दोस्तों हमारे आज की इस कहानी का नाम है बंधन का महत्व (Bandhan Ka Mahatwa Story in Hindi) हमें उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी।
बंधन का महत्व
Bandhan Ka Mahatwa Story in Hindi
मकर संक्रांति के दिन एक व्यक्ति अपने 10 और 12 साल के बच्चे के साथ घर की छत पर पतंग उड़ा रहे थे। पतंग उड़ाने के साथ-साथ वह अपने बच्चों को पतंग उड़ाने के सारे गुण भी सीखा रहे थे, कब ढील देनी चाहिए? कब मांजा खींचना चाहिए? बच्चे भी पतंग को उड़ता देख ख़ुशी से झूम रहे थे और साथ ही अपने पिता के थोड़े-थोड़े मदद भी कर रहे थे।
कुछ ही देर में पतंग आसमान की ऊंचाई को छूने लगी। बच्चों को बहुत मजा आ रहा था, लेकिन उन्होंने देखा कि पतंग वहीं तक ऊँची जा रही है जहाँ तक डोर जाती है। अब उन्होंने पिताजी को कहा, “देखिए न पिताजी इस डोर के कारण हमारी पतंग ऊपर ही नहीं जा रही है। हम तो चाहते है कि पतंग आसमान में और भी ऊपर उड़े। यह डोर नहीं होती तो पतंग कितनी ऊपर चली जाती न! क्यों न हम इस डोर को काट दे।”
पिताजी ने मना किया और बताया, “अरे बच्चों डोर काट देंगे तो पतंग कैसे उड़ेगी!” लेकिन बच्चे तो बच्चे होते है। छोटा बेटा थोड़ा चंचल था। वह कैंची लाया और फट से उसने पतंग की डोर काट दी। डोर काटते ही पतंग आसमान में ऊपर उठने लगी। हवा के जोर से पतंग बहुत ऊपर चली गई, लेकिन थोड़ी ही देर में वह लड़खड़ाते हुए निचे आई और निचे आते-आते झाड़ियों में गिर गई और फट गई।
छोटा बेटा रोने लगा। तब पिताजी ने उसे समझाया, “रो मत बेटा हम दूसरी पतंग उड़ा लेंगे। लेकिन बच्चों आज की इस घटना से मैं जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक सिखाना चाहता हूँ, यह जो डोर है यह पतंग का बंधन नहीं है बल्कि उसे आकाश की ऊंचाइयों में उड़ने के लिए मजबूती देती है और सही दिशा भी देती है। जब तक पतंग डोर से बंधी हुई होती है, वह दूसरे पतंगों के बीच मजबूती से टिकी रहती है और चाहे कितनी भी हवा चले वह एक सही दिशा में निश्चित दुरी पर उड़ती रहती है। लेकिन यह पतंग कटने के बाद थोड़ी देर तो ऊपर उड़ती है लेकिन फिर दिशाहीन होकर लड़खड़ाकर निचे गिरने लगती है और झाड़ियों के काटों से फट जाती है। बच्चों पतंग हो, पेड़ हो या इंसान हो सभी को अपने जड़ों से बंधे रहना बहुत जरुरी होता है। पेड़ भी तभी तक ऊपर बढ़ पाता है, जब तक वह जड़ों से जुड़ा रहता है। जड़े जितनी गहरी होगी उतना ही स्वस्थ होगा और मजबूती से और भी बड़ा होता जाएगा। यही हाल इंसानो का भी है, हमें भी अपने संस्कारो, देश और परिवार से जुड़े रहना चाहिए। हम जीवन में चाहे कितने भी आगे बढ़ जाए अपना परिवार, अपना देश और अपना संस्कार कभी नहीं भूलना चाहिए। हो सकता है आगे बढ़ने पर हमें यह बंधन लगे लेकिन विश्वास रखो तुम में तरक्की करने की मजबूती भी है।”
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