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Karm Ka Fal Motivational Story in Hindi 

कर्म का फल भोगना पड़ता है एक सच्ची कहानी | Karm Ka Fal Motivational Story in Hindi

Posted on March 15, 2021

 

कर्म का फल एक सच्ची कहानी  Karm Ka Fal Motivational Story in Hindi

 

Karm Ka Fal Motivational Story in Hindi 

एक दिन अचानक एक दुर्घटना का मामला हस्पताल में आया। डॉक्टर्स तुरंत ICU में आए। हादसे का कारन जाँच किया और स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होना चाहिए। रुपियो की लेन-देन के लिए इसके परिवार से बात नहीं करनी।

 

15 दिन के हस्पताल में रहने के बाद का बिल डॉक्टर साहेब के टेबल पर आया। डॉक्टर ने पैसे नहीं लिए और कहा, ” एक भी पैसा इस व्यक्ति के पास से लेना नहीं है।” उसने अपने अकाउंट मैनेजर को अपने पास बुलाया।

 

डॉक्टर ने कहा, “उस व्यक्ति को मेरे चेम्बर में लाया जाए। और साथ में तुम भी आना।” उस व्यक्ति को व्हील चेयर में ऑफिस में लाया गया। डॉक्टर साहेब ने कहा, “भाई प्रबीन, तुम मुझे पहचान सकते हो क्या?” उस व्यक्ति ने कहा, “हाँ आपको कहीं देखा हुआ है ऐसा लग रहा है।”

 

डॉक्टर ने कहा, “आज से 3 साल पहले एक परिवार पिकनिक मनाकर वापस आ रहा था और वापस लौटते समय अचानक कार में से धुयाँ उड़ना शुरू हो गया और कार को साइड पर खड़ा करके हम लोग देखने लगे। थोड़ी देर तक हमने कार को शुरू करने का बहुत प्रयत्न किया पर कार चालू ही नहीं हो रही थी। एकदम सुनसान सड़क थी। वहाँ पर कोई दिखाई नहीं दे रहा था। सूर्य भी अस्त होने की तैयारी कर रहा था। परिवार के हर एक सदस्य के चहरे पर चिंता छा गई थी। पति-पति, लड़के और बच्चे भगवान से प्रार्थना कर रहे थे और थोड़े ही समय में चमत्कार हुआ। वहाँ से कोई लड़का बाइक पर निकला। उसके कपडे बहुत ही खराब दिखाई दे रहा था। हम सबने दया दृष्टि से अपने हाथ ऊपर किए। वह तुम ही थे न। तुमने रस्ते पर रूककर हमारे परेशानी का कारन पूछा था। तुम कार के पास आए और अचानक कार का बोनेट खोलने के लिए कहा और चेक करने लगा। उस समय तो हमारे परिवार के लिए भगवान से कम नहीं था क्यूंकि अँधेरा होने वाला था। 10 मिनट तक कोशिश करने के बाद तुमने हमारे कार को चालू कर दिया और हमारे सब के चहरे पर आनंद छा गया था। मैंने अपना बटुआ निकाला और पहले कहा तुम्हारा खूब-खूब आभार। कहीं बार रुपियो से ज़्यादा तो समय की कीमत होती है। तुमने हमारे मुसीबत के समय हमारी मदद की थी और उसकी कीमत मैं रुपियो से नहीं तोल सकता हूँ। लेकिन फिर भी मैंने आपको पैसे देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया था। उस समय तुमने हाथ जोड़कर मुझे जो शब्द कहे थे उसे मैंने अपने ज़िंदगी के सिद्धांत बना लिए है। तुमने कहा था मेरे नियम ही मेरे सिद्धांत हैं मैं किसी भी व्यक्ति से कोई पैसा नहीं लेता हूँ जो एक समस्या में है। मेरे पैसो का हिसाब ऊपरवाला रखता है। यदि कोई गरीब या मेहनती व्यक्ति अपने सिद्धांतो पर खड़ा उतर सकता है तो हम क्यों नहीं। मैंने अपनी भीतर की आत्मा से सवाल उठाया। तुमने कहा था कि यहाँ से दस किलोमीटर के दुरी पर मेरा गेराज है। आपकी कार मेरे बाइक के पीछे चलाइये और कोई भी रास्ते में तकलीफ हो तो मुझे आवाज दे दीजिएगा। कौन कहता है मुफ्त में सेवा नहीं मिलती। बात मुफ्त की नहीं है बात व्यक्तित्व की है। दोस्त ऐसा हुए 3 साल हो गए हैं पर मैं तुम्हे और तुम्हारे शब्दों को अभी तक भुला नहीं पाया हूँ। एक बात बहुत ही अच्छी तरह से समझमें आ गई दिल तो छोटे लोगों के ही होते हैं। उस समय हमारे परेशानियों को देखने के बाद तुम अपनी इच्छा के अनुसार हमारे साथ एक सौदा कर सकते थे लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। सबसे पहले बिना किसी प्रलोभन के कार को ठीक किया और हमें घर तक पहुँचने के लिए सहायता किया। यह हस्पताल मेरा है इसलिए तुम यहाँ के मेहमान हो और तुम्हारे पास से रूपया लेने की जरुरत नहीं है।”

 

उस व्यक्ति ने कहा, “डॉक्टर साहेब डिस्काउंट के साथ ले लीजिये पर ले लीजिये।” डॉक्टर ने कहा, “मैंने उस समय अपना पहचान या कार्ड नहीं दिया था क्यूंकि उस समय तुम्हारे शब्दों ने मेरे आतंरिक आत्मा को हिला दिया था। मैंने बस भगवान से इतनी प्रार्थना की थी हे भगवान इस व्यक्ति का ऋण चुकाने का एक मौका मुझे दे दो मैं खुदको भाग्यशाली समझूंगा। और आज तीन साल के बाद भगवान ने मेरी यह प्रार्थना सुन ली। इसे सिर्फ एक प्राकृतिक संकेत समझे। दोस्त तुम्हारे ही शब्द आज तुम याद करो मैं किसी भी परेशान व्यक्ति से कोई पैसा नहीं लेता मेरी वापसी का हिसाब ऊपरवाला रखता है। अपनी वापसी की गणना करने के लिए उपरवाले ने मुझे भेजा हैं ऐसा मान लो।”

 

अकॉउंट मैनेजर डॉक्टर साहेब के सामने देखता रह गया। डॉक्टर कहते हैं, “प्रबीन, कोई भी तकलीफ होती है तो इधर आ जाना और मुझे कहना।”

 

अकाउंट मैनेजर के कंधे पर हाथ रखकर डॉक्टर ने बोला, “किसी भी सुधार के लिए किसी मठ या गुरु की जरूरत नहीं होती है कभी-कभी हम में से सबसे छोटे व्यक्ति भी हमारे आतंरिक आत्मा को जागरूक करते हैं।”

 

प्रबीन चैम्बर में रखी गई कृष्ण भगवान को छवि को हाथ जोड़कर प्रार्थना करता है और कहता है ,”कौन कहता है अच्छे या बुरे कर्म आप गिनते नहीं। हाँ इसमें समय लग सकता है लेकिन रूचि के साथ बुरे या अच्छे कर्मो का जवाब जरूर मिलेगा।”

 

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