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पंचतंत्र की कहानी | साधु की बेटी | Sage's Daughter Panchatantra Story in Hindi

पंचतंत्र की कहानी | साधु की बेटी | Sage’s Daughter Panchatantra Story in Hindi

Posted on December 3, 2020

Contents

  • 1 Sage’s Daughter Panchatantra Story in Hindi
    • 1.1 साधु की बेटी
    • 1.2 इस कहानी से सीख, Moral of The Story: 
    • 1.3 यह भी पढ़े:-

Sage’s Daughter Panchatantra Story in Hindi

 

साधु की बेटी

बहुत समय पहले की बात है। एक साधु अपनी पत्नी के साथ नदी के तट पर रहता था। उन दोनों की कोई संतान नहीं थी। उनकी बड़ी इच्छा थी कि कम से कम एक संतान उनके यहाँ जरूर हो। एक दिन, साधु जब तपस्या में लीन था, तभी एक चील ने अपने पंजे में फँसी एक चुहिया उसके ऊपर गिरा दी। साधु ने उस चुहिया को घर ले जाने का निश्चय किया लेकिन उससे पहले उसने उसे एक लड़की में बदल दिया।

 

उस लड़की को देखकर साधु की पत्नी ने पूछा, “कौन है ये? इसे कहाँ से लाए हो?” साधु ने पत्नी को पूरी बात बताई। उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न हुई और वह बोली, “तुमने इसे जीवन दिया है, इसलिए तुम्हीं इसके पिता हुए। इस तरह मैं भी इसकी माँ हुई। हमारे यहाँ कोई संतान नहीं थी, इसलिए भगवान ने इसे हमारे पास भेजा है।”

 

जल्द ही वह बच्ची एक सुंदर युवती बन गई। जब वह सोलह साल की हुई तो साधु और उसकी पत्नी ने उसका विवाह करने का निश्चय किया। साधु ने सूर्य देवता का आह्वान किया। जब सूर्य देवता उसके सामने आए, तो साधु ने उनसे उसकी बेटी से विवाह करने का अनुरोध किया।

 

हालाँकि, लड़की को यह विवाह अच्छा नहीं लगा और उसने कह दिया, “क्षमा कीजिए, लेकिनं मैं सूर्य देवता से विवाह नहीं कर सकती क्यूंकि वह बहुत गर्म हैं।” निराश साधु ने सूर्य देवता से कहा कि अब वे ही उसकी लड़की के लिए कोई सुयोग्य वर सुझाएँ। सूर्य देवता ने कहा, “बादलों के देवता से आपकी लड़की की जोड़ी सही बैठेगी क्यूंकि वे ही धुप की गर्मी से उसकी रक्षा कर सकते है।”

 

साधु ने अब बदल देवता से उसकी लड़की से विवाह करने का अनुरोध किया। इस बार भी लड़की ने विवाह करने से इन्कार कर दिया और बोली, “मैं इस काले व्यक्ति से विवाह नहीं करुँगी। इसके अलावा, बादलों की गरज से मुझे डर भी लगता है।” साधु फिरसे उदास हो गया और उसने बादल देवता से अनुरोध किया वे ही कोई सुयोग्य वर सुझाएँ। बादल देवता ने कहा, “पवन देवता के साथ इसकी जोड़ी अच्छी रहेगी क्यूंकि वह आसानी से मुझे उड़ा सकता हैं।”

 

साधु ने अब पवन देवता से विवाह का अनुरोध किया। इस बार भी लड़की ने विवाह से इन्कार कर दिया और बोली, “मैं ऐसे अस्थिर व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती जो हर समय यहाँ-वहाँ उड़ता रहता हो।” साधु को बहुत दुख हुआ और वह अब काफी परेशान भी हो गया। साधु ने पवन देवता से ही कोई सुयोग्य वर सुझाने को कहा। पवन देव ने जवाब दिया, “पर्वतों के राजा बहुत मजबूत और स्थिर हैं। वे बहती हुई हवा को भी आसानी से रोक सकते हैं। उनसे आपकी लड़की की जोड़ी सही बैठेगी।”

 

साधु अब पर्वतराज के पास गया और उससे उसकी लड़की के साथ विवाह करने का अनुरोध किया। हालाँकि इस बार भी लड़की ने विवाह से इन्कार कर दिया और कहा, “मैं ऐसे किसी व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती जो इतना कठोर और ठंडा हो।” लड़की ने साधु से किसी नर्म वर को खोजने के लिए कहा। साधु ने पर्वतराज से सलाह माँगी। पर्वतराज ने जवाब दिया, “किसी चूहे के साथ ही आपकी लड़की की जोड़ी अच्छी रहेगी क्यूंकि वह नर्म भी है और आसानी से किसी पर्वत में भी बिल बना सकता है।”

 

इस बार लड़की को वर पसंद आ गया। साधु काफी हैरान हुआ और बोला ,”भाग्य का खेल कितना निराला है! तुम मेरे पास एक चुहिया के रूप में आई थी और मैंने ही तुम्हे लड़की का रूप दिया था। चुहिया के रूप में जन्म लेने के कारण तुम्हारे भाग्य में चूहे से ही विवाह करना लिखा था और वही हुआ। भाग्य में जो लिखा था, वही हुआ।” साधु ने फिर से प्रार्थना शुरू कर दी और लड़की को दोबारा चुहिया बना दिया।

 

इस कहानी से सीख, Moral of The Story: 

भाग्य कभी नहीं बदलता।

 

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