राजा मिडास और गोल्डन टच की कहानी King Midas And Golden Touch Hindi Story
King Midas And Golden Touch Hindi Story
बहुत पुराणी बात है, एक खूबसूरत से शहर में मिडास नाम का राजा अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहा करता था। राजा मिडास बहुत लालची था और उसके पास बहुत सारा सोना था।
राजा मिडास को अपने सोने से बहुत प्रेम था। उसे सोना इतना पंसद था कि उसने अपनी बेटी का नाम भी सोनपरी रखा था। अपने जीवन में राजा को सिर्फ दो ही चीज़े अच्छी लगती थी एक सोना और दूसरी उसकी बेटी सोनपरी।
राजा मिडास अपना सारा सोना एक तेरखाने में रखता था और हर रोज उसे गिनता था। उसकी इस आदत पर रानी कहती, “महाराज अगर आप ऐसे रोज अपना सोना गिनेंगे तो एक दिन यह सारा सोना गायब हो जाएगा।”
रानी की बातों पर राजा मिडास बहुत नाराज होता था। वह कहता था, “अरे रानी, तुम बिलकुल नहीं समझती। यह सोना बहुत महत्वपूर्ण होता है। दुनिया में सबसे ज़्यादा खूबसूरत और कीमती चीज़ कुछ भी नहीं है।’
इस तरह हर रोज राजा अपना सोना गिनता और उसका सोने के प्रति लगाव बढ़ता ही चला जाता था। अब राजा दिन व दिन लालची होता जा रहा था।
जहाँ एक तरफ राजा को सोने से इतना प्यार था और उसकी राजकुमारी सोनपरी को उसे तो सोने में कोई दिलचस्वी नहीं थी। दिनभर वह बगीचे में खेलती और उसे प्रकृति से बहुत प्रेम था।
राजकुमारी हर वक्त रंगबेरंग फूलो को देखती रहती। उसे यह सब देखने में बहुत मजा आता। वहीं दूसरी तरफ राजा मिडास कहता, ” हाँ यह सुंदर तो है लेकिन अगर सोने का होता तो और ज़्यादा सुंदर होता।
अब धीरे-धीरे राजा मिडास इतना लालची होता चला गया कि उसे लगा उसे दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनना चाहिए। धीरे-धीरे उसकी यह चाह कब पागलपन में बदल गई पता ही नहीं चला।
एक दिन उसने अमीर आदमी बनने के लिए भगवान से प्रार्थना करने के बारे में सोचा। उसने खाना-पीना छोड़कर भगवान का ध्यान करना शुरू कर दिया। कई दिन बीत गए लेकिन राजा अपनी प्रार्थना से अपना ध्यान बिलकुल भंग नहीं होने देता।
अंत में भगवान बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और उसे दर्शन देने पहुँचे। भगवान ने कहा, “बताओ तुम्हे क्या चाहिए?” राजा ने कहा, “भगवान मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं जिस चीज़ को भी टच करूँ वह सोने की बन जाएँ।
भगवान ने उसे वरदान दे दिया और कहा, “एक बात हमेशा ध्यान रखना कई सोने से तुम हर खुशी नहीं खरीद सकते।” ऐसा कहकर भगवान गायब हो गए।
राजा तो अब खुशी के मारे झूमने लगा। वह महल की हर छोटी बड़ी चीज़ को छूने लगा। हर चीज़ सोने में बदलती जा रही थी। उसकी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।
राजा बगीचे में पहुँचा और पेड़-पौधे को छू कर सोने में बदल दिया। अब राजा मिडास थक गया था। उससे भूख लगी थी। वह खाना-खाने के लिए महल में गया और अपनी सोने की कुर्सी और टेबल पर जाकर बैठ गया।
टेबल पर बहुत सारी चीज़े थी खाने के लिए। राजा के मुँह में पानी आ गया। जैसे ही राजा ने सेव खाने के लिए पकड़ा वह सोने का बन गया। अब उसने मिठाई खाने के लिए हाथ बढाया और मिठाई भी सोने में बदल गई। उसके हाथ लगाते ही सारे पकबान सोने में बदल गए।
अब राजा निराश हो गया और कहा, “हे भगवान अब मैं क्या खाऊँ मुझे बहुत जोर से भूख लगी है।” अपने पिता की आवाज सुनकर सोनपरी दौड़ती हुई बाहर आई। उसने देखा उसके पिताजी बहुत परेशान है और यह देखकर वह उनसे गले मिलने के लिए भागी।
इससे पहले की राजा कुछ कहता राजकुमारी सोनपरी ने राजा को छू लिया और राजकुमारी सोनपरी राजा के छूते ही सोने में बदल गई। अपनी बेटी का यह हाल देखकर राजा मिडास जोर-जोर से रोने लगा।
इस सबके बाद राजा ने फिरसे भगवान से प्रार्थना की। भगवान जब प्रकट हुए तो राजा ने कहा, “हे भगवान, मुझे यह वरदान नहीं चाहिए। मैं बहुत लालची हो गया था लेकिन अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है। कृपा मेरी सहायता करें।”
राजा की बात सुनकर भगवान ने अपनी वरदान वापस ले लिया और सब कुछ पहले की तरह हो गया। राजकुमारी सोनपरी फिरसे बगीचे में खेलने लगी और राजा मिडास वह भी अब प्रकृति का आनंद उठाने लगे और अब राजा मिडास ने सोना गिनना बिलकुल बंद कर दिया था।
इस कहानी से सीख, Moral of The Story:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें लालच कभी नहीं करनी चाहिए क्यूंकि लालच बहुत बुरी चीज़ होती है और उसका फल हमेशा बुरा ही होता है।
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