आज हम सोने की गुफा (Cave of Gold Story in Hindi) इस कहानी में बात करेंगे दो दोस्त के बारे में जिनमे से एक होता है बहुत मेहनती, ईमानदारी और दूसरा दोस्त होता है लालची और आलसी। तो चलिए इस कहानी को शुरू करते है।
सोने की गुफा
Cave of Gold Story in Hindi
जनकपुर और सोनपुर गाँव के बीच एक घना जंगल था। एक गाँव से दूसरे गाँव में जाने के लिए लोगों को जंगल से गुजरना पड़ता था। जनकपुर नाम के गाँव में दो दोस्त रहते थे, शाम और राजू। दोनों में अच्छी मित्रता थी पर दोनों स्वभाव में अलग थे। शाम बहुत ही मेहनती और ईमानदार स्वभाव का था पर राजू आलसी और लालची स्वभाव का था।
एक दिन की बात है, दोनों अपने गाँव से सोनपुर गाँव काम के लिए जा रहे थे। उस दिन काम करते करते काफी अँधेरा हो गई थी तो उनके मालिक ने कहा, “शाम अँधेरा होने वाला है, जगंल से गुजरते वक्त रात हो जाएगी तो आज रात तुम लोग यही विश्राम कर लो। क्यूंकि जंगल में जंगली जानवर घूमते हैं जिससे तुम्हारी जान को खतरा है।”
शाम ने कहा, “नहीं नहीं हम लोग चले जाएंगे। हमारे परिवारवाले इंतजार कर रहे होंगे।”
उस पर मालिक ने कहा, “जैसी तुम्हारी इच्छा। अच्छे से जाना।”
फिर दोनों दोस्त घर की तरफ निकल गए। जंगल से गुजरते वक्त जब रात होने लगी तभी राजू ने कहा, ” हमें मालिक की बात मान लेनी चाहिए थी और वहीं रुक जाना चाहिए था। अच्छे से सुनो जंगल में जानवरों की आवाज सुनाई आ रही है।”
तभी सच में जंगल में भेड़िये की आवाज सुनाई देती है और दोनों दोस्त डर जाते हैं। वह दोनों डरे डरे आगे चले जा रहे थे। कुछ देर चलने के बाद राजू को एक गुफा दिखाई दी जिससे रौशनी आ रही थी। तभी शाम ने कहा, “चलो चलते है गुफा की ओर और वहां से रौशनी भी आ रही है। कोई न कोई जरूर रहता होगा। रातभर हम लोग वहीं रुक जाएंगे।”
दोनों दोस्त गुफा की ओर चल पड़े। फिर दोनों गुफा के अंदर चले गए। गुफा के अंदर उन्होंने देखा कि एक बूढी औरत विश्राम कर रही है।”
शाम ने उस बूढी औरत से पूछा, “अम्मा तुम यहीं रहती हो? क्या आज रात हम यहाँ रुक सकते है?”
तभी बूढी औरत ने कहा ,”हाँ बेटा रह सकते हो। लेकिन तुम दोनों युवक इस जंगल में कैसे फंस गए? यह जंगल जंगली जानवरों से भरा हुआ है। आज रात तुम दोनों यहीं ठहर जाओ। लेकिन आज के बाद इस जंगल से रात में मत गुजरना।”
शाम बोलता है, “ठीक है अम्मा।”
राजू और शाम को जोरो की भूख लगी थी। वे सामने मेज पर रखी फलों को देखने लगे।
अम्मा बोली, “बेटा यह दोनों फल तुम लोग खा लो। तुम्हे भूख लगी होगी।”
राजू ने जल्दी से एक फल लेकर खाना शुरू कर दिया।
पर शाम ने अम्मा से पूछा, “अम्मा आपने कुछ खाया है? यह लो आप यह फल खा लो।”
अम्मा ने कहा, “नहीं बेटा तुम अपने फल स्वयं ही खाओ वरना तुम भूखे रह जाओगे। क्यूंकि तुम्हारे पास एक ही फल है। इसलिए तुम खा लो।”
पर शाम नहीं मानता है और वह अम्मा को भी आधा फल खाने के लिए देता है। अम्मा शाम के इस स्वभाव से बहुत खुश होती है और दोनों को विश्राम करने के लिए कहती है। दोनों दोस्त सोने के लिए चले जाते हैं। जिस कमरे में शाम और राजू विश्राम करने के लिए गए वहां चारो तरफ हीरे जवाहरात फैले हुए थे। राजू की आंखे चकाचौंद हो गई।
राजू ने शाम से कहा, “शाम क्यों न हम अपने घर थोड़ा सा सोना ले जाए फिर हमें रोज इस घने जंगल से गुजरकर व्यापार करने नहीं जाना पड़ेगा।”
शाम कहता है, “नहीं राजू, जरूर यह सारी दौलत अम्मा का है। उन्होंने हमें अपनी गुफा में ठहरने को दिया है, जंगली जानवरों से भी बचाया है, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। मेहनत और ईमानदारी से कमाए पैसो का ही मोल होता है।”
राजू को शाम की बात सुनकर क्रोध आया और मित्रता के लिए वह चुपचाप रह गया। थकावट के कारण दोनों दोस्त की आंखे लग गई और दोनों दोस्त सो गए। सुबह वह दोनों अम्मा को धन्यवाद कहकर घर के लिए निकल गए।
घर पहुंचकर शाम को पता चलता है कि उसके घर पर एक सोने से भरा हुआ घड़ा रखा है। उसके पत्नी ने बताया कि एक बूढी औरत ने यह सोने से भरा घड़ा दिया है। शाम समझ जाता है कि यह उसी बूढी औरत का आशीर्वाद है जो उसे कल रात जंगल में मिली थी।
दूसरी तरफ राजू यह सोच सोचकर परेशान है कि कैसे वह गुफा से खजाना ले आए फिर उसे सारी उम्र पैसो के लिए काम पर नहीं जाना पड़ेगा। राजू उसी रात गुफा में खजाना लेने पहुँचता है। जैसे ही वह खजाना लेकर निकलता है बूढी औरत अचानक से सामने आ जाती है।
राजू बोलता है, “अम्मा मेरे रास्ते से हट जाओ। तुम्हारी उम्र हो चुकी है और अब यह यह खजाना तुम्हारे किसी काम के नहीं।”
बूढी औरत ने कहा, “राजू मुझे पहले से पता था कि तुम लालची और आलसी स्वभाव के हो। परन्तु मनुष्य को यह सत्य मानना चाहिए कि कर्म करके ही फल मिलता है।”
राजू बूढी औरत की बात नहीं सुनता है और भागने लगता है। क्रोध में आकर बूढी औरत राजू को लंगड़ा बना देती है और कहती है, “यही तुम्हारी गलती की सजा है।”
देखते देखते वह गुफा और बूढी औरत गायब हो जाती है। राजू लंगड़ाते हुए अपने घर वापस चला जाता है।
शिक्षा – दोस्तों इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि पैसा ही जीवन में सब कुछ नहीं होता। दयाभाव रखने वाला इंसान ईमानदारी और मेहनत के साथ स्वयं भी खुश रह सकता है और दुसरो में भी ख़ुशी बांटता है। लालची इंसान को अपने कर्मो की सजा मिल ही जाती है।
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको इस कहानी से एक अच्छी शिक्षा जरूर मिली होगी। अगर आपको यह कहानी अच्छा लगा हो तो इसे दुसरो के साथ भी जरूर शेयर कीजिए और कमेंट करके हमें अपना विचार भी जरूर बताए।
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