तेनालीराम की इस मजेदार कहानी का नाम है गुलाब (The Rose Tenali Rama Story in Hindi) उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी पसंद आएगी।
तेनालीराम की कहानी: गुलाब
विजयनगर में श्रावण का मौसम था। पुरे नगर में सुंदर-सुंदर फूल खिले थे। झरनों से बहते पानी से भरा तालाब सुंदर लग रहा था। बगीचे सारे के सारे पेड़ फलों से भरे हुए थे। पंछी अपना भोजन जमा कर रहे थे। विजयनगर के लोग इस मौसम का आनंद लेने में व्यस्त थे।
एक दिन दरबार में ऋतू के बारे में चर्चा शुरू हो गई।
एक मंत्री ने सलाह दी – महाराज वर्षा ऋतू ने हमारे नगर की सुंदरता बढ़ा दी है। हमें इस अच्छे वातावरण में घुड़सवारी करनी चाहिए।
राजा कृष्णदेव राय – मैं भी यही सोच रहा था। ईश्वर ने हमें सृष्टि के सुंदरता का आनंद लेने के लिए आँखें दी है। इसलिए कल सुबह जाने के लिए तैयारी किया जाए।
अगले ही दिन राजा कृष्णदेव राय, कुछ मंत्री और दरबारी पास ही के जंगल में घुड़सवारी के लिए गए। तेनालीराम बहुत आराम से जा रहा था। उस समय राजा की दृष्टि गुलाब की गुच्छो पर पड़ी। खिले हुए ताजे लाल गुलाब झूमती हवा में झूम रहे थे और सुंदर दिखाई दे रहे थे।
राजा अपने घोड़े से निचे उतर गए। उन्हें यह नजारा बहुत अच्छा लगा।
राजा कृष्णदेव राय – यह अति सुंदर दिखाई दे रहे हैं। अति सुंदर इसकी खुसबू भी है। यह क्या कहना चाहते हैं?
एक मंत्री बोला – केवल एक ही बात महाराज कि जैसे इनकी खुसबू पुरे जंगल में फैली है वैसे आपका नाम और शोहरत पुरे संसार में फैल जाए। यह यही कहना चाहते हैं महाराज।
दूसरा मंत्री – हाँ महाराज, इन फूलों की खुसबू आपके दया के समान हैं। आपकी उदारता के कारण ही हमारा राज्य इस खुसबू से भर गया है।
जल्द ही बाकि के मंत्री और दरबारी राजा की तारीफ करने में जुड़ गए। राजा बहुत खुश हो गए। इस समय तक तेनालीराम ने एक शब्द तक नहीं कहा था। वह गुलाब की झाड़ी की ओर देख रहे थे।
राजा कृष्णदेव राय – क्या हुआ तेनालीराम? तुम कुछ क्यों नहीं कहते?
मंत्री बोला – महाराज मैं सोचता हूँ कि आपके तारीफ से तेनालीराम को जलन होती है इसलिए यह शांत रहते हैं।
तेनालीराम – नहीं महाराज। मैं भी इन सुंदर फूलों की तारीफ कर सकता हूँ और आपकी महिमा की भी तारीफ कर सकता हूँ। लेकिन इन सुंदर गुलाबो में कुछ कांटे भी हैं, क्या आपने देखा है?
राजा कृष्णदेव राय – तेनाली तुम कौनसा संदेश देना चाहते हो?
तेनालीराम मंत्री के पास गया और उनके पास से उन्हें पडोसी राजा का एक छुपा हुआ संदेश मिला जो राजा कृष्णदेव राय के दुश्मन थे। तेनालीराम ने वह संदेश राजा को दिखाया जिसमे लिखा था – मंत्री, अपने राजा कृष्णदेव राय को अक्सर गुलाब के पौधो के पास लाना ताकि इस समय हम राज्य को लूट सके। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हे चुराए हुए माल का आधा भाग देंगे।
मंत्री – (राजा के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला) मुझे माफ कर दीजिए महाराज। मैंने केवल पैसो के लिए यह सब किया था।
राजा कृष्णदेव राय – तुमने जो किया वह घोर पाप है। तुमने राजसिंहासन को धोखा देने की कोशिश की है।
इसके बाद राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री को बंदी बनाकर उसे जेल में डाल देने को कहा।
राजा कृष्णदेव राय – तेनाली तुमने मेरी आँखें खोल दी। तुमने यह समझने में मेरी मदद की है कि हमारे राज्य की सुरक्षा दूसरे किसी राज्य के आने से पहले आती है।
शिक्षा – आप जहाँ भी जाए अपने आसपास होने वाली सारी बातों से सावधान रहे। किसी भी परिस्तिथि में खुद को फँसने न दे।
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