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तेनालीराम की कहानी | पानी का कटोरा |The Bowl of Water Tenali Raman Story in Hindi

तेनालीराम की कहानी | पानी का कटोरा |The Bowl of Water Tenali Raman Story in Hindi

Posted on April 7, 2021

 

तेनालीराम की कहानी पानी का कटोरा

 

एक बार राजा कृषदेव राय कटक गए। वहाँ वह नर्मदा नदी के किनारे पर गए। एक महान संत वहाँ बैठे थे। राजा कृषदेव राय वहाँ गए और देखा की वह संत हवा में बैठकर ध्यान कर रहे थे।

 

राजा कृषदेव राय – (मन ही मन) यह साधु अपने मानव शक्ति के दयारा हवा में उड़ सकता है! यह जरूर महान और शक्तिशाली संत होंगे। मुझे इनसे आशीर्वाद लेना चाहिए।

 

राजा कृषदेव राय उस महान संत के सामने गए…

राजा कृषदेव राय – हे महान संत, मैं विजयनगर का राजा कृषदेव राय हूँ। आपके शक्ति ने मुझे प्रभावित किया है कृपा मुझे आशीर्वाद दीजिए।

 

संत – हे राजन, क्या तुम्हारे साथ सब ठीक-ठाक चल रहा है? क्या तुम अब खुश हो?

 

राजा कृषदेव राय – हाँ गुरूजी। लेकिन….

 

संत – विजयनगर के योद्धाओं ने पड़ोसी राज्य पर विजय पाई है हाल ही में हुए युद्ध में। इससे इन्हे नाम और सोहरत मिली है। बहुत नुकसान भी हुआ है, जीवन और धर्म का नुकसान हुआ। इससे तुम्हे बहुत दर्द हुआ। यह दर्द तुम्हारे विजय पर भारी है। क्या तुम सचमें इसी दशा में हो?

 

राजा कृषदेव राय – जी गुरूजी। आपने जो कहा बिलकुल सच है। मेरा राज्य अब बड़ी ही मुश्किल में है। इस परिस्तिथि के लिए मुझे हल दीजिए।

 

संत ने राजा कृषदेव राय को एक कटोरा दिया और कहा…

संत – हे राजन, अपने साथ यह कटोरा ले जाओ और पवित्र नदी नर्मदा में जाकर इस कटोरे में पानी भर लेना।

 

राजा कृषदेव राय – जो आज्ञा गुरूजी।

 

राजा कृषदेव राय नर्मदा में जाकर पानी भर ले आया और संत से कहा…

 

राजा कृषदेव राय – गुरूजी मैं इस पानी का क्या करू?

 

संत – इसे अपने साथ ले जाओ और अपने खजाने में छिड़कना। तुम्हारा खजाना धन से भर जाएगा। ईश्वर तुम्हारे राज्य पर अधिक नाम और सोहरत दें। लेकिन एक शर्त है कि तुम्हारे वहाँ पहुँचने तक पानी का एक बूंद भी कहीं नहीं गिरना चाहिए।

 

राजा कृषदेव राय – मैं ऐसा ही करूँगा गुरूजी।

 

राजा कृषदेव राय यह सोचने लगे की ऐसा कौन है जो पानी का यह कटोरा बिना छलकाए विजयनगर ले जा सकता है? मंत्री और सेनापति भी यह जिम्मेदारी नहीं उठा सकते। तेनालीराम इस काम के लिए सही रहेगा। राजा ने फिर सेनापति को कहकर तेनालीराम को बुलाने के लिए कहा। सेनापति ने कहा की तेनालीराम तो अभी सो रहा है। यह सुनकर राजा कृषदेव राय तेनालीराम के पास पहुँचे।

 

राजा कृषदेव राय – तेनाली, यह क्या है?

 

तेनालीराम – महाराज, आपने याद किया।

 

राजा कृषदेव राय – हाँ। मैं तुम्हे यहाँ सबसे बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए आया था लेकिन तुम सो रहे हो।

 

तेनाली – महाराज जब मुझपर कोई जिम्मेदारी नहीं होती तो मैं सो जाता हूँ लेकिन अगर आप मुझे कोई जिम्मेदारी देते हैं तो मेरी आंखे बंद नहीं होती।

 

राजा कृषदेव राय – (पानी का कटोरा देते हुए बोले) तेनाली मुझे नहीं पता की तुम पानी का यह कटोरा कैसे ले पाओगे एक भी बूंद जमीन पर गिराए बिना। यदि पानी का एक भी बूंद निचे गिर जाए तो हमारा राज्य बड़ी मुश्किल में होगा।

 

तेनालीराम – ठीक है महाराज मैं इसे संभाल लूंगा।

 

सामने खड़ा एक सेनापति मन ही मन कहने लगा – मैं जानता हूँ कि तेनालीराम इस में से पानी छलका ही देगा और अगर नहीं भी करे तो मैं उसे वैसा करवाऊँगा। उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए।

 

राजा कृषदेव राय अपने राज्य विजयनगर के लिए चल पड़े। राजा अपने रथ में बैठे तो थे लेकिन उनका पूरा ध्यान कटोरे पर ही था। तेनालीराम दूसरे रथ से राजा के पीछे जा रहे थे। राजा पानी के कटोरे के बारे में ही परेशान थे। सेनापति तेनाली का रथ चला रहा था। जानबूझकर वह पत्थर से भरे रास्ते पर जा रहा था ताकि पानी बाहर छलके। लेकिन तेनाली इससे बिलकुल परेशान नहीं थे। वह गहरी नींद में सो रहे थे।

 

राजा कृषदेव राय अपने राज्य विजयनगर में पहुँच गए। राजा और सेनापति तेनालीराम के रथ के पास आए। राजा ने देखा कि तेनाली अपने रथ में शांति से सो रहे हैं। उन्हें बहुत गुस्सा आया।

 

राजा कृषदेव राय – तेनालीराम।

 

तेनालीराम – जी महाराज।

 

राजा कृषदेव राय – तेनाली, मैंने क्या कहा था और तुम क्या कर रहे हो? मैंने तुम्हे जो जिम्मेदारी दी थी उसका क्या हुआ? कटोरा कहाँ हैं? तुमने हमारे राज्य के भविष्य को बर्बाद कर दिया।

 

तेनालीराम – महाराज मैं अच्छी तरह जानता था कि एक कटोरा पानी बिना छलकाए रथ पर लाना बहुत मुश्किल काम हैं इलसिए मैंने चमड़े के थैली में यह कटोरा रख दिया और कसकर उसे बांध दिया। इसलिए वह पानी इसमें सुरक्षित है जैसा आपने मुझे दिया था।

 

राजा कृषदेव राय – तेनालीराम तुम्हारे अक्लमंदी की कोई कमी नहीं है। मुझे बहुत गुस्सा आ गया था। मेरी बातों से अगर तुम्हे कोई चोट पहुँचे तो मुझे माफ कर देना।

 

तेनालीराम – महाराज आपका डाँटना मेरे लिए कोई नई बात नहीं लेकिन कुछ भी हो अंत में हमेशा आप मेरी तारीफ ही करते हैं और यह हमारे राज्य में सब जानते हैं।

 

तो आपको तेनालीराम की यह मजेदार कहानी “तेनालीराम की कहानी | पानी का कटोरा |The Bowl of Water Tenali Raman Story in Hindi” कैसी लगी निचे कमेंट करके जरूर बताएं और अच्छा लगे तो शेयर भी जरूर करिए।

 

यह भी पढ़े:-

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