इस पंचतंत्र की कहानी का नाम है ” शनिदेव और मूर्तिकार | Shanidev And Sculptor Story in Hindi”
शनिदेव और मूर्तिकार
एक दिन शनिदेव की यह जानने की इच्छा हुई कि पृथ्वी पर रहने वाले लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। उन्होंने एक राहगीर का वेश धारण किया और एक मूर्तिकार की मूर्तिशाला में पहुँच गए। वहाँ उन्हें बहुत सारे देवी-देवताओं की मूर्ति दिखाई दी। वे मूर्तिकार के पास गए ओर पूछने लगे, “भैया ब्रृहस्पतिदेव की मूर्ति बनाने में कितने पैसे लोगे?”
मूर्तिकार ने जवाब दिया, “सो रूपए।”
शनिदेव ने फिर पूछा, “और राहु-केतु की मूर्तियाँ बनाने में कितने रूपए लोगे?”
मूर्तिकार ने इस बार और अधिक रूपए बताए। शनिदेव ने इधर-उधर देखा। उन्हें अपनी मूर्ति भी दिखाई दी। उन्होंने अनुमान लगाया कि उनकी मूर्ति के तो यह और अधिक रूपए माँगेगा। फिर भी उन्होंने पूछना ही उचित समझा, “इतना और बता दो कि शनि की मूर्ति के लिए कितने रूपए लोगे?”
मूर्तिकार ने जवाब दिया, “अगर तुम मुझसे पहले वाली दो मूर्तियाँ बनवाओगे, तो मैं शनि की मूर्ति तो तुम्हे बिना दाम के ही दे दूँगा।”
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