तेनालीराम की इस मजेदार कहानी का नाम है लालची साहूकार और छोटे बर्तन (Tenali Rama story in Hindi) उम्मीद करते हैं आपको यह कहानी पसंद आएगी।
तेनालीराम की कहानी: लालची साहूकार और छोटे बर्तन
तेनालीराम को कई बार लालची और धोखेबाज साहूकार के खिलाफ शिकायतें मिल रही थी इसलिए वह उन्हें सबक सिखाने की ठानता है। रामा साहूकार के पास जाता है।
तेनाली – महाशय मुझे तीन बड़े बर्तन एक दिन के लिए चाहिए क्यूंकि में अपने घर पर सबको दावत दे रहा हूँ।
साहूकार – ठीक है। मैं आपको वह दो सोने की मुद्राएं प्रतिदिन भाड़े के हिसाब से दूँगा लेकिन मुद्राएं पहली ही देनी होगी।
तेनाली को पता था कि साहूकार जरुरत से ज्यादा पैसे माँग रहा है फिर भी तेनाली ने साहूकार को दो मुद्राएं दे दिए और साहूकार से तीन बड़े-बड़े बर्तन ले लिए।
अगले दिन तेनाली बाजार जाता है और तीन बर्तन बिलकुल उसी तरह के जैसा की वह साहूकार से ले आया था ठीक वैसे ही बर्तन लेकिन थोड़े छोटे आकार के खरीदता है।
अगले दिन तेनाली साहूकार के बर्तन लेकर उसके पास जाता है। और तीन बड़े-बड़े बर्तनो के साथ बाजार से लाए हुए तीन छोटे बर्तन भी ले जाता है।
तेनाली – महाशय यह रहे आपके तीन बड़े-बड़े बर्तन। मुझे लगता है कि यह तीन बड़े बर्तन गर्भवती थे इसलिए सुबह उन्होंने यह तीन छोटे-छोटे बर्तनो को जन्म दिया है। तो मेरे हिसाब से यह सारे बर्तन आपके ही हुए।
साहूकार – ओह…हाँ हाँ बिलकुल।
साहूकार मन ही मन बहुत ही प्रसन्न था। उसने तेनाली को तीन बर्तन दिए और बदले में उसे छह बर्तन वापस मिले। उसने रामु से कहकर सारे बर्तन अंदर रखवा दिए।
कुछ दिन बाद, तेनाली फिर से साहूकार के पास वापस कुछ काम से आते हैं।
तेनाली – मैं अपने घर में एक यज्ञ करने जा रहा हूँ। बहुत ब्राह्मणों और पंडितो को भोजन कराया जाएगा। इसलिए मुझे कुछ बड़े-बड़े बर्तन पाँच दिनों के लिए चाहिए।
साहूकार ने जो भी बर्तन तेनाली को चाहिए थे वे सब दे दिए और बदले में तेनाली ने साहूकार को बर्तनो का भाड़ा भी दे दिया। साहूकार मन ही मन सोचने लगा कि यह इंसान तो बेवकूफ है और वह इसके बेवकूफी का फायदा उठा सकता है। जब तेनाली बर्तन लेकर घर जा रहे थे तभी…
साहूकार – महाशय यह बर्तन भी गर्भवती हैं और दो-तीन दिनों में छोटे बर्तनो का जन्म होगा इसलिए इसका और छोटे बर्तनो का ख्याल रखना।
तेनाली – बिलकुल। जरूर ख्याल रखूँगा।
दिन गुजरते गए पर तेनाली ने कोई भी बर्तन साहूकार को लौटाया ही नहीं। चिंतित होकर साहूकार तेनाली के घर पहुँच जाता है।
साहूकार – महाशय मेरे बर्तन कहाँ हैं? आपने पाँच दिनों के लिए उन्हें लिया था पर अब तो 10 दिन से भी ऊपर हो चुके हैं।
तेनाली – खेद से कहना पड़ रहा है कि छोटे बर्तनो को जन्म देते समय उनकी जान चली गई।
साहूकार – धोखेबाज ऐसा कैसे हो सकता है?
तेनाली – महाशय कभी बच्चों को जन्म देते वक्त माओ की मृत्यु हो जाती है और यही आपके बर्तनो के साथ हुआ है।
साहूकार – तुम धोखेबाज हो। तुम मुझसे झूट बोल रहे हो। मैं तुम्हे न्याय के लिए दरबार में ले जाऊँगा।
दरबार में राजा पूरी कहानी सुनते हैं।
राजा – साहूकार तुमने शुरू में छोटे-छोटे बर्तन तो ले लिए। क्या तुम्हे पता नहीं था क्या बर्तन निर्जीव होते हैं और जन्म नहीं दे सकते? अगर शुरू में ही तुमने मान लिया कि बर्तन जन्म दे सकते हैं तो अब तुम्हे यह भी मानना होगा कि वह जन्म देते वक्त मर भी सकते हैं।
इस घटना से साहूकार को बहुत ही अच्छा सबक मिल जाता है और वह एक सच्चा इंसान बन जाता है।
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