आरी की कीमत
Aari Ki Kimat Story in Hindi
एक बार की बात है, एक बढ़ई था। वह दूर किसी शहर में किसी सेठ के यहाँ काम करने गया। एक दिन काम करते-करते उससे उसकी आरी टूट गई। बिना आरी के वह काम नहीं कर सकता था, और वापस अपने गाँव लौटना भी बहुत मुश्किल था। इसलिए वह शहर से सटे एक गाँव में पहुँचा।
इधर-उधर पूछने पर उसे एक लोहार का पता चल गया। वह लोहार के पास गया और बोला, “भाई मेरी आरी टूट गई है, तुम मेरे लिए के अच्छी आरी बना दो।” लोहार बोला, “बना दूंगा, पर इसमें समय लगेगा। तुम कल इसी वक्त आकर मुझसे आरी ले जा सकते हो।”
बढ़ई को जल्दी थी तो उसने कहा, “भाई कुछ पैसे अधिक ले लो पर मुझे अभी आरी बना कर दो।” लोहार ने समझाया, “बात पैसे की नहीं है भाई…अगर मैं इतनी जल्दबाजी में औजार बनाऊँगा तो मुझे खुद उससे संतुष्टि नहीं होगी। मैं औजार बनाने में कभी भी अपनी तरफ से कोई भी कमी नहीं रखता।”
बढ़ई तैयार हो गया और अगले दिन आकर अपनी आरी ले गया। आरी बहुत अच्छी बनी थी। बढ़ई पहले की अपेक्षा आसानी से और पहले से बेहतर काम कर पा रहा था। बढ़ई ने खुशी से यह बात अपने सेठ को भी बताई और लोहार की खूब प्रसंशा की। सेठ ने भी आरी को करीब से देखा।
सेठ ने बढ़ई से पूछा, “इसके कितने पैसे लिए उस लोहार ने?” बढ़ई ने कहा, “दस रूपए।” सेठ ने मन ही मन सोचा शहर में इतनी अच्छी आरी के तो कोई भी तीस रूपए दे देगा। क्यों न उस लोहार से ऐसी दर्जनों आरियाँ बनवा कर शहर में बेचा जाए।
अगले दिन सेठ लोहार के पास पहुँचा और बोला, “मैं तुमसे ढेर सारी आरियाँ बनवाऊँगा, हर आरी के दस रूपए दूंगा। लेकिन मेरी एक शर्त है, आज के बाद तुम सिर्फ मेरे लिए काम करोगे, किसी और को आरी बनाकर नहीं बेचोगे।” लोहार बोला, “मैं आपकी शर्त नहीं मान सकता।”
सेठ ने सोचा लोहार को अधिक पैसे चाहिए। वह बोला, “ठीक है मैं तुम्हे हर आरी के पंद्रह रूपए दूंगा…अब तो मेरी शर्त मंजूर है।” लोहार ने कहा, “नहीं अभी भी आपकी शर्त नहीं मान सकता। मैं अपनी मेहनत का मूल्य खुद निर्धारित करूँगा। आपके लिए काम नहीं कर सकता। मैं इस दाम से संतुष्ट हूँ इससे ज्यादा दाम मुझे नहीं चाहिए।”
व्यापारी ने आश्चर्य से कहा, “बड़े अजीब आदमी हो…भला कोई आती हुई लक्ष्मी को मना करता है?” लोहार बोला, “आप मुझसे आरी लेंगे फिर उसे दुगने दामों में गरीबो को बेचेंगे लेकिन मैं किसी गरीब के शोषण का माध्यम नहीं बन सकता। अगर मैं लालच करूँगा तो उसका भुगतान कई लोगों को करना पड़ेगा, इसलिए आपका यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर सकता।”
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सेठ समझ गया एक एक सच्चे और ईमानदार व्यक्ति को दुनिया की कोई दौलत नहीं खरीद सकती, वह अपने सिद्धांतो पर अड़िग रहता है।
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