पंचतंत्र की कहानी | व्यापारी, साधु और नाई | Vyapari, Sadhu Aur Naaii
व्यापारी, साधु और नाई
एक व्यापारी ने अपनी सारी धन-दौलत गवाँ दी। एक रात उसे सपने में एक जैन मुनि दिखाई दिया। जैन मुनि ने उससे कहा, “मैं धन हूँ। कल सुबह मैं तुम्हारे घर आऊँगा और तुम मेरे सिर पर डंडा मार देना। मैं सोने में बदल जाऊँगा। उसके बाद तुम्हारे पास कभी धन की कमी नहीं होगी।”
अगले दिन सुबह, एक जैन मुनि उसके द्वार पर पहुँचा। वह दिखने में बिलकुल रात में सपने में दिखे मुनि की तरह ही लग रहा था। व्यापारी ने उसे देखा तो बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने तुरंत मुनि के सिर पर डंडा मार दिया। मुनि वहीं पर गिर पड़ा और सोने के ढेर के रूप में बदल गया। व्यापारी ने सारा सोना उठा लिया और अपने मकान के अंदर वाले कमरे में छिपा दिया।
हालाँकि, यह पूरी घटना एक नाई ने देख ही ली। जब वह नाई अपने घर गया तो सोचने लगा, “अगर जैन मुनियों के सिर पर डंडा मारने से वे सोने में बदल जाते हैं तो मैं भी उन्हें अपने घर बुलाता हूँ।”
अगले दिन सुबह, नाई जैन मंदिर गया। वहाँ उसने प्रार्थना और पूजा की। पूजा समाप्त करने के बाद वह मुख्य भिक्षु के पास गया और घुटनों के बल बैठकर उन्हें प्रणाम करने लगा। नाई ने अनुरोध किया, “मैं आपको प्रणाम करता हूँ। मेरा अनुरोध है कि आज आप जब भिक्षाटन के लिए निकलें, तो कृपया मेरे घर आकर भोजन करें। अपने साथ में अन्य भिक्षुओं को भी लाइए।” मुख्य भिक्षु ने जवाब दिया, “बहुत अच्छा शिष्य, हम लोग तुम्हारे घर जरूर आएँगे।”
नाई प्रसन्न होता हुआ घर गया और घर के द्वार पर ही उसने बहुत सारे डंडे इकट्ठे करके रख लिए। जब भिक्षु नाई के घर आए, तो उसने उन डंडों से सभी के सिर पर मारना शुरू कर दिया। कुछ भिक्षु वहीं गिरकर मर गए, कुछ के सिर फुट गए और कुछ सहायता के लिए चिल्लाते हुए भागे।
नगर के प्रमुख रक्षक ने जब यह चीख-पुकार सुनी तो उसने सिपाहियों को मामला पता करने के लिए भेजा। सिपाही मामला पता करने गए, तो उन्होंने देखा कि नाई के घर से भिक्षु भागे आ रहे हैं और उनके सिरों से खून बह रहा है। सिपाहियों ने भयभीत भिक्षुओं से पूछा, “क्या हुआ?” भिक्षुओं ने उन्हें नाई का कारनामा बताया। सिपाहियों ने नाई को गिरफ्तार कर लिया और उसे पकड़कर अदालत में ले आए।
अदालत में न्यायाधीशों ने नाई से पूछा, “तुमने इतना दुष्टतापूर्ण अपराध क्यों किया?” नाई रोते हुए बोला, “इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। मैंने एक व्यापारी को ऐसा ही करते हुए देखा था और फिर सोचा कि मैं भी ऐसा ही करता हूँ।” इतना कहकर उसने व्यापारी के घर पर जो कुछ भी देखा था, सारा किस्सा सुना डाला।
न्यायाधीशों ने तुरंत व्यापारी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया। व्यापारी के आने पर उसने पूछा, “क्या तुमने किसी जैन मुनि को मारा है?” व्यापारी ने उन्हें अपने सपने के बारे में बताया। न्यायाधीशों ने पूरी बात सुनकर निर्णय सुनाया, व्यापारी के काम की आँख मूँदकरनकल करने वाले नाई को सज़ा दी जानी चाहिए।
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