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एक दर्द भरी प्रेम कहानी (Best Love Story in Hindi)

एक दर्द भरी प्रेम कहानी: तुम कब आओगे?

Posted on May 15, 2021

 

आज मैं आप सबको एक बेहद ही दर्द भरी प्रेम कहानी सुनाने वाली हूँ मुझे उम्मीद है आपको यह कहानी अच्छी लगेगी।

 

एक दर्द भरी प्रेम कहानी (Best Love Story in Hindi)

बहुत पुराने समय की बात है, लक्ष्मी नाम की एक लड़की वृंदावन के पास एक छोटे से गाँव में रहती थी। वह बहुत सुंदर थी और पुरे गाँव में उसकी सुंदरता की बहुत चर्चे थे। कभी-कभी वह गाँव के लोगों के साथ मजाक में शरारत और मस्ती भी करती रहती थी। लक्ष्मी के पिताजी फूलों की माला बनाते थे और गाँव के चौक पर ही माला की रेहड़ी लगाते थे। वैसे उनकी फूलों की मालाएं ज्यादा शादी ब्याह में बिकती थी।

 

लक्ष्मी भी अपने पिता के काम में उनकजी सहायता करती थी। कहीं पर शादी ब्याह होती थी तो लक्ष्मी ही वहाँ फूल माला पहुँचाकर आती थी और शादी में भी खूब मस्ती करके आती थी। लक्ष्मी के पिताजी उसे खूब समझाते थे कि बेटी तू अब बड़ी हो गई है और तू बाहर किसी से भी इतनी हंसी मजाक न किया कर। तभी लक्ष्मी कहती है, “मुझे इस गाँव से और अपने इस गाँववालो से बहुत प्रेम है इसलिए मुझे सबसे हंसी मजाक करके बहुत अच्छा लगता है।” यह कहकर वह फिरसे बाहर चली जाती है।

 

तभी लक्ष्मी के माता-पिता आपस में बात करते है कि लक्ष्मीबड़ी तो हो गई लेकिन उसके अंदर अभी भी बचपना ही है। वैसे अब लक्ष्मी 19 साल की हो चुकी थी और उसके लिए अब शादी के रिश्ते आना भी शुरू हो गए थे। मगर लक्ष्मी तो उनसे भी खूब हंसी मजाक करती और शादी के लिए यह कहकर माना कर देती थी कि अभी तो मैं बच्ची हूँ। यह सुनते ही सभी लोग निराश होकर चले जाते थे।

 

एक दिन लक्ष्मी को दूसरे गाँव में फूल माला लेकर जाना था। क्यूंकि वहाँ पर एक बड़ी शादी थी। लक्ष्मीअपनी एक सहेली को लेकर उस शादी में फूल माला लेकर पहूँच गई। जैसे ही वह फूल माला लेकर उस बड़े वाले शादी घर में घुसी वैसे ही सामने से एक सूरज नाम का लड़का बड़ी ही तेजी से लक्ष्मी की और आ रहा था।

 

लक्ष्मी उसे रोकने के लिए कुछ कह पाती उतने में तो सूरज फूल माला के टोकरी के साथ लक्ष्मी के ऊपर ही गिर गया और जैसे ही वह दोनों खड़े होते हैं तो घर के सभी लोग ताली बजाने लगते हैं। तभी सूरज ने देखा कि सभी फूल मालाएं इधर-उधर भिखर गई है। मगर सूरज और लक्ष्मी के गले में एक एक माला डली हुई थी। लक्ष्मी और सूरज एक दूसरे को देखते ही रह गए।

 

सूरज अपने मन में सोच रहा था कि हे भगवन यह माला वाली लड़की कितनी सुंदर है। काश इस लड़की से मेरी शादी हो जाए। उधर लक्ष्मी तो अपना दिल ही सूरज के आगे हार चुकी थी। तभी सूरज लक्ष्मी से कहता है, “मुझे माफ़ कर देना। तुम्हे कहीं लगी तो नहीं?” लक्ष्मी अपने गर्दन को हिलाते हुई कहती है, “नहीं।” तभी सूरज की माँ वहाँ आ जाती है और उन्हें देखर वह सब समझ जाती है।

 

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सूरज की माँ सूरज से कहती है, “सूरज बेटा, यह जो मालाएं ख़राब हो चुकी है इस लड़की को इन सभी मालाओं के पुरे पैसे दे दो और उसकी घर जाकर जल्दी दूसरी फूल माला लेते आओ। क्यूंकि तुम्हे पता है न कि शाम को तुम्हारी बहन की शादी है इसलिए फूल मालाओं की जरुरत पड़ेगी। ”

 

सूरज कहता है, “ठीक है माँ।” तभी लक्ष्मी को वह उसकी भिखरी हुई माला की पैसे देता हैं। लेकिन लक्ष्मी वह पैसे लेने से मना कर देती है। तभी सूरज की माँ कहती है , “बेटी यह तुम्हारे मेहनत की पैसे हैं इसलिए ले लो।” और सूरज की माँ लक्ष्मी को जबरदस्ती ही पैसे दे देते हैं और उससे पूछती है, “बेटी तुम्हारा नाम क्या है?”

 

तभी पीछे से लक्ष्मी की सहेली कहती है, “माजी इसका नाम लक्ष्मी है।” उसका नाम सुनते ही सूरज की माँ कहने लगी, “बेटी तुम्हारा नाम तो तुम्हारी ही तरह बहुत सुंदर है। तब सूरज कहता है, “माँ क्या मैं अब जाऊं इस मालवाली के साथ फूलमाला लेने?” सूरज की माँ कहती है, “हाँ जा लेकिन इसका नाम मालवाली नहीं लक्ष्मी है।” सूरज कहता है, “ठीक है माँ अब मैं इसे लक्ष्मी ही कहूंगा।”

 

तभी लक्ष्मी और उसकी सहेली फूल माला लेने सूरज को अपने घर लेकर जाते हैं। लक्ष्मी का घर सूरज के घर से लहभग दो से ढाई किलोमीटर दूर था। सूरज जैसे ही लक्ष्मी के घर पहुँचता है वैसे ही लक्ष्मी के माता-पिता सूरज को देखकर चौंक जाते हैं। तभी लक्ष्मी के पिताजी सोचते हैं कि जरूर लक्ष्मी कोई गड़बड़ करके आई होगी।

 

लक्ष्मी के पिताजी लक्ष्मी को अंदर बुलाते हैं और पूछते हैं, “बेटी यह लड़का कौन है?” लक्ष्मी कहती है, “पिताजी यह सूरज है और आज शाम को इनकी बहन की शादी है। मेरी थोड़ी सी गलती की बजह से सभी माला निचे गिरके ख़राब हो गई। इसलिए ये दूसरी माला लेने आए हैं। और जो माला निचे गिर गई थी सूरज की माताजी ने उन फुलों के पैसे भी मुझे जबरदस्ती दे दिए।”

 

लक्ष्मी के पिताजी कहते है, “बेटी तू उस लड़के को एक गिलास सरबत देकर आ इतने में मैं और तेरी माँ इनके लिए फूलों की माला तैयार कर देते हैं।” लक्ष्मी सरबत बनाकर सूरज को देने जाती है। वैसे सूरज सरबत बहुत कम पिता था लेकिन वह लक्ष्मी को मना नहीं कर पाया और सरबत का पूरा गिलास पि गया।

 

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सरबत पीकर सूरज लक्ष्मी से पूछता है, “लक्ष्मी तुम्हारे परिवार में और कौन कौन रहता है?” तभी लक्ष्मी मुस्कुराते हुए कहती है, “हमारे परिवार में मेरी माँ, पिताजी और मैं ही हूँ बस।” सूरज पूछता है, “तुम्हारा कोई भाई नहीं है क्या?” लक्ष्मी कहती है, “नहीं बस में ही हूँ।” तभी सूरज कहता है, “तो तुम्हारे शादी के बाद तुम्हारे माता-पिता का ख्याल कौन रखेगा?” लक्ष्मी कहती है, “मैं शादी के बाद भी अपने माता-पिता का ख्याल रखूंगी।” तभी सूरज कहता है, “तुम्हरी सोच तो बहुत अच्छी है। वैसे मुझे तुमसे एक बात और कहनी है कहूं।” लक्ष्मी कहती है, “हाँ कहो सूरज।” तब सूरज कहता है, “लक्ष्मी क्या तुम तुम्हारे गाँव के बाहर जो शिव मंदिर है वहां कल मुझे मिल सकती हो अगर तुम्हे बुरा न लगे तो।” लक्ष्मी बोली, “ठीक है मैं आ जाऊंगी लेकिन मैं अपने साथ मेरी सहेली को भी लेकर आऊंगी नहीं तो मेरे माता-पिता मुझे जाने नहीं देंगे।” सूरज कहता हो, “ठीक है फिर कल मैं शाम को तुम्हारा इंतजार करूँगा।” यह कहकर सूरज फूल माला लेकर चला जाता है।

 

अगले दिन शाम को लक्ष्मी अपने पिताजी से कहती है, “पिताजी मैं अपने सहेली के साथ गाओं के पास शिव मंदिर में जा रही हूँ। थोड़ी देर में आ जाऊंगी।” तभी लक्ष्मी के पिताजी सोचते हैं कि आज अचानक लक्ष्मी शिव मंदिर क्यों जा रही है। तब लक्ष्मी की माँ उनसे कहती है, “जाने दो अब वह बड़ी हो चुकी है। और अपनी लक्ष्मी बहुत समझदार है वह कोई गलत काम नहीं करेगी।” यह कहकर लक्ष्मी की माँ लक्ष्मी के पिताजी का मन शांत कर देते हैं।

 

लक्ष्मी और उसकी सहेली शिव मंदिर पहुँच जाती है। मगर सूरज वहाँ पर काफी देर से बैठा हुआ था। लक्ष्मी को उसकी सहेली कहती है, “लक्ष्मी तू सूरज से बात कर ले मैं यहीं पर बैठकर तुम्हारा इंतजार करती हूँ।” तब लक्ष्मी कहती है, “ठीक है मैं सूरज से मिलकर आती हूँ।”

 

लक्ष्मी सूरज के पास जाकर कहती है, “कहो सूरज तुम्हे क्या कहना है?” सूरज कहता है, “लक्ष्मी पहले तुम शिवजी की कसम खा कर कहो कि तुम मेरे किसी भी बात का बुरा नहीं मानोगे। और अगर तुम्हे मेरे किसी भी बात का बुरा भी लग जाए तो तुम मुझे माफ़ कर दोगी।” लक्ष्मी शिवजी की किसी खाती है और कहती है, “नहीं सूरज मैं तुम्हारे किसी भी बात का बुरा नहीं मानूंगी और अगर मुझे बुरा भी लगा तो मैं तुम्हे माफ़ कर दूंगी। अब कहो सूरज तुम्हे क्या कहना है?”

 

सूरज लक्ष्मी का हाथ पकड़ लेता है और कहता है, “लक्ष्मी मैं शिवजी की कसम खा कर कहता हूँ कि मुझे तुमसे सच्चा प्यार हो गया है। कल जब तुम मुझे पहली बार मिली तो पता नहीं मुझे क्या हुआ बस तुम्हारे ही तुम्हारे ख्याल आते हैं। और मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारा और मेरा जन्म जन्म का रिश्ता है। और यह बात मैंने अपनी माँ को भी बता दी। अब मुझे पता नहीं की तुम मेरे बारे में क्या सोचती हो लक्ष्मी।” तब लक्ष्मी कहती है, “सूरज सच कहूं तो मुझे पहली नजर में ही तुमसे प्यार हो गया था। और शायद भगवान की भी यही मर्जी है तभी तो कल तुम्हारे और मेरे गले में अपने आप ही माला डल गई थी मैंने तो उसी वक्त तुम्हे अपना मान लिया था। और तुम्हारे सामने तो मेरी आवाज भी बंद हो गई थी। न जाने मुझे उस वक्त क्या हो गया था? पहली बार मुझे भी ऐसा महसूस हो रहा था कि न जाने मैं कौनसी दुनिया में जा पहुँची। तब मेरे सहेली ने कहा कि मुझे तुमसे शायद प्यार हो गया है। इसलिए तो मैं इतनी दूर तुमसे मिलने आई हूँ।”

 

सूरज कहता है, “तो लक्ष्मी क्या तुम्हे मेरा मंजूर है?” लक्ष्मी ने कहा, “हाँ सूरज मैं भी तुमसे बेहद प्यार करती हूँ। लेकिन सूरज पहले तुम्हे मेरे घर पर आकर मेरे माता-पिता से मेरा हाथ मांगना पड़ेगा तभी मैं अगली बार तुमसे मिल पाऊंगी वरना मैं तुमसे नहीं मिल सकती सूरज। क्यूंकि मैं नहीं चाहती कि मेरे पिता को कोई यह कहे कि तुम्हारी बेटी बाहर मजे उड़ा रही है। इसलिए सूरज मुझे माफ़ कर देना। मैं अपने माता-पिता से पूछे बिना कुछ भी नहीं कर सकती।”

 

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सूरज लक्ष्मी से एक वादा करता है और कहता है, “लक्ष्मी मैं इसी हप्ते अपने माता-पिता को लेकर तुम्हारे घर पर तुम्हारा हाथ मांगने जरूर आऊंगा। तुम मेरा इंतजार जरूर करना लक्ष्मी।” यह कहकर सूरज वहाँ से चला जाता है। तभी लक्ष्मी और उसकी सहेली भी अपने घर आ जाते हैं। और अब लक्ष्मी को सूरज के आ जाने का इंतजार था। लेकिन अब तो एक हप्ते से भी ऊपर हो गया था। मगर सूरज अब तक लक्ष्मी के घर उसका हाथ मांगने नहीं आया था।

 

लक्ष्मी अब रोज सूरज के आने का इंतजार करती थी और हर समय सूरज के बारे में ही सोचती रहती थी। और अपने मन ने बस यही पुकारती थी, “तुम कब आओगे? सूरज तुम्हारी लक्ष्मी तुम्हारा इंतजार कर रही है अब आ भी जाओ सूरज।” सूरज की याद में लक्ष्मी बहुत उदास रहने लगी थी। उसे इस हालत में देखकर पूरा गाँव और घर वाले बड़े सोच में पड़ गए थे कि लक्ष्मी को अचानक क्या हो गया? पहले तो ये हमेशा हसंती-खेलती रहती थी मगर अब इतनी उदास क्यों रहने लगी? मगर किसी को यह नहीं पता था कि लक्ष्मी को किसी से सच्चा प्यार हो गया था।

 

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