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Best Motivational Story in Hindi

अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है? | Best Motivational Story in Hindi

Posted on July 10, 2021

दोस्तों यदि दुखों ने आपको भी घेरा हुआ है और आपको अपने जीवन में निराशा ही निराशा मिल रही है तो इस दिल छूने वाली कहानी ( Best Motivational Story in Hindi) को जरूर पढ़िएगा तो आपको जीवन का मूल्य समझमें आएगा।

 

Best Motivational Story in Hindi

परिवार में सुख और शांति किसे अच्छी नहीं लगती लेकिन राधेश्याम जी के घर जैसे सुख शांति रूठ ही गई थी। रोज-रोज तनाव और क्लेश से तंग आकर राधेश्याम जी ने अंत में न चाहते हुए भी अपने दोनों बेटों के बच्च बटवारा ही कर दिया।

राधेश्याम जी के दो बेटे थे, बड़ा सोहन और छोटा रोहन। सोहन की पत्नी रत्ना बहुत ही नेकदिल महिला थी। घर परिवार को अच्छे से संभलकर रखना उसे बहुत अच्छी तरह से आता था। रत्ना के शादी के थोड़े समय बाद ही राधेश्याम जी के पत्नी का निधन हो गया था।

बड़ी बहु होने के नाते अपने परिवार को रत्ना ने अपने बिखरते परिवार को बहुत अच्छे से संभाल लिया था। परिवार की स्तिथि की देख-रेख के कारण पढ़ी लिखी होते हुए भी जॉब नहीं की थी। अपने ससुर जी का भी रत्ना बहुत ध्यान रखती। समय आने पर राधेश्याम जी ने अपने छोटे बेटे रोहन की शादी नीलम से कर दी।

नीलम भी पढ़ी लिखी लड़की थी और सरकारी स्कूल में टीचर की पद पर थी। शुरू शुरू में तो सब ठीक था, रत्ना अपनी देवरानी बहन नीलम का सम्मान रखती लेकिन नीलम को अपनी नौकरी का बहुत घमंड था। उसे लगता है कि वह तो कमाती है फिर वह सोचने लगी कि घर के कामों में फिर वह क्यों सहयोग करे।

रत्ना के बच्चे अभी छोटे थे। साथ में बुजुर्ग ससुर जी की भी ढेर सारे काम हो जाते थे, इसके साथ घर के काम होते थे जिन्हे रत्ना अकेली ही करती थी। जब कभी नीलम की सहयोग करने को रत्ना कहती तो नीलम लड़ाई शुरू कर देती थी, ऐसे ऐसे कड़वे बोल बोलती कि उन्हें सुनकर रत्ना रो देती।

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अपनी सीधी बहु का यह हाल देखकर राधेश्याम जी को बहुत दुःख होता है। इससे तंग आकर राधेश्याम जी ने अपने दोनों बेटो को अलग कर दिया और खुद रत्ना और सोहन के साथ रहने लगे। रोहन और नीलम घर के पिछले हिस्से में रहने लगे। यही तो चाहती थी नीलम कि अलग हो और अपने तरीके से रहना।

रोहन को भी अपनी पत्नी का व्यवहार देख अलग रहना ही उचित लगा। अपनी नौकरी और सुंदरता का नीलम का इतना घमंड था कि रत्ना के कभी सामने पड़ने पर भी मुँह फेर लेती थी। कभी रत्ना कुछ पूछती तो नीलम अपना मुँह फेर लेती थी। तंग आकर रत्ना ने नीलम से कुछ पूछना ही छोड़ दिया।

समय बीतता गया और कुछ समय बाद नीलम प्रेगनेंट हुई। प्रेगनेंसी में कुछ परेशानी के कारण रोहन ने नीलम से कहा कि वह भैया और भावी के घर चली जाए कुछ दिनों के लिए क्यों की उसे नौकरी के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए बाहर जाना था। और कहा कि वहां रत्ना भावी उसका अच्छे से ख्याल रखेगी और मुझे भी चिंता नहीं रहेगी।

नीलम को रोहन की यह बात पसंद नहीं आई और कहा कि वह अपना ध्यान खुद रख सकती है उसे रत्ना भावी से सेवा कराने का कोई शौक नहीं है। नीलम की बातें सुनकर रोहन चुप हो गया और वह काम से बाहर चला गया।

रोहन के जाने के बाद एक दिन तो आरामसे बिता लेकिन आधी रात में नीलम के कमर में हल्का दर्द शुरू हो गया। दर्द धीरे-धीरे और बढ़ता जा रहा था और अब नीलम डरने लगी। उसने रोहन को फ़ोन किया और कहा कि उसके कमर और पेट में बहुत दर्द हो रहा है। नीलम का तो 9 महीना चल रहा था इसलिए रोहन भी बहुत परेशान हो गया।

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रोहन चाहते हुए भी उस समय नहीं आ सकता था कल सुबह से पहले। उसने नीलम से कहा कि तुम चिंता मत करो मैं अभी भैया को फ़ोन कर देता हूँ। रोहन ने तुरंत अपने भाई को फ़ोन कर सारी बात बताई और तुरंत ही रत्ना और सोहन नीलम के पास पहुँच गए। देखा तो नीलम दर्द से तड़प रही थी।

रत्ना को देख नीलम को बहुत तसल्ली मिली और अपनी जेठानी का हाथ थाम रोने लगी। रत्ना ने नीलम को संभालते हुए कहा, “परेशान न हो नीलम हम अभी डॉक्टर के पास चलते हैं।”

तुरंत नीलम को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया, पता चला कि नीलम को लिवर पैन शुरू हो गया था। डॉक्टर ने कहा कि आज ही नीलम की डिलीवरी आज ही होगी। तुरंत रोहन को  सरी स्तिथि बताई गई। सुबह होते-होते नीलम ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया। पुरे समय रत्ना और सोहन बच्चे के देखभाल में रहने लगे।

रत्ना की सेवा देख नीलम का मुँह शर्म से निचे हो जाता है। आज अपने किए पर नीलम को बहुत शर्म आ रही थी, कितना बुरा व्यवहार उसने अपनी बहन सम्मान जेठानी से किया था। 10 दिन बाद नीलम अपने बच्चे के साथ घर आई। शाम को बच्चे के नामकरण के वक्त नीलम ने अपने बेटे को रत्ना के गोद में दे दिया और कहा, “यह लीजिए भावी और मेरे बच्चे का सा नाम रख दीजिए।”

रत्ना ने नीलम से कहा कि यह तो उसका हक़ है। नीलम ने फिर रत्ना से कहा, “अगर भावी उस उस दिन आप और जेठ जी नहीं आते तो शायद आज मैं और मेरा बच्चा शायद जिंदा न होते। मरे इतने बुरे व्यवहार के बाद भी आपने मेरा इतना साथ दिया अगर हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिए भावी।”

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नीलम की बातें सुनकर रत्ना ने नीलम को गले लगा लिया। अपने परिवार को वापस एक साथ देख राधेश्याम जी भी ख़ुशी से नम हो गई।

 

तो दोस्तों उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है? | Best Motivational Story in Hindi जरूर पसंद आई होगी अगर पसंद आए तो  शेयर करे अपने बाकि दोस्तों और परिवारजनों के साथ और असेही प्रेरणादायक कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग फॉलो जरूर करें।

 

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