जादूगर को स्वर्ग जाना ही चाहिए। आखिर में वह उस लड़की के बारे में सोचता है जो अपनी पूरी जिंदगी जीने बाली है बिना कुछ बोले। वह सोचता है कि बिना कुछ बोले कैसे वह लड़की अपनी पूरी जिंदगी जिएगी। यह तो क्रूरता है, पाप है।

Buddha And Beggar Hindi Story

फिर वह अपनी तरफ देखता है और सोचता है कि मैं तो बस एक बेघर भिखारी हूँ। मैं वापस अपने शहर जकर भींख मांगना जारी रख सकता हूँ। मुझे इसकी आदत है। मेरा तो कुछ नहीं बदलेगा लेकिनउन लोगों का वह सब कुछ बदल सकता है यदि उन्हें उनके सवालों के जवाब मिल जाए तो।

जब उसने दुसरो के समस्या की ओर देखना शुरू किया तो उसे खुद की तकलीफ कम दिखने लगी तथा उसने उनके तीन सवालों को पूछने का निदेश लिया।

गरीब इंसान ने बुद्धा से कछुए के बारे में पूछा।

बुद्धा ने कहा ,”वह कछुआ अपना ढांचा छोड़ने को तैयार नहीं है। जब तक वह अपने ढांचे से बाहर नहीं आएगा वह कभी ड्रैगन नहीं बन सकता।”

फिर उस बेघर इंसान ने उस जादूगर के बारे में पूछा, “वह जादूगर हमेशा अपनी छड़ी अपने पास रखता है कभी उसे निचे नहीं रखता। उसकी छड़ी उसे स्वर्ग जाने से रोक रही है।”

अब बेघर इंसान ने उस लड़की के बारे में पूछा।

बुद्धा ने कहा, “वह लड़की जरूर बोल पाएगी जब वह अपने हमसफ़र से मिलेगी।”

अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर पाकर वह बेघर इंसान महान बुद्धा को प्रणाम करता है और ख़ुशी ख़ुशी वहां से चल देता है।

रास्ते में वह उस कछुए से मिला से मिलता है।

उसने कछुए से कहा, “तुम्हे बस अपना ढांचा निकलना पड़ेगा और तुम ड्रैगन बन जाओगे।”

वह कछुआ अपना ढांचा निकालता है और उस ढांचे के अंदर बेस कीमती मोती थे जो गहरे समुंदर में मिलते हैं। और वह उस बेघर इंसान  को दे देता है।

कछुआ उस बेघर इंसान का धन्यवाद करता है और ड्रैगन बनकर वहां से उड़ जाता है।

अब वह इंसान उस जादूगर से मिलता है एक बड़ी पहाड़ी में और उससे कहता है, “आपको बस अपनी छड़ी जमीन पर रखनी होगी और आप स्वर्ग  जा पाओगे।”

यह सुनने के बाद वह जादूगर अपनी छड़ी उस बेघर इंसान को देता है और स्वर्ग की ओर चल पड़ता है।

अब उस बेघर इंसान के पास कछुए का दिया हुआ धन था और उस जादूगर की छड़ी भी थी। वह उस जादू की छड़ी में बैठकर उस परिवार के पास जाता है जिसने उन्हें रात में रुकने का आश्रय दिया था।

वह परिवार उसे देखकर बहुत खुश हुए और जवाब की उम्मीद करने लगे।

बेघर इंसान उन्हें बताता है, “आपकी बेटी बोल पाएगी जब वह अपने जीवनसाथी से मिलेगी।”

उसी क्षण उनकी बेटी निचे आई और बोली, “क्या यह वही आदमी है जो पिछले हप्ते भी आया था।”

वह लड़की और उसके माता-पिता हैरान था। वह उस बेघर इंसान की तरफ देखते हैं, वही उस लड़की का हमसफ़र था। माता-पिता ने उनकी शादी तय कर दी और वे ख़ुशी-खुशी रहने लगे।

 

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