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Success Story of Renuka Aradhya in Hindi

Success Story of Renuka Aradhya in Hindi | रेणुका आराध्य सफलता की कहानी

Posted on May 31, 2021

आज की सक्सेस स्टोरी (Success Story of Renuka Aradhya in Hindi) एक ऐसे इंसान की कहानी है जो अपनी मेहनत और लगन की बजह से एक भिखारी से करोड़पति बन गया। जहाँ कभी वह घर-घर जाकर भीख माँगा। आज न केवल उसकी कंपनी का टर्नओवर 50 करोड़ रूपए है बल्कि उसकी कंपनी की बजह से हजार अन्य घरो का चुला भी जलता है। हम बात कर रहे हैं रेणुका आराध्य की जिनकी उम्र 50 वर्ष से ज़्यादा है।

 

Renuka Aradhya Success Story in Hindi

 

रेणुका आराध्य बैंगलोर के गोपसंदरा गाँव से तालुब रखते हैं। उनके पिता एबाद क छोटे से स्थानीय मंदिर के पुजारी थे, जो अपने परिवार के जीविका के लिए दान-पुण्य के पैसो से ही उनका घर चल पाता था। इसलिए वह आसपास गाँव में जाकर भिक्षा में अनाज मांगकर लाते। फिर उसी अनाज को बाजार में बेचकर जो पैसे मिलते उससे जैसे-तैसे अपने परिवार का पालन पोषण करते।

 

रेणुका भी भिक्षा मांगने अपने पिता की मदद करते पर परिवार की हालत यहाँ तक ख़राब हो गई कि छटी कक्षा के बाद एक पुजारी होने के नाते रोज पूजा पाठ करने के बाद भी उन्हें कई घरो में जाकर नौकर की तरह काम करना पड़ता था। जल्दी ही उनके पिता ने रेणुका को एक आश्रम में डाल दिया, जहाँ उन्हें वेद और संस्कृत की पढाई करनी पढ़ती और सिर्फ दो वक्त की भोजन मिलता एक सुबह 8 बजे और एक रात को 8 बजे, इससे वह भूखे ही रह जाते और पढाई पर भी ध्यान नहीं दे पाते थे।

 

पेट भरने के लिए वह पूजा, शादी और समारो में जाना चाहते जिसके लिए उन्हें अपने सीनियर के व्यक्तिगत काम को करना पड़ता। परिणामस्वरूप वह 10 वी कक्षा में फ़ैल हो गए। फिर उनके  पिता के देहांत और बड़े भाई के घर छोड़ देने से अपनी माँ और बहन की जिम्मेदारिया उनके कंधो पर आ गई। पर उन्होंने यह दिखा दिया की मुसीबत की घडी में भी वह अपनी जिमेदारियो से मुँह नहीं मोड़े। और इसी के साथ वह निकल पड़े एक बहुत लंबी लड़ाई पर, जिसमे उन्हें कई मुसीबतो का सामना करना पड़ा, अपनी निराशाओं से झूझना पड़ा और धक्के पर धक्के खाने पड़े।

 

इस राह पर न जाने उन्हें कैसे-कैसे काम करने पड़े। प्लास्टिक  बनाने के कारखाने में और एक मजदुर के हैसियत से काम करने में, सिर्फ 600 रूपए के लिए सिक्योरिटी गॉर्ड के रूप में और सिर्फ 15 रूपए प्रति पेड़ के लिए नारियल के पेड़ में चढ़ने वाले एक माली के रूप में भी। पर उनकी कुछ बेहतर कर गुजरने की  लगन ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा और इसलिए उन्होंने कई बार खुद का काम करने का भी सोचा।

 

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एक बार उन्हें घर घर जाकर सूटकेसों का कवर सिलने का काम शुरू किया जिसमे भी 20 हजार रुपयों का घाटा हो गया। तब उन्होंने सब कुछ छोड़कर एक ड्राइवर बनने का फैसला किया पर उनके पास ड्राइवरी सिखने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने उधर लेकर और शादी की अंगूठी को गिरवी रखकर ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर लिया। इसके बाद उन्हें लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा लेकिन किस्मत ने उन्हें एक और झटका दिया, जब एक छोटे से गाड़ी के एक्सीडेंट की बजह से अपनी पहली ड्राइवरी के नौकरी से कुछ ही घंटो में हाथ धोना पड़ा। पर एक सज्जन टैक्सी ऑपरेटर ने उन्हें एक मौका और दिया और  बदले में रेणुका ने बिना पैसे लिए उनके लिए गाड़ी चलाई ताकि वह खुदको साबित कर सके।

 

वह दिन भर काम करते और रात भर जागकर गाड़ी चलाने का अभ्यास करते। वह अपने यात्रियों का हमेशा ध्यान रखते जिससे उनपर लोगों का विश्वास जागता गया और ड्राइवर के रूप में उनकी मांग बढ़ती गई। उन्होंने थान लिया था कि चाहे जो हो जाए वह इस बार सिक्योरिटी गॉर्ड का काम नहीं करेंगे और एक अच्छा ड्राइवर बनकर दिखाएंगे। वह यात्रियों के अलावा लाशों को उनके घर तक पहुंचाने का काम भी करते थे। वह कहते हैं कि यदि आपको जीवन में सफल होना है तो किसी भी मौके को जाने न दे।

 

इसके बाद पहले तो 4 वर्षो तक वह ड्राइवर के तौर पर काम करते रहे। उसके बाद वह उस ड्राइवर कंपनी को छोड़कर एक दूसरी ड्राइवर कंपनी में चले गए, जहाँ उन्हें विदेशी यात्रिओं को घुमाने का मौका मिला। विदेशी यात्रियों से उन्हें डॉलर में टिप मिलती थी। लगातार 4 वर्षो तक यही टिप अर्जित करते करते और अपनी पत्नी की मदद से उन्होंने कुछ अन्य और लोगों के साथ मिलकर सिटी सफारी नाम की एक कंपनी खोली। इसी कंपनी में आगे चलकर वह मैनेजर बन गए।

 

उनकी जगह कोई और होता तो शायद इतने पर ही संतुष्ट हो जाता। पर उन्हें अपने सीमाओं को परखने की ठान रखी थी इसलिए उन्होंने लोन पर एक इंडिका कार ली जिसके सिर्फ डेर वर्ष बाद ही उन्होंने एक और इंडिका कार ले ली। इन कारों की मदद से उन्होंने दो वर्षो तक स्पॉट सिटी टैक्सी में काम किया पर उन्होंने सोचा अभी मेरी मंज़िल दूर है और मुझे खुद की ड्राइवर ट्रांसपोर्ट कंपनी बनानी है। एक बार उन्हें पता चला कि इंडियन सिटी टैक्सी नाम की एक कंपनी बिकने वाली है। सन 2006 में उन्होंने उस कंपनी को साढ़े छह लाख रूपए में खरीद ;लिया जिसके लिए उन्हें अपनी सभी कारों को बेचना पड़ा। उन्होंने उस कंपनी का नाम बदलकर प्रवासी केप्स रख दिया। उसके बाद वह सफलता की ओर आगे बढ़ते गए।

 

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उन्होंने इस फैसले के बारे में बाद में कहा मैंने अपने जीवन का सबसे बड़ा जोखिम लिया पर वहीं जोखिम आज मुझे कहाँ से कहाँ ले आई। सबसे पहले अमेज़न इंडिया ने प्रमोशन के लिए रेणुका के कंपनी को चुना उसके बाद रेणुका ने अपने कंपनी को आगे बढ़ाने में जी जान लगा दिया। धीरे धीरे उनके कई नामी और ग्रामी ग्राहक बन गए जैसे Walmart, Akamai जैसे आदि। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे पलटकर नहीं देखा और सफलता की ओर उनके कदम बढ़ते ही गए। पर उन्होंने कभी भी सीखना बंद नहीं किया। उनकी कंपनी इतनी मजबूत हो गई कि जहाँ और टैक्सी कंपनिया Ola और Uber के आने से बंद हो गई, उनकी कंपनी फिर भी सफलता की ओर आगे बढ़ती गई। आज उनकी कंपनी में हजार से ज़्यादा गाड़िया चलती है।

 

तो यह थी रेणुका आराध्य की सफलता की कहानी। हमें उम्मीद है कि आपको यह लेख “Success Story of Renuka Aradhya in Hindi” जरूर अच्छा लगा होगा अगर अच्छा लगे तो इसे शेयर जरूर करे और असेही सफलता से भरी महान लोगों की कहानी पढ़ना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करे।

 

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