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Motivational Story In Hindi For Kids | खुद को किसी से कम मत समझो

खुद को किसी से कम मत समझो | Motivational Story in Hindi

Posted on January 22, 2021

 

Motivational Story in Hindi, यह कहानी है एक ऐसे आदमी की अपने इच्छा अनुसार सब कुछ बनना चाहता था और कुछ ऐसा बनना चाहता था जो की सबसे ज़्यादा शक्तिशाली हो।

 

 खुद को किसी से कम मत समझो – Motivational Story in Hindi

 

एक छोटा सा गाँव था। वहाँ पर एक आदमी पहाड़ पर पत्थर तोड़ने का काम करता था। उसको अपनी ज़िंदगी से  कोई गिलासिखवा नहीं  था। पूरा दिन वह काम करता मेहनत करता और दिन के अंत में उसे जो पैसा मिलता वह जाकर अपने परिवार के साथ समय बिताता  और चैन से सो जाता।

 

एक दिन रोज की तरह वह अपना काम खत्म करके वापस घर जा रहा था तो रास्ते में चलते उसे एक ख्याल आया, “यह भी कोई ज़िंदगी  है! सुबह से शाम तक मैं पत्थर तोड़ने का काम करता हूँ और अंत में मुझे थोड़े से पैसे मिलते हैं। कितने मुश्किल से मेरे और मेरे परिवार का गुजारा होता है। काश कुछ ऐसा हो जाए, कुछ ऐसी शक्तियां मिल जाए कि जो भी मैं चाहता हूँ वह सच हो जाए।”

 

वह अपने घर पर गया और खाना खाया और उसका दिमाग पर सिर्फ यही ख्याल चल रहा था और सोचते-सोचते वह सो गया। नींद आने के कुछ देर बाद उसे एक सपना आया।  सपने में उसने देखा कि रोज की तरह वह अपना काम खत्म करके घर लौट रहा था। रास्ते में उसने एक बहुत बड़ा घर देखा और उसके मन में आया कि काश यह घर मेरा होता और मैं इसका मालिक होता। उस आदमी के यह सोचते ही वह उस घर का मालिक बन गया।

 

उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जो उसने सोचा वो वह बन चूका है लेकिन उसकी ख़ुशी ज़्यादा दिन नहीं टिक पाई क्यूंकि उसे अचानक से एक शोर सुनाई दी। उसने अपने घर के बाहर देखा कि बहुत बड़ा एक रैली निकल रही है। उसके बीचो-बीच एक पॉलिटिशन है जो कि हाथ हिला रहा था और वहाँ पर जितने भी लोक खड़े थे सब उसके नाम पर नारे लगा रहे थे, सब उसके सामने हाथ जोड़कर खड़े थे,सब उसे देखने के लिए तड़प रहे थे तब उसको यह अहसास हुआ कि वह कितना छोटा है उसके सामने।

 

फिर उसको यह ख्याल आया कि काश मैं एक पॉलिटिशन होता तो मेरे पास भी इतनी ही पावर होती जितनी की इसके पास है। बस उसका इतना ही सोचने के बाद वह पॉलिटिशन बन गया। उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा क्यूंकि उसके आसपास में हज़ारो लोगों की भीड़ थी और सब  उसे देखने  के लिए तड़प रहे थे लेकिन उसकी यह ख़ुशी ज़्यादा दिन नही टिक पाई।

 

धुप बहुत ही तेज थी और उस पॉलिटिशन को आदत नहीं थी इतनी गर्मी में रहने की  तो उस धुप की बजह से  उसे चक्कर आ गए  और वह बेहोश होकर गिर गया। फिर उसको अहसास हुआ कि पॉलिटिशन इतना ताकतपर नहीं है यह जो सूरज है यह सबसे  ताकतपर है और उसके मन में आया कि काश मैं यह सूरज बन जाऊँ तो  मेरे आगे कोई नहीं टिक पाएगा। उसका इतना सा सोचने के  बाद वह सूरज बन गया और वह ख़ुशी सी पागल हो गया क्यूंकि पूरी दुनिया को वह रोशन कर रहा था  और पूरी दुनिया में ऐसा कोई नहीं था जोकी उसकी रौशनी को रोक  सके। लेकिन  उसकी  यह ख़ुशी भी ज़्यादा  देर नहीं टिक पाई।

 

कुछ ही देर बाद आसमान में कुछ काले बादल आए  जिन्होंने उस सूरज की रौशनी को रोक दिया। फिर उसको यह अहसास हुआ कि दुनिया में ऐसा भी कोई है जिसमें दम है उसकी रौशनी को रोकने का और उसके मन में फिरसे ख्याल आया की काश मैं वह बादल बन जाऊँ। वह फिर बादल बन गया और आसमान में उड़ने लगा। उसको ऐसा लगा की वह आसमान में उड़ रहा है और जहाँ चाहे वहाँ जा सकता है।

 

कुछ देर बाद वहाँ एक बहुत बड़ा हवा का झोका आया जो की उन बादलो को उड़ाकर ले गया। फिर उसे यह समझमे आया कि यह जो बादल हैं वह सूरज की रौशनी को तो रोक सकते हैं लेकिन हवा को नहीं रोक सकते। यह हवा उनको बहाकर ले जाती हैं। फिर उसके मन में यह आया कि काश मैं यह हवा बन जाऊँ। वह हवा बन गया। हवा होने के बाद उसके अंदर कुछ अलग ही ऊर्जा का अनुभव लगने लगा। वह चाहे तो आरामसे बहता और चाहे तो आँधी बनकर तूफान बनकर जिसको भी चाहे उड़ाकर ले जाता।

 

उसे यह विश्वास होने ही लगा था कि इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली है वह। तभी उसके सामने आया एक पहाड़। उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी लेकिन पहाड़ को वह नहीं हिला पाया। तब उसको यह अहसास हुआ कि इस दुनिया में अगर कोई शक्तिशाली है, जिसमे दम है उस हवा को रोकने का। फिर उसके मन में आया की काश मैं यह पहाड़ होता। वह पहाड़ बन गया लेकिन हर बार की तरह इस बार भी उसकी ख़ुशी ज़्यादा देर तक नहीं टिक पाई।

 

कुछ समय बाद उसे एक जानी पहचानी सी आवाज सुनाई दी और साथ ही साथ उसे दर्द होने लगा जैसे कि कोई है उसे तोड़ रहा है, मार रहा है। दर्द से वह चिंकने लगा। उसके मन में आया की काश वह मन जाऊँ जो इस पहाड़ को तोड़ने का दम रखता हैं लेकिन इस बार भी उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई। वह रोने लगा, चिंकने लगा, उसने अपनी पूरी जान लगा दी लेकिन इस बार वह नहीं बन पाया। उसका दर्द बढ़ता ही चला जा रहा था और दर्द की बजह से अचानक से उसकी नींद खुल गई।

 

उसके सामने ही एक सीसा था। उसने सीसे में देखा और उसे यह समझमे आ गया कि सपने में वह जो चाह रहा था वो वह क्यों नहीं बन पा रहा था क्यूंकि असलियत मैं तो वह वहीं था।

 

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