आम की पेड़ की कहानी
एक गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था, श्रीचरण। वह तीर्थ यात्रा के लिए जाना चाहता था। उसने अपने सारे जीवन की कमाई एक हजार स्वर्ण मुद्राएं एक पोटली में डालकर अपने भाई कांजी को आम के बगीचे में एक आम के पेड़ के निचे दे दिए और कहा, “भाई कांजी बहुत दिनों से तीर्थ यात्रा पर जाने का मन हो रहा है, सोचता हूँ कल ही निकल जाऊं। यह मेरे जीवन भर के कमाई एक हजार स्वर्ण मुद्राएं है। इन्हे मैं किसी और को तो नहीं दे सकता। तुम मेरे भाई हो, मेरे विश्वास पात्र हो, तुम इन्हे संभलकर रख लेना। मैं लौटूंगा तो तुमसे ले लूंगा।”उसका भाई बोला, ” हाँ हाँ श्रीचरण भैया, आप निश्चिंत होकर जाइए। मैं आपकी अमानत संभलकर रखूँगा।”
कुछ महीनों बाद जब श्रीचरण तीर्थ यात्रा से लौटा तो उसने कांजी से अपनी धन की पोटली मांगी, “भाई कांजी लाओ मेरी अमानत मुझे लौटा दो।” इस पर कांजी ने बोला, “धन की पोटली! कैसी धन की पोटली? यह क्या कह रहे हो भैया। आपने मुझे ऐसी कोई पोटली नहीं दी है।”
श्रीचरण गिड़गिड़ाया, “कांजी वहीं पोटली जो मैंने तीर्थ पर जाने से पहले मैंने तुम्हे दी थी। जिसमे मेरे जीवन भर की कमाई एक हजार स्वर्ण मुद्राएं थी। कृपया मुझसे मजाक मत करो। मुझे मेरी पोटली लौटा दो।” कांजी घुर्राया, “आप किस पोटली की बात कर रहे हैं? लगता है आप सठिया गए हैं। कैसी बातें कर रहे हैं? आपने मुझे कोई पोटली नहीं दी है। आयेंदा मुझसे कोई पोटली मत मांगना।”
श्रीचरण अपनी फरियाद लेकर राजा के पास पहुंचा। उसने सारी बात बताई और बोला, “महाराज कृपया मुझे न्याय दीजिए।” कांजी ने कहा, “महाराज यह झूट बोल रहे हैं। लगता है उम्र के साथ इनकी यादास्त चली गई है। इन्होने मुझे कोई धन की पोटली नहीं दी।” राजा ने पूछा, “क्या तुम यह बता सकते हो कि तुमने अपनी धन की पोटली किस स्थान पर अपने भाई कांजी को दी थी।” श्रीचरण बोला, “मैंने आम के बगीचे में एक आम के पेड़ के निचे वह पोटली अपने भाई को दी थी। राजा बोला, “क्या आम का पेड़? ओह तुमने पहले भी बताया कि इस घटना का एक गवाह भी है, वह आम का पेड़। क्या तुम उस आम के पेड़ को यहाँ गवाह के रूप में ला सकते हो? जाओ उस आम के पेड़ को हमारा आदेश सुनाना और कहना कि हमने एक गवाह के रूप में उसे हमारे दरबार में हाजिर होने का आदेश दिया है।”
श्रीचरण सोचने लगा, “समझ नहीं आ रहा है महाराज ने मुझे आम के पेड़ को यहाँ लाने को क्यों कहा? भला कोई पेड़ भी गवाही दे सकता है! लेकिन महाराज का आदेश है, मुझे तो जाना ही पड़ेगा।” श्रीचरण आम के पेड़ के पास गया क्यूंकि आम का पेड़ महल से 3 किलोमीटर दूर था इसलिए श्रीचरण को आने में बहुत देर लग रही थी।
इधर सभी दरबारी बेसब्र हो रहे थे। उन्होंने राजा से कहा, “महाराज बहुत देर हो गई है, श्रीचरण अभी तक नहीं आया है।” राजा बोला, “शांति रखिए, श्रीचरण जल्दी ही आ जाएंगे।” तभी कांजी बोल पड़ा, “महाराज एक बुजुर्ग व्यक्ति इतनी दूर तक जाकर जल्दी कैसे आ सकता है?” राजा ने पूछा, “अच्छा वह आम का पेड़ यहाँ से कितनी दूर होगा?” कांजी ने बताया, “वह तो अभी तक वहां पहुंचे भी नहीं होंगे। महाराज यहाँ से वह पेड़ 3 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर है।” राजा ने बोला, “कोई बात नहीं, हम श्रीचरण के लौटने तक प्रतीक्षा करेंगे।”
घंटो बाद श्रीचरण वापस लौटा। इस पर राजा ने पूछा, “क्या हुआ श्रीचरण?” श्रीचरण ने बोला, “महाराज मैंने आपका आदेश 3 बार आम के पेड़ को सुनाया लेकिन वह हिला ही नहीं।” राजा बोला, “कोई बात नहीं, वह आम का पेड़ तो यहाँ आकर अपनी गवाही पहले ही दे गया है। कांजी तुम एक झूठे व्यक्ति हो। इस तुम्हारे बूढ़े भाई ने तुम पर विश्वास करके अपनी धन की पोटली दी और तुम्हारा मन ललचा गया, यहाँ तक की तुमने हमारे सामने भी झूट बोलने का गुनहा किया है। अगर तुम उस पेड़ के बारे में नहीं जानते थे तो तुम्हे यह कैसे पता कि वह पेड़ यहाँ से 3 किलोमीटर से भी अधिक दूर है। यह साबित करता है कि तुम अच्छी तरह जानते थे कि किस पेड़ के निचे श्रीचरण ने तुम्हे धन की पोटली दी।”
कांजी बोला, “मुझे क्षमा कर दीजिए महाराज, मुझसे गलती हो गई।” और फिर राजा ने आदेश दिया, “हम आदेश देते हैं कि अभी तुरंत तुम अभी श्रीचरण को उनकी अमानत लौटाओगे। साथ ही तुम्हे दस स्वर्ण मुद्राएं दंड के रूप में भरने का भी आदेश देते हैं।”
उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी आम की पेड़ की गवाही की कहानी जरूर ही पसंद आई होगी, अगर पसंद आए तो अपने बाकि दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।
यह भी पढ़े:-
- अनोखा सबक | Hindi Story On Unique Lesson
- भरोसा | A Short Hindi Moral Story On Believe
- साधु और तोता | Hindi Story Of A Monk And Parrot
- बिल्ली पालने का नतीजा! | Hindi Story Of A Cat
- अनमोल शिक्षा | Hindi Story On Priceless Lesson
- माँ का खत | Hindi Story Of Mother Letter