मोर और कौवा की कहानी Hindi Story of a Crow and Peacock
मोर और कौवा की कहानी
एक बार की बात है, एक जंगल में एक कौवा रहता था। उसे अपने रूप से बहुत शर्मिंदिगी महसूस होता था। वह हमेशा सोचता रहता था, “भगवान ने मुझे ही इतना क्यों काला बनाया है? मुझे बिलकुल पसंद नहीं हैं यह काला रंग। कितना अच्छा होता अगर मेरे पंख भी रंगविरंग होते।”
ऐसे एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ बातें कर रहा था। उसने अपने दोस्तों से कहा, “भाई लोग कभी सोचा है हम लोग कितने बदसूरत दीखते हैं और दूसरे पंछियो को देखो कितने सुंदर हैं।”
कौए के दोस्त ने कहा, “तुम ऐसा क्यों सोचते हो? भगवान ने जिसे जैसा रंग-रूप दिया है उसी में उसे संतुष्ट रहना चाहिए। तुम्हे भी अपने काला होने पर शर्म नहीं गर्भ होना चाहिए।”
कौवा बोला, “छी, काला होने पर कैसा गर्भ कभी मौर को देखा है। भगवान ने दुनिया भर का रंग उसके पंख पर डाल दिया है। कितना सुंदर है वह! काश मेरे भी मोर जैसे पंख होते।”
उसके दोस्त ने कहा, ‘दुसरो को देखकर इर्षा मत करो यह बुरी बात है। मोर तो मोर है और तुम कभी भी मोर जैसा नहीं बन सकते।”
यह सुनकर कौवा वहाँ से चला गया। जमीन पर उसे कुछ मोर के पंख दिखाई दिया। वह बहुत खुश हो गया। कौवा ने जल्दी से मोर के सारे पंखो को अपने पंखो के ऊपर लगा लिया और खुदको मोर समझकर मोर के झुंड में शामिल होने के लिए चला गया।
कौवा मोर के पास जाकर बोला, “हेलो दोस्तों, मैं तुम सबसे दोस्ती करना चाहता हूँ। क्या तुम लोग मेरे दोस्त बनोगे?” मोर ने कहा ,’तुम कौन हो? तुमको तो यहाँ पहले कभी नहीं देखा।”
कौवा बोला, “मैं इस जंगल में नया हूँ।” मोर ने कहा, “ठीक है, आज से तुम भी हमारे दोस्त हो।”
मोर के झुंड में शामिल होकर कौवा मन ही मन बहुत खुश हुआ। ऐसे में हल्का बारिश शुरू हुआ। सारे मोर ख़ुशी से गाने लगे। कौवा भी अपने सुर में गाने लगा। पर कौए का सुर तो कौए की ही तरह होगा न। कौवा जोर-जोर से का-का करने लगा।
कौए के आवाज से सारे मोर को पता चल गया कि वह मोर के पंख पहना हुआ एक कौवा है। सारे मोर गुस्सा होकर कौए के शरीर से सारे पंख निकाल लिए और उसे वहाँ से भगा दिया।
कौवा फिर दुखी होकर अपने दोस्तों के पास रहने के लिए आ गया। उसके दोस्तों ने भी उसका बहुत मजाक उड़ाया। कौवा दुखी होकर वहाँ से चला गया। सुंदर और मोर बनने की चाहत में कौए को बिलकुल अकेला कर दिया।
शिक्षा – हम जैसे भी हैं उसी में हमें खुश रहने चाहिए।
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