Story of Jesus Christ in Hindi, इस लेख में हम बात करेंगे इसा मसीह यानि प्रभु यीशु के असली कहानी के बारे में और उनसे जुड़ी कुछ रहस्यमय कहानी के बारे में जो बहुत से लोगों को नहीं पता।
ईसा मसीह की असली कहानी | Story of Jesus Christ in Hindi
जीसस, एक यहूदी नौजवान जिसने पहली सताब्दी में ऐसे ऐसे चमत्कार दिखाए जिसकी कल्पना करना आज भी मुश्किल है। एक ऐसा मसीह जिसने लोगों के अंदर से नकारात्मक शक्तियों को निकाला और उनका परिचय स्वर्ग से करवाया। जिसने मरे हुए को जीवित करके साबित किया की वह कोई आम इंसान नहीं है। कुछ लोग उसे भगवान का पुत्र समझते थे तो कुछ लोग भगवान। लेकिन कुछ लोगों ने उसे ही सूली पर चढ़ा दिया।
जीसस का जीवन बेहद रहस्यमय था। 12 वर्ष की उम्र में यरुशलम से गायब हो गए और 18 लंबे वर्षो के बाद वह वापस लौट आए। आखिर इन 18 वर्षो तक वह कहाँ थे? सूली पर चढ़ने के बाद क्या उनकी मौत हो गई थी या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि वह उसके बाद भी जीवित थे? आखिर वह कौनसी प्रॉमिस लैंड थी जिसके बारे में जीसस ने बात की थी। जीसस का बनारस से क्या संबंध था। आज के लेख में हम इन्ही रहस्यों के बारे में बात करेंगे।
यीशु मसीह का जन्म और उनका भारत के साथ संबंध | Birth of Jesus Christ in Hindi
दोस्तों जीसस के अज्ञात वर्षो के बारे में कई तरह के अटकले लगाए जाते हैं। लेकिन एक कहानी ऐसी भी है जिसके कुछ चिन्ह हमें नजर आते हैं। यह कहानी है जीसस के भारत के साथ संबंध की।

जीसस का जन्म यरूशलम से 10 किलोमीटर दक्षिण में मौजूत बैथलहम में हुआ था। जीसस के जन्म के बाद तीन व्यक्ति पूर्व से उन्हें ढूंढते हुए आए थे, जिन्हे थ्री वाइज मैन के नाम से जाना जाता है। लोगों ने अनुमान लगाया कि वह लोग इराक, ईरान या सऊदी अरेबियन से आए होंगे। लेकिन किसी के दिमाग में भारत का ख्याल नहीं आया। इस बात का इशारा हमें इतिहास में जाकर मिलता है। लेबनान में 3000 वर्ष पुराना बालबेक टेंपल मौजूत हैं। इसे बनाते समय भारत के लेबॉर और हाथी का इस्तिमाल किया गया था। इस बात के कुछ आधार मौजूत हैं ,भारतीय कारीगरों ने जहाँ भी काम किया है वहाँ अपनी निशानिया जरूर छोड़ी है। बालबेक टेम्पल्स के पिलर्स के ऊपर कमल दिखाई देते हैं जो की सिर्फ भारत में पाया जाता था और लेबनान में यह फूल कहीं भी मौजूत नहीं था। इसके अलावा हमारे भारत में अपने गुरु की पूजा करने का एक पारम्परिक तरीका मौजूत हैं, जिसे सौदासा उपचार कहा जाता है। इस अनुष्ठान के लिए पत्थर को इस तरह तराशा जाता है जिसमें षोला कोणे मौजूत हो। इससे पता चलता है कि इन दो सभ्यताओं के बीच शुरुवात से ही व्यापर जारी है और भारत से लोग वहाँ जाते आए हैं।
उन दिनों भारत से लेबनान जाने का एक मात्रा पैदल यात्रा करना था। जब वह व्यक्ति 4000 किलोमीटर पैदल यात्रा करके लेबनान पहुँचे तो स्वाभाविक बात है कि वह काम करके वहाँ से वापस नहीं आए और वहीं बस गए और सायद यही बजह थी कि उन लोगों में से किसी ने जीसस के जन्म के रूप में एक बड़ी संभावना को देखा और यह खबर भारत पहुँची। फिर भारत से तीन लोग वहाँ गए। यह लोग भी इतनी लंबी यात्रा करके जीसस के पास पहुँचे और उन्होंने जीसस के बड़े होने का इंतज़ार किया। फिर अचानक 12 वर्ष की आयु में जीसस यरूशलम से गायब हो जाते हैं और 18 वर्ष के बाद जीसस फिरसे यरूशलम लौटे।
ऐसा माना जाता है उन 18 वर्षो के लिए जीसस भारत में थे जहाँ उन्होंने गहरी तपस्या और योग किया और अब उनका व्यक्तित्व कुछ और ही था। अब उनकी आँखों में बुद्धिमत्ता और आत्मज्ञान की चमक थी। अब जीसस कुछ वर्ष यहाँ रुके और फिर उन्हें सूली पर चढा दिया गया। जीसस के दुश्मनो के साथ-साथ कुछ ऐसे लोग भी वहाँ मौजूत थे जो उनसे बेहद प्यार करते थे। जिन्होंने उन्हें क्रॉस से उतारने का हर संभव प्रयास किया होगा। इतिहास में तरह-तरह की बातें की जाती है जैसे क्रॉस में लटकाने के बाद जीसस को उतारके एक ताबूद में रखा गया। कुछ लोगों के अनुसार उनका शरीर गायब हो गया। लेकिन एक किस्सा ऐसा भी है जो उनके भारत के साथ संबंध को और भी ठोस करता है। कहा जाता है उनके प्रियजनों ने उन्हें क्रॉस से उतार लिया और लेकर चले गए। उन्होंने ऐसी अफवाह फैलाई कि जीसस का शरीर गायब हो गया है। कुछ लोगों का कहना था कि उनके गुरु हिमालय से आए थे इसलिए जीसस को लेने आए वह तीन लोग भारत से हो इसमें कोई मुश्किल नहीं हो।
प्राचीन इतिहास में यह वर्णन मिलता है कि दो व्यक्ति मध्य पूर्व से बनारस आए थे जिसमें से एक व्यक्ति पूरी तरह घायल था। उसका नाम क्रिस्टो था और दूसरे व्यक्ति का नाम थॉमस था। आज भी भारत में ईसाई लोग थॉमस की भारत आने का जश्न मनाते हैं। कुछ समय वाराणसी में बिताने के बाद थॉमस के दक्षिण भारत जाने का वर्णन मिलता है। उन्होंने फिर योग का अभ्यास शुरू किया। फिर केरला जाकर एक छोटा सा मंदिर बनाया और फिर गुजरात जाकर उन्होंने देश छोड़ दिया। लेकिन जीसस के बारे में कोई वर्णन नहीं मिलता। लेकिन एक और ऐसा सबुद है जो जीसस को कश्मीर से जोड़ता है। कहा जाता है कि जीसस कश्मीर चले गए और वहाँ उन्होंने जीवन व्यतीत किया। उनकी मृत्यु दरहसल 71 वर्ष की आयु में हुआ था। वहाँ मौजूत लोगों का दावा है कि वहाँ जीसस की कब्र मौजूत है। उनकी समाधी कश्मीर के पहलगाम में मौजूत हैं, जिसे स्थानीय लोग जीसस के कब्र मानते आए हैं।
अगर कश्मीरी लोगों को देखा जाए तो जातीय तौर पर उनका रूप भारतीय जैसा नहीं है। दरहसल वह लोग यहूदियों से मिलते हैं। कहीं कश्मीर ही वह प्रॉमिस लैंड तो नहीं थी जिसकी बात जीसस ने अपनी लोगों से की थी? क्या वह उन्हें यहाँ लाना चाहते थे? जीसस को भारत से जोड़ती यह कहानी कुछ लोगों का दृढ़ विश्वास है और यह किस्सा सदियों से चला आया है। कुछ सबुद कुछ ऐसा इशारा जरूर करते हैं कि ईशा मसीह का भारत से गहरा नाता था।
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