आप सभी तो तेनालीराम और तेनालीराम की कहानी से परिचित ही होंगे उनसे जुडी ऐसी बहुत बुद्धिवर्धक कहानियां है जो आपने पहले सुनी होगी तो आज में उन्ही के एक कहानी बताने जा रही हूँ जिसका नाम है सबसे कीमती चीज।
तेनालीराम की कहानी सबसे कीमती चीज
एक बार राजा कृष्णदेव राय उड़ीशा राज्य पर विजय पाई और विजय होकर विजयनगर लौटे थे। राज्य में सभी लोग बहुत खुश थे और लोग विजई राजा का स्वागत करने के लिए बेताब थे। राजदरबार विजय मनाने के लिए इकट्ठा हुआ था।
राजा कृष्णदेव राय – आज मैं बहुत खुश हूँ। यह विजय हमारे लिए बहुत खाश है इसलिए हमें उत्सव मनाना चाहिए।
एक मंत्री उठकर बोला – महाराज, इस यादगार के लिए राज्य में विजय का एक विजयखम्बा होना चाहिए, जिस नकाशी भी हो।
राजा कृष्णदेव राय – यह तो अति उत्तम विचार हैं। तुरंत राजकलाकार को बुलाकर विजयखम्बे का काम शुरू करने के लिए आदेश दिया जाए।
राजा के आज्ञा अनुसार विजयखम्बे का काम शुरू हो गया। कलाकार ने दिन-रात काम किया और बहुत सुंदर खम्बा बनाया। कुछ दिनों बाद राजा ने एक खाश दिन राजा ने राज्य में विजयखम्बे का शुभारंभ किया।
राजा कृष्णदेव राय – मेरे प्यारे लोगों और प्यारे मंत्रियो, मैंने यह खम्बा हमारे विजय के रूप में बमवाया है। हर कोई इस खम्बे का आदर करे और हमेशा इस जगह को साफ सुतरा रखे।
राज्य की सभी लोग – जो आज्ञा महाराज।
राजा कृष्णदेव राय – ठीक हैं। हमारे कलाकार सुंदरवर्धन ने इस खम्बे पर अति सुंदर कलाकारी की है इसलिए मैं इन्हे इनाम देना चाहता हूँ। कलाकार तुम्हें जो चाहिए वह माँगो।
कलाकार – महाराज अपने मुझे बहुत बढ़िया मौका दिया है। आपने मुझे जो दिया है उससे मैं बहुत हूँ। मेरे लिए वह काफी है इसलिए मुझे और कुछ नहीं चाहिए महाराज।
राजा कृष्णदेव राय – ऐसा मत कहो तुम्हे जरूर कुछ लेना चाहिए, कम से कम मेरे लिए।
जैसे ही राजा ने कहा वैसे ही कलाकार ने राजा के सामने खाली झोला रख दिया और कहा –
कलाकार – महाराज, यह थैला लेकर इसमें संसार की सारी कीमती चीजे भर दीजिए।
राजा कृष्णदेव राय – सबसे कीमती चीज! हीरे या जवारात? तुम जो चाहो मैं वह तुम्हे दूंगा क्यूंकि तुम्हारे काम तुलना में यह सब कुछ नहीं हैं।
कलाकार – महाराज अपने जो भी फरमाया उसकी इस संसार में कोई न कोई कीमत तो जरूर है। मैंने जो माँगा है वह इस संसार से भी ज़्यादा कीमती है। अगर आप उसे ढूंढकर मुझे देंगे तो मैं जरूर उसे स्वीकार करूँगा।
राजा बड़ी दुविधा में पड़ गए और कोई भी नहीं जान पाया कि वह क्या माँग रहें हैं।
राजा कृष्णदेव राय – मैं समझता हूँ। तेनाली इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए सही आदमी है। लेकिन तेनाली तो आज नहीं हैं इसलिए कल तुम दरबार में जरूर आना, मैं तुम्हे सबसे कीमती चीज इनाम में दूंगा जो तुमने माँगी हो।
कलाकार – जो आज्ञा महाराज।
अगले दिन सिपाही तेनालीराम के घर गया और राजा की परेशानी के बारे में बताया और दरवार में आने के लिए कहा। राजा, कलाकार और मंत्री जब राह देख रहे थे तो तेनालीराम राज दरवार में आया।
राजा कृष्णदेव राय – तेनाली, इस कलाकार ने मुझे संसार की सबसे कीमती चीज देनेके लिए कहा है। तुम्हे बताना होगा कि वह क्या है।
तेनालीराम – जो कुछ भी हुआ है मैंने सब कुछ सुना हैं महाराज। आप चिंता बिलकुल न करे।
तेनालीराम ने फिर कलाकार से एक खाली थैला माँगा। कलाकार ने थैला तेनालीराम को दिया। उसने खाली थैले का मुँह बंद किया और उसे कलाकार को दे दिया।
तेनालीराम – कलाकार, सुनो इस बैग में वही सबसे ज्यादा कीमती चीज है जो चीज तुमने माँगी थी। इसे स्वीकार करो।
कलाकार – धन्यवाद। मैं चलता हूँ महाराज।
राजा सोचने लगा कि उसने तेनाली का धन्यवाद क्यों किया। और खाली थैला पाने के बाद बिना कुछ कहे कलाकार दरबार से क्यों चला गया।
राजा कृष्णदेव राय – तेनालीराम, जो कलाकार जिसने हीरे और जवाहरात लेने से इन्कार कर दिया वह तुमसे खाली बैग कैसे ले गया।
तेनालीराम – वह एकदम खाली बैग नहीं था महाराज। उसमें विजयनगर की शुद्ध और अदृश्य हवा भरी हुई थी, जिस पर सबसे विजई राजा कृष्णदेव राज किया करते थे। महाराज कोई मनुष्य हवा के बिना जी ही नहीं सकता है इसलिए कलाकार ने हवा को सबसे कीमती चीज जानकर स्वीकार किया है।
राजा कृष्णदेव राय – तेनालीराम तुम्हारी अक्लमंदी की कोई जवाब ही नहीं। तुम्हे पाना विजयनगर की तकदीर है और तुम्हारी सजा यह है कि तुम्हे एक दिन के लिए भी छुट्टी नहीं मिलेगी।
तेनालीराम – जी महाराज।
राजा कृष्णदेव राय – हाँ तेनाली। तुम्हारे बिना इस राजदरबार में कोई काम पूरा नहीं हो सकता।
शिक्षा – चाहें परिस्तिथि कितनी भी बुरी क्यों न हो, उस पर ध्यान दीजिए। आपको जरूर उसके लिए कोई अच्छा हल मिलेगा।
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