आज मैं आपके लिए एक बहुत ही सुंदर प्रेरणदायक कहानी ( Inspirational Story in Hindi) लाई हूँ जिसका नाम है बैल का कर्ज।
बैल का कर्ज
Inspirational Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार केदारनाथ की यात्रा से वापस अपनी घर की ओर लौट रहे थे। रास्ते में अचानक उन्हें पता चला कि उनके पैसे कहीं गिर गए है। अभी उनका घर बहुत दूर था। बिना पैसों के घर तक पहुंचना असंभव था और अब वह घर जाएं तो कैसे। उन्होंने कई लोगों से मदद मांगी परन्तु किसी ने भी उनकी मदद नहीं करि।
अंत में एक शाम नाम के किसान ने उनकी मदद करि। उन्हें अपने घर ले गया और उन्हें वापस अपने घर जाने के लिए कुछपैसे दिए। उस साहूकार ने शाम से कहा कि वह अपने घर लौटते ही सारे पैसे लौटा देंगे। अब वह साहूकार अपने घर की ओर रवाना हो गए।
इस बात को काफी समय बीत गया। अब शाम भी उन पैसो को भूल गया था और उस साहूकार ने वह पैसे नहीं लौटाए थे। एक दिन शाम अपने खेत जोतने के लिए एक जोड़ी बैल खरीदकर लाया। उन बैलों के आते ही शाम के घर में खुशाली छा गई। वह बैलों से अपने खेत जोतता और उसके खेतों में बहुत अच्छी फसल होती। लेकिन यह खुशाली बहुत समय तक नहीं चली।
एक दिन खेत जोतते समय शाम का एक बैल गिर गया जिससे उसे चोट लग गई और उसकी मौत हो गई। अब शाम उस बैल की जगह दूसरा बैल खरीदने का जुगाड़ करने लगा। उसने एक नया बैल ख़रीदा लेकिन इस जोड़े में पहले वाली बात नहीं रह गई थी। नया बैल पुराने बैल की तुलना में ज्यादा जवान था। पुराना बैल धीरे धीरे बूढ़ा होने लगा। कमजोरी से वह खेत भी नहीं जोत पा रहा था।
धीरे धीरे पुराना बैल बीमार पड़ गया। इसी बीच एक दिन एक व्यक्ति शाम के घर आया और बोला, “भैया क्या तुम्हारा नाम शाम है?” शाम बोला, “हाँ मेरा ही नाम शाम है।” फिर वह व्यक्ति बोला, “क्या काफी समय पहले किसी मुसाफिर ने तुमसे कुछ पैसे उधार लिए थे।” तो शाम बोला, “हाँ हाँ लिए थे। लेकिन मैं तो भूल भी गया था। केदारनाथ से लौटते समय उनके पैसे कहीं खो गए थे। मैंनेउनकी मदद करि थी।” तब वह व्यक्ति बोला, “मैं उसी यात्री का बेटा हूँ। केदारनाथ से लौटने के तुरंत बाद मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी। मृत्यु की समय वह कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे परन्तु कह नहीं पाए थे।”
तो शाम ने पूछा ,”तो तुम्हे यह उधार की बात किसने बताई?” तब वह व्यक्ति बोला , “कुछ दिनों पहले मेरे सपने में पिताजी आए और बोले कि उन्होंने शाम नाम के एक व्यक्ति से कुछ पैसे उधार लिए थे किन्तु वह चूका नहीं पाए और उन्होंने मुझे आपके घर का पता बताया और मुझे यह भी बताया कि इस उधार को चुकाने के लिए उन्होंने बैल के रूप में जन्म लिया है और बैल के रूप में वह आपकी सेबा कर रहे हैं और असेही उन्होंने काफी उधार चूका दिया है। अब वह बाकि का उधार भी चुकाना चाहते है किन्तु उनके शरीर में अब जान नहीं रह गई है। वह बीमार है इसलिए उन्होंने मुझे आदेश दिया है कि बाकि बचे रूपए मैं आपको लौटा दूँ ताकि उन्हें बैल के शरीर से मुक्ति मिल सके।” ऐसा कहकर उस व्यक्ति ने शाम को बाकि पैसे लौटा दिए।
जैसे ही शाम ने वह रूपए लिए शाम के बीमार बैल ने आखरी सांसे ली।
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