तेनालीराम की इस मजेदार कहानी का नाम है जादू की शक्ति (The Power of Magic Tenali Rama Story in Hindi) उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी पसंद आएगी।
तेनालीराम की कहानी जादू की शक्ति
उस साल भीषण गर्मी थी। राजा कृष्णदेव राय का दरबार भरा हुआ था। तेनालीराम भी वहाँ मौजूत था।
तेनालीराम – महाराज, मैं अपने गाँव में जाकर कुछ दिन के लिए रहना चाहता हूँ मुझे आज्ञा दीजिए महाराज।
राजा कृष्णदेव राय – ठीक है तुम्हे इजाजत है। लेकिन तुम्हे जल्दी आना पड़ेगा।
तेनालीराम – मैं 15 दिनों में ही आ जाऊँगा महाराज।
राजा कृष्णदेव राय – ठीक है तेनालीराम। लेकिन उससे ज्यादा मत रहना तेनाली क्यूंकि बहुत से जरुरी काम हैं और मैं चाहता हूँ कि तुम उस वक्त पर यहाँ मौजूत रहो।
तेनालीराम – मैं जल्द आ जाऊँगा। धन्यवाद महाराज।
15 दिन बीत गए लेकिन तेनाली वापस नहीं आया। राजा बहुत उदास महसूस करने लगे। उन्होंने तेनाली के जानकारी लेने सैनिको को उसके गाँव भेजा। इस बीच दरबारियों ने तेनाली के विरोध में राजा को उकसाया।
तेनालीराम एक महीने बाद दरबार में आए।
तेनालीराम – महाराज की जय हो।
राजा कृष्णदेव राय – तेनाली, तुमने कहा था कि तुम 15 दिनों में वापस आ जाओगे। लेकिन तुम अपने गाँव में इतने दिनों तक क्या कर रहे थे।
तेनालीराम – महाराज, छुट्टियों के दौरान मैं एक जादूगर के पास गया और मैंने वहाँ कुछ कर्तव् सीखे।
राजा कृष्णदेव राय – कौनसी जादू सीखी तुमने तेनाली?
तेनालीराम – यह आश्चर्यजनक जादू है। इस जादू के दयारा मैं कुँए और झरने गायब कर सकता हूँ महाराज।
राजा कृष्णदेव राय – (हँसते हुए) तेनाली यह क्या बकबास है? कैसे कोई कुएँ और झरने गायब कर सकता है?
तेनालीराम – जी महाराज। यदि आप सब मेरे साथ आने के लिए तैयार हैं तो मैं इसे साबित करने के लिए तैयार हूँ।
राजा कृष्णदेव राय – ठीक है तेनाली। चलिए हम सब चलते हैं।
तेनालीराम – जैसा आप कहे महाराज।
अगले ही दिन तेनालीराम राजा और दूसरे मंत्रियो को विजयनगर राज्य में ले गए। वहाँ वह एक झरने के पास गए।
तेनालीराम – महाराज इसे देखिए, इस गाँव में सात झरने खोदे जाने चाहिए थे हमारे मंत्री के हिसाब के अनुसार। मैंने उनमें से चार गायब कर दिए हैं अब केवल तीन झरने ही बाकि हैं। यदि आप चाहे तो आप मंत्री जी से ही पूछ लीजिए कि कितने झरने खोदे गए थे महाराज।
राजा समझ गए कि मंत्री ने महल बनाते वक्त धोखा किया है। मंत्री का सर शर्म से झुक गया।
राजा कृष्णदेव राय – मंत्री, आपने कुएँ खोदने और झरने बनाने में सिर्फ लोगों को ही धोखा नहीं दिया है और तो और आपने मुझसे और हमारे राज्य से ईमानदारी भी नहीं की।
राजा कृष्णदेव राय ने फिर सैनिको से कहकर मंत्री को बंदी बनाकर जेल में डाल देने को कहा।
तेनालीराम – महाराज, मंत्री ने केवल शहरों में ही संयोग से कुँए और झरने बनाए हैं। लेकिन गाँव में कुएँ और झरने बनाने में इन्होने धोखा देकर बहुत पैसा कमाया है। इसके खोज करने और सबूत लेने के लिए ही मैं कुछ गाँव में गया था। इसलिए मैं 15 दिनों में वापस नहीं आ सका महाराज।
राजा कृष्णदेव राय – तुमने बहुत अच्छा काम किया है तेनाली। मैं तुरंत गाँव में कुएँ और झरने के लिए सारा प्रवंध करवा देता हूँ। मैं तुम्हे इनाम के तौर पर हजार सिक्के देता हूँ।
तेनालीराम – धन्यवाद महाराज।
शिक्षा – हर अधिकारी को अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। यदि वह अपने शक्तियों का गलत उपयोग करे तो एक दिन जरूर दंड पाएगा।
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