अनोखा मालिक
जाकिर हुसैन के घर पर एक अधेड़ उम्र का नौकर था। वह रोज देर से सो कर उठता था। उसकी इस आदत से घरवाले उससे परेशान थे। उन्होंने उस नौकर की शिकायत जाकिर हुसैन जी को कर दी और उसे बाहर निकालने के लिए भी कह दिया। इसके जवाब में जाकिर साहब ने केवल यही कहा, “उसे समझाओ।”
सबने उसे समझाया पर इसके बावजूद उस पर कोई असर नहीं हुआ। परेशान होकर घरवालो ने जाकिर साहब से निवेदन किया, “अब आप ही समझाइए उस नौकर को।” अगले ही दिन सभरे जाकिर साहब उठे, एक लोटा पानी भरकर उस नौकर के सिर के पास जाकर खड़े हो गए। नौकर तो अभी गहरी निद्रा में सो रहा था। वह उसे धीरे से उठाते हुए बोले, “उठिए मालिक जागिए, सभेरा हो गया है, मुँह धो लीजिए। मैं अभी आपके लिए चाय और स्नान के पानी का इंतजाम करता हूँ।” इतना कहकर वह चले गए।
इधर नौकर परेशान हो गया। वह सोच रहा था, “यह क्या हो रहा है? कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूँ?” तभी जाकिर साहब चाय लेकर आते हुए दिखाई दिए। वह आकर बोले, “मालिक लीजीए, चाय पीकर स्नान कर लीजिए।” नौकर बहुत घबरा गया। क्षमा मांगते हुए बोला, “हुजूर आज के बाद से मेरे देर से सो कर उठने की शिकायत किसी को नहीं होगी।” इस पर जाकिर साहब मुस्कुरा दिए।
अगले ही दिन सभी घरवालों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि वह नौकर सबसे पहले उठकर घर का सारा काम कर रहा था। नौकर जाकिर हुसैन की विनयशीलता से अभिभूत हो गया। जाकिर साहब ने अपने घर के लोगों को समझाया, “व्यक्ति के आचरण में निहित विनम्रता का कमल यहीं है कि वह सामने वाले व्यक्ति पर बेहद सरलता के साथ अपना प्रभाव डाल देता है। समाज में अपने व्यवहार द्वारा यदि प्रभाव कायम करना है तो जीवन में विनम्रता को स्थान दे।”
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