हमारे आज के इस कहानी का नाम है ज्योतिषी की चतुराई (Jyotishi Ki Chaturai Hindi Story). यह कहानी है एक ज्योतिषी और एक बेहद गुस्से वाले राजा की तो कहानी को पूरा पढ़कर इसका आनंद जरूर ले।
ज्योतिषी की चतुराई
Jyotishi Ki Chaturai Hindi Story
एक राजा था। वह राजा था तो बहुत अच्छा लेकिन जब भी उसे कोई बात पसंद नहीं आती थी तो उसे गुस्सा भी बहुत जल्दी आ जाता था। उसने एक ज्योतिषी के बारे में बहुत सुना था। ज्योतिषी ग्रह-नक्षत्र गणना में माहिर था। सब कहते थे कि वह ज्योतिषी जन्म पत्र देखकर बहुत ही सठिक भविश्ववाणी करते है। उनका बताया कभी भी गलत नहीं निकलता।
राजा ने भी उन ज्योतिष आचार्य को बुलाया और अपनी जन्म पत्री दिखाई। वह ज्योतिषी भी राजा के स्वभाव के बारे में जानते थे इसलिए उन्होंने पहले ही राजा को हाथ जोड़कर कहा, “महाराज! मैं सब सच सच बताता हूँ। हर व्यक्ति के बारे में अच्छा और बुरा दोनों लिखा होता है किन्तु महाराज मुझे अपनी जान भी तो प्यारी है।”
राजा बोला, “हम समझ गए पंडित जी तुम क्या कहना चाहते हो। तुम बिना डरे हमसे जुड़ा अच्छा और बुरा दोनों बताओ।” ज्योतिषी ने ग्रह-नक्षत्र की गणना करके राजा को सबसे पहले वह हर बात बताई जो अच्छे अच्छे थी। राजा खुश हो गया। अब ज्योतिषी ने जैसे ही अप्रिय घटनाओं के बारे में बोलना शुरू किया राजा दुखी हो गया। एक बात पर तो राजा बहुत गुस्से में आ गया और बोला, “पंडित बंद करो अपनी यह बकवास। तुम तो हमें यह बताओ कि तुम्हारी कुंडली में तुम्हारी मृत्यु का क्या समय है?”
ज्योतिषी चतुर था। वह समझ गया कि राजा के मन में क्या चल रहा है। वह बोला, “महाराज मेरी जन्म पत्री में मेरी मृत्यु अपनी महाराज की मृत्यु से एक दिन पहले लिखी है यानि आपके मृत्यु से एक दिन पहले।” राजा जितने गुस्से में था और सैनिकों को ज्योतिषी को मारने का आदेश देने ही वाला था, अपनी मृत्यु की बात सुनकर रुक गया। उसका गुस्सा शांत हुआ। तब उसने ज्योतिषी की मृत्यु की सराहना भी की।
राजा ने ज्योतिषी को ढेर सारा इनाम देकर आदर से वापस भेज दिया।
तो देखा दोस्तों ज्योतिषी ने अपने चतुराई से कैसे राजा का गुस्सा शांत भी किया और अपनी जान भी बचा ली।
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