चमत्कार की कहानी Heart Touching Emotional Story in Hindi
Heart Touching Emotional Story in Hindi
एक शहर में एक अमीर सेठ रहता था। उसके पास बहुत पैसा था, अनेक फक्ट्रियों को मालिक था। एक शाम अचानक उसे बहुत बेचैनी होने लगी। उसने डॉक्टर को बुलाया और अपनी जाँच करवाई पर कुछ भी नहीं निकला। उसकी बेचैनी बढ़ती गई और उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। रात हुई, नींद की गोलियां भी खा ली पर नींद आने को तैयार ही नहीं थी और न ही उसकी बेचैनी कम हो रही थी।
वह रात को उठकर 3 बजे घर के बगीचे में घूमने लगा और घूमते-घूमते उसे लगा कि बाहर थोड़ा सुकुन है इसलिए बाहर सड़क पर पैदल निकल पड़ा। चलते-चलते हज़ारो विचार मन में चल रहे थे और वह घर से बहुत दूर निकल आया था और थकान की बजह से वह एक बेंच पर बैठ गया। उसे वहाँ बहुत शांति मिल रही थी। इतने में वहाँ एक कुत्ता आया और उसकी चप्पल उठाकर ले गया। सेठ ने उसे देखा तो वह दूसरी चप्पल उठाकर उस कुत्ते के पीछे भागा।
कुत्ता पास के ही एक झोपड़ी में घुस गया। सेठ भी उसके पीछे था। सेठ को करीब आता देख कुत्ते ने चप्पल को छोड़ दी और चला गया। सेठ ने गहरी साँस ली और अपनी चप्पल पहनने लगा। इतने में उसे किसी की रोने की आवाज सुनाई दी। वह और करीब गया तो उसे एक झोपड़ी में से किसी की आवाज आ रही थी। उसने झोपड़ी के फटे हुए बोरे में झाँककर देखा तो वहाँ एक औरत फटे मैली सी चादर पहने दिवार से सटककर रो रही थी और बोल रही थी थी, “हे भगवान मेरी मदद कर।”
सेठ के मन में आया की यहाँ से चले जाऊँ, कहीं लोग उसे गलत न समझले। सेठ थोड़ा आगे बढ़ा तो उसके दिल में ख्याल आया कि आखिर वह औरत रो क्यों रही थी? उसको तकलीफ क्या है? उसने अपनी दिल की बात सुनी और झोपड़ी में जाकर दरवाजा खटखटाया। उस औरत ने दरवाजा खोला और सेठ को देखकर घबरा गई। तो सेठ ने हाथ जोड़कर कहा, “घबराओ मत, मुझे तो सिर्फ यह जानना है कि तुम रो क्यों रही हो?”
औरत के आँखों में से आँसू टपकने लगे और उसने पास ही एक छोटे से बिस्तर में लिपटी हुई उसकी 7 साल की बच्ची की ओर इशारा किया और रोते-रोते कहने लगी, “मेरी बच्ची बहुत बीमार है। उसके इलाज के लिए बहुत खर्चा लगेगा और मैं तो घरों में जाकर झाड़ू, पोछा लगाती हूँ जैसे तैसे हमारा पेट पालती हूँ मैं कैसे इसका इलाज करवा पाऊँगी?” सेठ ने कहा, तो किसी से माँग लो। इस पर औरत बोली।, “मैंने सबसे माँगकर देख लिया। खर्चा बहुत है, कोई देने को तैयार ही नहीं है।
उस सेठ ने उसे समझाया कहा, “ऐसे रात को रोने से क्या मिलेगा क्या तुम्हे?” तो औरत ने कहा, “कल एक संत यहाँ से गुजर रहे थे तो मैंने उनको मेरी समस्या बताई। तो उन्होंने कहा बेटा तुम सुबह 4 बजे उठकर अपनी ईश्वर से माँगो। बोरी बिछाकर बैठ जाओ और रोके गिड़गिड़ाकर उससे मदद माँगो, वह सबकी सुनता है और वह तुम्हारी भी जरूर सुनेगा। मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था इसलिए मैं उससे भीख माँग रही थी।”
यह सब सुनने के बाद सेठ का दिल पिघल गया और उसने तुरंत फ़ोन लगाया और एम्बुलेंस बुलाई और उस 7 साल की छोटी बच्ची को हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया। डॉक्टर ने देड़ लाख का खर्चा बताया। सेठ ने बच्ची का पूरा खर्चा उठाया और उसका इलाज करवाया और उस औरत को अपने यहाँ नौकरी देकर उसे रहने के लिए एक जगह भी दे दी और उस बच्ची की पढाई की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ले ली।
वह सेठ दयालु तो था पर नास्तिक था। उसके मन में सैकड़ों सवाल चल रहे थे क्यूंकि उसकी बैचेनी तो उस वक़्त ही ख़त्म हो गई थी जब उसने एम्बुलेंस को बुलाया था। वह यह सोच रहा था कि ऐसी कौनसी ताकत है जो मुझे वहाँ तक खिंच ले गई। क्या यही ईश्वर है? और यदि यह ईश्वर है तो सारा संसार आपस में धर्म, जात-पात के लिए क्यों लड़ रहा है? क्यूंकि न मैंने उस औरत की जात पूछी और न ईश्वर ने जात-पात देखि बस ईश्वर ने तो उसका दर्द देखा और मुझे इतना घुमाकर उसके पास पहुँचा दिया। अब सेठ समझ चूका था कि कर्म के साथ सेवा भी बहुत जरुरी है क्यूंकि इतना सुकुन उसे ज़िंदगी में पहले कभी नहीं मिला था।
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