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पंचतंत्र की कहानी | नेवला और ब्राह्मण का बेटा | Weasel and Brahmin's Son Story in Hindi

पंचतंत्र की कहानी | नेवला और ब्राह्मण का बेटा | Weasel and Brahmin’s Son Story in Hindi

Posted on December 11, 2020

Contents

  • 1 Weasel and Brahmin’s Son Panchatantra Story in Hindi
    • 1.1 नेवला और ब्राह्मण का बेटा
    • 1.2 इस कहानी से सीख, Moral of The Story: 
    • 1.3 यह भी पढ़े:-

Weasel and Brahmin’s Son Panchatantra Story in Hindi

 

नेवला और ब्राह्मण का बेटा

एक भरापूरा नगर था। उस नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी को बच्चा होने वाला था। समय आया और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। वही घड़ी थी जब एक नेवले को भी बच्चा हुआ। बच्चे को जन्म देते ही नेवली मर गई। नेवली का शिशु अनाथ हो गया। ब्राह्मण की पत्नी को उस पर दया आई। वह छोटे नेवले को घर ले आई। अपने बच्चे के साथ-साथ उसे भी दूध पिलाती और उसका अच्छे से पालन-पोषण भी करती थी। इस तरह वह शिशु नेवले का भी माँ बन गई थी।

 

ब्राह्मण की पत्नी को यह डर भी लगा रहता की यह नेवला उसके बच्चे को न काटले। एक दिन, ब्राह्मण की पत्नी को घर में पानी की जरुरत पड़ी। उसका बेटा सो रहा था। उसने उसे बिस्तर में लेटा दिया और पानी भरने के लिए चला गया। जाते-जाते उसने अपने ब्राह्मण से कहा, “मैं पानी भरने के लिए कुएँ की ओर जा रही हूँ। बच्चे का ध्यान रखना। देखना नेवला उसे काट न ले।”

 

ब्राह्मण ने उसकी बात नहीं सुनी और वह किसी काम से बाहर निकल पड़ा। उसके जाते ही घर सुना हो गया। घर के कोने में एक बिल था। उसमें एक खतरनाक साँप रहता था। वह साँप बाहर निकला। शिशु गहरी नींद में था। घर में न ब्राह्मण था और न ही ब्राह्मण की पत्नी इसलिए शिशु की रक्षा का भार केवल छोटे नेवले पर आ पड़ा। साँप रेंगता हुआ ब्राह्मण के बच्चे की ओर बढ़ा। नेवला तुरंत उस पर झपट पड़ा और उसे मार डाला। साँप के खून से नेवले का मुँह लाल हो गया। नेवला बहुत खुश हुआ।

 

अपनी बहादुरी बताने के लिए नेवला घर के बाहर खड़ा हो गया। ब्राह्मण की पत्नी जब वापस घर लौटी तो उसने देखा कि नेवले का मुँह खून से सना हुआ है। उसने सोचा कि नेवले ने उसके बेटे को मार डाला। उसने पानी से भरा भारी घड़ा गुस्से में आकर नेवले के ऊपर पटक दिया और उसे मार डाला।

 

रोते-रोते ब्राह्मण की पत्नी जब घर के अंदर गई तो उसने देखा कि उसका बच्चा तो सुरक्षित है, लेकिन उसके पास ही एक मरे हुए साँप के टुकड़े पड़े हैं। ब्राह्मण की पत्नी को बहुत दुख हुआ कि उसने इतने स्वाविभक्त नेवले को मार डाला।

 

इस कहानी से सीख, Moral of The Story: 

कुछ भी बड़ा करने से पहले सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए, बिना किसी चीज़ को अपनी आँखों से देखे भरोसा न करें।

 

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