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बीरबल की मौत की कहानी | Death Story of Birbal in Hindi

बीरबल की मौत की कहानी | Death Story of Birbal in Hindi

Posted on April 13, 2021

 

Death Story of Birbal in Hindi

आज हम इस लेख में बात करेंगे अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल की मृत्यु के बारे में (Death Story of Birbal in Hindi), कि आखिर कैसे समझदार बीरबल का अंत हुआ। इस बात से हर कोई वाकित नहीं हैं।

 

(बीरबल की मौत की कहानी)

बीरबल ने अपनी महारत पर ऐसा जादू कर दिया कि अकबर ने उन्हें अपने महल में वजीर का भी ओदा दे दिया था। हालाँकि बात यही नहीं रुकी, माना जाता है कि अकबर ने बीरबल को वजीर से राजा बनाने का फैसला भी कर लिया था। इसी के तहत अकबर ने बीरबल को खूब सारा सोना, सेना और विशाल जगह भी दे दी। जिसके बाद लोगों ने बीरबल को राजा बीरबल कहना शुरू कर दिया।

 

इसी समय अफ़्ग़ानिस्तान के बाजौर में कुछ लोग अपनी ताकत से वहाँ की लोगों को लूट रहे थे। लोग इस जबरन वसूली से बहुत ही ज्यादा परेशान हो चुके थे। आवादी और वीरान हो रही थी, हजारो लोगो का सामूहिक पलायन होना शुरू हो गे। ऐसी स्तिथि में अकबर ने अपने अहम् सिपहसलार जैन खान कौका को अफ़ग़ानिस्तान में शांति करने के लिए चुना। वह मुघल सेना का एक प्रमुख सैनिक था।

 

जैन खान युद्ध का सारा सामान लेकर अफ़ग़ानिस्तान के इस कठिन इलाके के और निकल पड़ा। अफ़ग़ान जाने का रास्ता जंगल पहाड़ियों से होकर गुजरता था, जिसके बारे में सेना की किसी भी इंसान को जानकारी नहीं थी। हालाँकि नदियों , पहाड़ो और जंगलो को लाँगते हुए मुघल सेना अफ़ग़ान के उस इलाके में पहुँची, जहाँ इनका मुकाबला अफ़ग़ान के एक ताकतपर कबीले के साथ होना था।

 

ऐसा कहा जाता है कि जब एग्फ़्ग़ानों के साथ युद्ध होता था तो वह बड़ी बहादुरी के साथ लड़ते थे। इनके लिए पहाड़ो पर चढ़ना दाईं हाथ का खेल होता था। वह लोग पेड़ो पर चढ़ने में भी माहिर थे। महार मुघल सेना इन सब बातों से अनजान थे। हालाँकि फिर भी उन्होंने जंग शुरू की।

 

अफगानी सेना सामने से मुकाबला नहीं कर रही थी। वह गुरिल्ला युद्ध की तरह मुघल सेना से लड़ते रहें। इसकी खामियाजा मुघल सेना को उठाना पड़ा और उनका काफी नुकसान भी हुआ। मुघल सेना पहाड़ो की चढ़ाई करते हुए थक चुकी थी। उनका राशन पानी भी ख़त्म होने लगा था जिससे आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही थी।

 

अफ़ग़ान सेना से लड़ना उनकी उम्मीद से कही ज्यादा मुश्किल था। कहते हैं कि मुघल तक़रीबन यह जंग हार ही चुके थे तभी जैन खान कौका ने एक चाल चली। धारणाओं की माने तो जैन खान ने अकबर को एक झूठी चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में उसने कहा कि वह लगभग जंग जीत चूका है और अफ़ग़ान को पूरी तरह से पाने के लिए उसे थोड़ी सी और सेना की जरुरत है।

 

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इसके बाद वह दूसरी टुकड़ी के आने के इंतजार में गहरे घाटीयों में जाकर बैठ गया। जब जैन खान का पैगाम आया तो अकबर ने इस बात पर गौर किया कि आखिर किस फौज को भेजा जाए जो जैन खान के साथ जीत का परचम लहराए। उस वक्त दरबार में अबुल फजल और बीरबल में मौजूत थे। कहते हैं की अबुल फजल ने इस युद्ध में जाने की इच्छा जताई तो अकबर ने उसे साफ मना कर दिया।

 

हालाँकि जब अकबर से बीरबल ने जैन खान की सहायता हेतु जाने की आज्ञा मांगी तो अकबर तुरंत तैयार हो गया। तब बीरबल को सेनापति नियुक्त किया गया और आठ हजार की फौज के साथ अफ़ग़ान रवाना कर दिया गया। बीरबल अक्लमंद व्यक्ति तो थे मगर उनको युद्ध नीतियों के बारे में महारत हासिल नहीं थी।

 

जब बीरबल की फौज अफ़्ग़ानियो के साथ मुकाबला करने मैदान में उतरे तो पहाड़ी लोगों के सामने बीरबल की फौज भारी पड़ी। मुघलो की फौज ने कई सारे अफ़्ग़ानियो को मार गिराया। हालाँकि लड़ते-लड़ते अँधेरा हो गया जिसके कारण युद्ध पर विराम लगाना पड़ा। इसके बाद बीरबल अपनी सेना के साथ अगले दिन की लड़ाई की रणनीति बनाने लगे।

 

कहा जाता है कि जब बीरबल की सेना अफ़्ग़ानियो से युद्ध कर रही थी तभी अकबर ने अपने एक और दरबारी हकीम अबुल फतेह को एक फौज की टोपड़ि के साथ अफ़ग़ान भेज दिया। बीरबल की तरह हकीम अबुल फतेह को भी युद्ध के नीतियों के बारे में जानकारी नहीं थी। साथ में यह भी कहा जाता है कि जैन खान, अबुल फतेह और बीरबल में  आपसी मतभेद भी होते रहे। यह तीनो एक दूसरे के कट्टर दुश्मन थे। इसके कारन तीनों एक दूसरे के सलाह को मानने से इंकार करते थे। एक बात  कभी तीनो की सहमति नहीं बनती थी।

 

आपसी फुट के साथ वह तीनो अफ़ग़ानिस्तान के बलंदरी घांटी में घुसे। इसके बाद बीरबल ने आगे की योजना बताई मगर कोई भी उस पर राजी नहीं हुआ। इसके बाद तीनो ने अपने-अपने अलग-अलग रास्तो पर जाने की ठान ली। बीरबल अगले आक्रमण के लिए तीन से चार कोष का सफर तय करके रात को रुक जाते हैं। बीरबल अपनी सेना को लेकर जिस जगह पर रुकते हैं वही दुश्मन की फौज गांठ लगाए बैठी थी।

 

रात के अँधेरे में अचानक अफ़ग़ान फौज ने बीरबल की सेना को चारो ओर से घेर लिया और उन पर पत्थर और तीर बरसाने शुरू कर दिए। घबराहट के मारे सारे सेना और जानवर तीतर बितर हो गए जिससे सेना में भगदड़ मच गई। रात के इस अँधेरे में जो जहाँ भाग पाया भाग गया। इससे कई सारे सेनिको की मौत हो गई। बीरबल ने भी कोशिश की थी इससे बचने की  मगर तब तक अफगानी सेना ने उन पर तीरो से तार-तार कर दिया। कोई मदद न मिल पाने के कारन वही पर बीरबल की मौत हो गई।

 

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कहा जाता है कि लाशो की अम्बार में बीरबल के लाश का कुछ पता न चला और बीरबल का उनके धर्म के अनुसार क्रियाक्रम भी नहीं हो सका। अकबर को बीरबल की मौत से बहुत बड़ा झटका लगा। हर कोई हैरान था यह जानकर कि बीरबल जैसा कोई विद्वान ऐसे कैसे मारा गया। इसके साथ ही महान बीरबल का अंत हो गया। बीरबल की मौत इस प्रकार होगी ऐसा किसी ने नहीं सोचा था। हालाँकि किस्मत के आगे किसी की नहीं चलती।

 

तो दोस्तों यह थी महान विद्वान बीरबल की मौत की कहानी। उम्मीद करते हैं कि आपको यह “बीरबल की मौत की कहानी | Death Story of Birbal in Hindi” लेख जरूर पसंद आया होगा और इस लेख के जरिए आपको बहुत कुछ जानने को भी मिला। होगा अगर आपको यह लेख अच्छी लगी हो तो अपना विचार कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और इस लेख को शेयर भी जरूर करें।

 

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