Two Friends Panchatantra Story in Hindi
दो मित्रों की कहानी
एक शहर में दो मित्र रहते थे, धर्मबुद्धि और पापबुद्धि। चालाक पापबुद्धि ने धर्मबुद्धि का सारा धन हड़पने की योजना बनाई। उसने धर्मबुद्धि से कहा, “दोस्त, मुझे लग रहा है की अपना सारा धन अपने घर पर रखना सुरक्षित नहीं है। हम अपना धन जंगल में किसी गुप्त स्थान पर गाड़ देते है। जब कभी हमें धन की आवश्यकता पड़ेगी, हम जाकर निकाल लाएँगे।”
धर्मबुद्धि सहमत हो गया। दोनों ने पास के जंगल में जाकर एक गहरा गड्ढा खोदा और अपना सारा धन उसमें गाड़ दिया। एक दिन पापबुद्धि गया और गड्ढे से उसने सारा धन निकाल लिया। अगले दिन, वह धर्मबुद्धि के पास गया और बोला कि उसे कुछ धन की आवश्यकता है, इसलिए साथ चलकर जंगल से धन निकाल लिया जाए।
जब दोनों जंगल में पहुँचे तो उन्होंने पाया कि गड्ढा तो खाली है। पापबुद्धि जोर-जोर से रोते हुए कहने लगा, “धर्मबुद्धि, तुमने सारा धन चुरा लिया। उसमें आधा हिस्सा मेरा भी था। मेरा हिस्सा वापस करो।” हालाँकि, धर्मबुद्धि ने फौरन इन्कार कर दिया। पापबुद्धि नहीं माना और उस पर लगातार आरोप लगाता ही रहा।
दोनों का झगड़ा अदालत पहुँचा। वहाँ पर पापबुद्धि ने न्यायाधीश से कहा, ” मैं गबाह के रूप में वनदेवता को प्रस्तुत कर सकता हूँ। वे ही तय करेंगे की दोषी कौन है।” न्यायाधीश मान गए। उन्होंने दोनों को अगले दिन सुबह जंगल पहुँचने का आदेश दिया। पापबुद्धि घर गया और अपने पिता से बोला, “पिताजी, मैंने धर्मबुद्धि का सारा धन चुरा लिया है। मामला अदालत में है। अगर आप सहायता करें तो मुकदमा जीत सकता हूँ। आप जाइए और पेड़ के खोखले तने में छिप जाइए। कल सुबह जब न्यायाधीश वहाँ पहुँचेंगे तो मैं आपसे सच्चाई पूछूँगा। आप कह देना की धर्मबुद्धि ही चोर है।”
पिता को पापबुद्धि के षड़यंत्र में शामिल होने में झिझक हो रही थी लेकिन अपने बेटे के प्यार की बजह से वह आखिरकार राजी हो गया। अगले दिन, जब धर्मबुद्धि और न्यायाधीशों के सामने पापबुद्धि पेड़ के पास गया और चिल्लाकर बोला, “हे वनदेवता, आप गबाह हैं। आप ही बताएँ, हम दोनों में से कौन दोषी है।”
धर्मबुद्धि को संदेह हो गया। उसने पेड़ के खोखले तने में घास-फुस भर दिया और उसमे तेल लगाकर आग लगा दी। आग जली तो पिता पेड़ से निकलकर भागा। पिता ने न्यायाधीशों से स्पष्ट कह दिया, “यह सब पापबुद्धि के शैतानी दिमाग की उपज है।” राजा के सिपाहियों ने पापबुद्धि को गिरफ्तार कर लिया।”
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